महाकुंभ में जाने का जुनून : अक्षत ने की अमृत स्नान के लिए 11 महीने और 27 दिन की पैदल यात्रा, भारत दर्शन के लिए छोड़ी तीन नौकरियां

UPT | अक्षत सिंह

Jan 17, 2025 12:47

अक्षत ने बताया कि वह हर दिन सुबह 8 बजे अपनी यात्रा शुरू करते हैं। सर्दियों में शाम 4 बजे तक और गर्मियों में शाम 6 बजे तक पैदल चलते हैं। महाकुंभ में मकर संक्रांति के अमृत स्नान तक पहुंचने के लिए उन्होंने रोज 18 किलोमीटर अतिरिक्त चलकर अपनी यात्रा पूरी की।

Prayagraj News : प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ हमेशा से श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक रहा है। इस बार बिहार के वैशाली जिले के पटेरी बेलसर गांव के अक्षत सिंह ने अपनी अद्वितीय पदयात्रा से इसे और खास बना दिया। अक्षत ने 11 महीने और 27 दिनों तक 10,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर महाकुंभ में अमृत स्नान किया। 

सुबह 8 बजे शुरू करते हैं यात्रा
अक्षत ने बताया कि वह हर दिन सुबह 8 बजे अपनी यात्रा शुरू करते हैं। सर्दियों में शाम 4 बजे तक और गर्मियों में शाम 6 बजे तक पैदल चलते हैं। रोजाना वे 35 किलोमीटर चलने का लक्ष्य रखते हैं, लेकिन महाकुंभ में मकर संक्रांति के अमृत स्नान तक पहुंचने के लिए उन्होंने रोज 18 किलोमीटर अतिरिक्त चलकर अपनी यात्रा पूरी की। रात के समय वे मंदिरों या धर्मशालाओं में ठहरते हैं। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उनकी श्रद्धा और समर्पण ने हर बाधा को पार करने में मदद की। अक्षत का कहना है कि पैदल चलना न केवल एक आध्यात्मिक अनुभव है, बल्कि यह उनके भीतर एक नई ऊर्जा भी भरता है।

तीन नौकरियां छोड़ी
अक्षत सिंह ने अपने भारत भ्रमण के उद्देश्य को साझा करते हुए बताया कि देश की विविधता को नजदीक से अनुभव करने की इच्छा से उन्हें यह कदम उठाया। विज्ञान में स्नातक अक्षत ने बैंक, रेलवे और कर्मचारी चयन आयोग जैसी तीन नौकरियां छोड़ीं ताकि वे इस अनोखी यात्रा को पूरा कर सकें। हालांकि इस निर्णय पर शुरुआत में उनके माता-पिता ने विरोध जताया, लेकिन बाद में उनकी सहमति मिल गई। अक्षत ने अपनी यात्रा की शुरुआत बाबा बैद्यनाथ के दर्शन से की और अब तक नागेश्वर, सोमनाथ, ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, त्रयंबकेश्वर, जगन्नाथपुरी और द्वारका जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों की यात्रा कर चुके हैं।

पर्यटन ही मेरा करियर
अक्षत के पिता रविंद्र सिंह किसान हैं और उनकी माता सावित्री देवी गृहणी हैं। अक्षत ने नौकरी छोड़ने के अपने फैसले के बारे में बताते हुए कहा कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि को देखने की उनकी चाहत ने उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, "मैंने नौ से पांच की नौकरी को अलविदा कह दिया है। अब मैंने पर्यटन को ही अपना करियर बनाने का निर्णय लिया है। भारत जैसी विविधता पूरी दुनिया में कहीं नहीं है। हर राज्य की भाषा, खाना और कला अपने आप में अनूठी है।"

अभी बाकी है यात्रा 
महाकुंभ में पांच दिनों तक भ्रमण के बाद अक्षत की यात्रा यहीं समाप्त नहीं होती। अब वे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की ओर प्रस्थान करेंगे। इसके अलावा अमरनाथ, पशुपतिनाथ और वैष्णो देवी की यात्रा भी उनकी सूची में शामिल है। इस संपूर्ण यात्रा को पूरा करने में उन्हें करीब डेढ़ साल का समय और लगेगा।

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