महाकुम्भ में क्राउड मैनेजमेंट : यूपी के एक शहर में रूस, अमेरिका की आबादी से ज्यादा भीड़ कैसे संभालते हैं, आज जान लीजिए

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Jan 17, 2025 18:33

महाकुंभ, एक ऐसा इवेंट जिसके लिए दुनिया की कुल आबादी के 5% के बराबर लोग एक शहर में इकट्ठा हो रहे हैं। एक ऐसी नगरी, जो तम्बुओं से बसी है और ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप के देश वेटिकन सिटी से भी बड़ी है। उत्तर प्रदेश टाइम्स के साथ पढ़िए खास रिपोर्ट....

Mahakumbh Nagar : दुनिया का सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन कुंभनगर में साकार है। एक ऐसा इवेंट जिसके लिए दुनिया की कुल आबादी के 5% के बराबर लोग एक शहर में इकट्ठा हो रहे हैं। एक ऐसी नगरी, जो तम्बुओं से बसी है और ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप का देश वेटिकन सिटी से भी बड़ी है। एक ऐसा महापर्व, जिसके लिए प्रयागराज पूरी दुनिया के सनातन प्रेमियों की मेजबानी करने को तैयार है। विश्व की सबसे बड़ी मेजबानी के दौरान मुख्यत: पांच प्रमुख चुनौतियां रहती हैं- भीड़ प्रबंधन, परिवहन, मेले में जनसुविधाएं, सुरक्षा और आपात सेवाएं। इनमें सबसे खास है भीड़ प्रबंधन।

तीन दिन के लिए जनसंख्या 41 देशों से ज्यादा
धर्म अध्यात्म की इस नगरी की बात ही निराली है। महाकुंभ के लिए हर बार नया जिला बसाया जाता है। नए जिले में चार तहसील, 56 थाने और 133 पुलिस चौकियां हैं। इस भव्य आयोजन के लिए मात्र ढाई महीने के भीतर मेला परिसर में अस्थायी ‘तम्बुओं का शहर’ बसाया गया है। प्रयागराज का महाकुंभ मेला करीब 4000 हेक्टेयर भूमि पर फैला है। वेटिकन सिटी जैसे धार्मिक तहत्व वाले देश से 82 गुना बड़ा है मेला क्षेत्र का क्षेत्रफल। उत्तर प्रदेश की अनुमानित आबादी लगभग 24 करोड़ है और प्रयागराज की लगभग 70 लाख। जबकि इस मेजबान शहर में 45 करोड़ तीर्थयात्री,  कारोबारी और मेहमानों के आने की उम्मीद है। ये आंकड़ा अमेरिका (33.5 करोड़) और रूस (14.5 करोड़) की जनसंख्या से ज्यादा है। इस अस्थायी शहर की आबादी लगभग दो करोड़ है, जिसमें 30 लाख कल्पवासी हैं। एक करोड़ से अधिक साधु-संत, महात्मा और उनके शिष्य भी मौजूद हैं। महाकुंभ में सबसे बड़ा रिकॉर्ड यह होगा कि तीन दिन के लिए प्रयागराज की जनसंख्या दुनिया के 41 देशों से ज्यादा होगी। ये तीन दिन 29 जनवरी 2025 को मुख्य शाही स्नान पर्व मौनी अमावस्या, उसके पहले और बाद होंगे। इन तीन दिनों में लगभग साढ़े छह करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज में होने की उम्मीद है। यही नहीं, देश के दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई समेत विश्व के जितने भी बड़े शहर हैं, प्रयागराज उनसे बड़ा आबादी वाला महानगर हो जाएगा। 

पहले महाकुंभ के विस्तार को समझिए
महाकुंभ की तैयारी में इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट पर खास जोर दिया जाता है। यह इंफ्रास्ट्रक्चर केवल मेले के लिए नहीं होता। महाकुंभ के बाद भी प्रयागराज और उत्तर प्रदेश के लिए काम आता है। महाकुंभ 2025 से पहले नया छह-लेन का पुल गंगा नदी पर बनाया गया है, और 275 करोड़ रुपये की लागत से एक चार-लेन रेलवे ओवरब्रिज भी तैयार किया गया है। सड़कों, चौराहों को बेहतरीन किया जा रहा है। ओवरब्रिज, अंडरब्रिज और फ्लाइओवर तैयार हो रहे हैं।  लगभग एक हजार ट्रेनें, विभिन्न एयरपोर्ट से 250 फ्लाइट्स, सात हजार बसें चलेंगी। 20 लाख से ज्यादा निजी वाहनों के लिए 120 पार्किंग स्थल बनाए गए हैं। महाकुंभ के लिए प्रशासन ने संगम तट पर कुल 41 घाट तैयार किए हैं। इनमें 10 पक्के जबकि 31 घाट अस्थायी हैं। संगम घाट प्रयागराज का सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण घाट है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती (अदृश्य)- तीन पवित्र नदियों का संगम होता है, इसीलिए इसे त्रिवेणी घाट के नाम से भी जानते हैं। 

ऐसे होता है भीड़ प्रबंधन
मेला और भीड़ एक-दूसरे के पर्याय कहे जा सकते हैं। कुंभ मेले में अतीत में हादसे हो चुके हैं, इसलिए यह सबसे बड़ी चुनौती रहता है। मेला क्षेत्र में आने और जाने के अलग-अलग रास्ते निर्धारित किए जाते हैं। जिस रास्ते से जाते हैं, उस रास्ते से वापस नहीं लौटते, ताकि कहीं भी श्रद्धालु आमने-सामने नहीं आ सकें। प्रयागराज के इंट्री प्वाइंट्स पर सभी दिशाओं में पार्किंग की व्यवस्था होती है, ताकि शहर में वाहन न घुसें। ऐसी व्यवस्था की जाती है कि श्रद्धालु कहीं एक साथ रुकें नहीं, वो चलते रहें। कहीं भी जाम की स्थिति नहीं बने, इस पर कंट्रोल रूम से निगरानी होती है। यदि श्रद्धालु कुछ देर विश्राम करना चाहें, तो उनके लिए कुछ होल्डिंग एरियाज चिह्नित किए जाते हैं। परिवहन सेवाएं लगातार उपलब्ध कराई जाती हैं ताकि भीड़ बढ़ने पर लौटने वालों को जल्दी निकाला जा सके। 
प्रयागराज के मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने बताया कि क्राउड मैनेजमेंट को लेकर खास कार्ययोजना बनाई गई है। हमारा उद्देश्य है कि मेला क्षेत्र के साथ-साथ शहर में भी श्रद्धालुओं की मोबिलिटी को बरकरार रखा जाए, ताकि स्नान और दर्शन आदि करने के बाद वो सीधे पार्किंग स्थल पहुंचें और अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करें। महाकुंभ 2025 में मेले में भीड़ के प्रभावी प्रबंधन और निगरानी के लिए एआई संचालित कैमरे, ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम लगाए गए हैं. महाकुंभ में संदिग्ध लोगों पर नजर रखने के लिए स्पॉटरों के अलावा सिविल पुलिस के 15 हजार जवानों को तैनात किया गया है। मेला क्षेत्र के एंट्री पॉइंट्स की निगरानी और नियंत्रण के लिए 7 प्रमुख मार्गों पर 102 चौकियां स्थापित की गई हैं। संगम और उसके आसपास के जलमार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और निगरानी के लिए 113 ड्रोन तैनात किए गए हैं। 

इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर मददगार
महाकुम्भ में मात्र 6 दिनों के अंदर 7 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु, कल्पवासी और पूज्य साधु संतों ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा ली है। योगी सरकार का अनुमान है कि इस बार महाकुम्भ में 45 करोड़ से भी ज्यादा लोग आएंगे। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा महाकुम्भ पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि, मेला क्षेत्र में स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) क्राउड मैनेजमेंट में वरदान साबित हो रहा है। इसके माध्यम से न सिर्फ मेला क्षेत्र में आ रही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को कंट्रोल करने में मदद मिल रही है बल्कि कई तरह के सर्विलांस में भी यह मददगार बन रहा है। महाकुम्भ के पहले दिन पौष पूर्णिमा स्नान
 पर्व और मकर संक्रांति के अमृत स्नान पर भारी भीड़ को सुनियोजित तरीके से नियंत्रित करने में आईसीसीसी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2750 कैमरों ने असंभव को संभव कर दिया
आईसीसीसी के प्रभारी एसपी अमित कुमार ने बताया कि यहां पर 2750 कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं, जिनके माध्यम से न सिर्फ मेला क्षेत्र में बल्कि पूरे शहर क्षेत्र पर नजर रखी जा रही है। 3 एंगल से निगरानी की जा रही है, पहली सिक्योरिटी, दूसरी क्राउड मैनेजमेंट और तीसरी क्राइम। उन्होंने बताया कि हमारे पास जो कैमरे हैं उनसे हम सर्विलांस, क्राउड मैनेजमेंट और फायर सर्विलांस जैसे तमाम आस्पेक्ट्स पर नजर रख पा रहे हैं। क्राउड मैनेजमेंट के लिए हम लोग क्राउड फ्लो को मॉनिटर कर रहे हैं कि किस तरफ से कितना क्राउड आ रहा है और इसको किस प्रकार से रेगुलेट करना है। क्राउड फ्लो के माध्यम से यह जानने की कोशिश करते हैं की भीड़ का दबाव कहां ज्यादा है और हम उसको वहां से किस ओर मूव कर सकते हैं। यह काफी कारगर तकनीक है। हमें यहां से रेगुलर निगरानी करनी पड़ती है कि कहीं किसी एक स्थान पर भीड़ का घनत्व तो ज्यादा नहीं हो गया है। 

पार्किंग और फायर सर्विलांस भी चुनौती से कम नहीं 
आईसीसीसी के प्रभारी एसपी अमित कुमार ने बताया कि इसके अलावा हम कैमरों से फायर सर्विलांस भी कर रहे हैं। कहीं धुआं या आग की लपट तो नहीं है। इसके अलावा पार्किंग का भी इसके जरिये सर्विलांस किया जा रहा है। हर पार्किंग में कैमरे लगाए गए हैं जो बताते हैं कि कौन सी पार्किंग कितनी खाली या भरी है। जब कोई पार्किंग भर जाती है, फिर हम उसको बंद करके अगली वाली पार्किंग एक्टिवेट करते हैं। सबसे पहले हम सबसे पास की पार्किंग को भरते हैं जिससे स्नानार्थियों को कम से कम चलना पड़े। इसके बाद हम उससे आगे की ओर बढ़ते हैं। उन्होंने बताया कि सात मुख्य मार्ग हैं जो प्रयागराज को अन्य शहरों से जोड़ते हैं, सभी पर पार्किंग की खास व्यवस्था है। 

इससे पहले इतना बड़ा क्राउड कंट्रोल कहीं नहीं
मेला क्षेत्र में जितने भी क्रिटिकल और सेंसिटिव एरिया हैं वहां पर कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं। जितने भी घाट हैं, प्रमुख सड़के हैं, पुल है, सभी जगह कैमरे लगाए गए हैं क्योंकि यहीं से हमें ये जानकारी मिलेगी कि कहां पर भीड़ का मूवमेंट कितना है। खासतौर पर संगम पर कैपेसिटी कितनी है, ताकि हम इस पर काम कर सकें। एक और चीज यह भी है कि हमें पता है कि इस तरह के आयोजनों में लोग कैसे इकट्ठा होते हैं। पूरे शहर में एक ही क्राउड डेंसिटी नहीं होती है। घाट पर भीड़ ज्यादा होती है और पीछे कम होती है। एआई कैमरा की उपयोगिता पर आईसीसीसी के प्रभारी एसपी अमित कुमारने कहा कि एआई कैमरों से डिसीजन मेकिंग में काफी मदद मिलती है, लेकिन हम पूरी तरह इन पर डिपेंड नहीं है। यह हमारी क्षमता को निश्चित रूप से बढ़ाते हैं, क्योंकि इससे पहले इतना बड़ा क्राउड कंट्रोल नहीं किया गया था। हमारी फोर्स की अपनी इंस्टीट्यूशन ट्रेनिंग है, लेकिन अगर इसको हम डाटा बेस्ड और एविडेंस बेस्ड रखें तो वह हमें अपनी स्किल को और बेहतर करने में मदद करती है। उन्होंने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में 4 आई ट्रिपल सी है। यदि कहीं एक जगह कोई प्रॉब्लम आती है तो आपात स्थिति में दूसरी यूनिट को उपयोग में लाया जा सकता है। इनके बीच बेहतर कनेक्टिविटी है और सभी जगह से मॉनिटरिंग संभव है। 

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