हीरे की घड़ी, सोने के कंगन : महाकुंभ में आ गए एनवायरमेंट बाबा....एक करोड़ पेड़ लगाने का दावा

UPT | महाकुंभ में आ गए एनवायरमेंट बाबा

Dec 16, 2024 15:47

संगम नगरी प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर आयोजित होने वाले इस महोत्सव की शुरुआत 13 जनवरी 2025 से होगी। कुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं के आगमन की उम्मीद है।

Prayagraj News : दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ मेला 2025 की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। संगम नगरी प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर आयोजित होने वाले इस महोत्सव की शुरुआत 13 जनवरी 2025 से होगी। कुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं के आगमन की उम्मीद है। इस बार कुंभ को “ग्रीन कुंभ” के रूप में आयोजित करने की दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। महाकुंभ में साधु-संतों का आगमन शुरू हो चुका है। इसी क्रम में महामंडलेश्वर अवधूत बाबा अरुणगिरी महाराज, जिन्हें "पर्यावरण बाबा" कहा जाता है। कुंभ के लिए प्रयागराज पहुंच चुके हैं। अपने सोने-चांदी और हीरे जड़े गहनों के कारण आकर्षण का केंद्र बनने वाले अरुणगिरी महाराज इस बार कुंभ में पर्यावरण संरक्षण का विशेष संदेश देंगे।

पर्यावरण बाबा का अनोखा अंदाज और मिशन
महामंडलेश्वर अरुणगिरी महाराज, जिन्हें उनके भक्त "पर्यावरण बाबा" कहते हैं, देशभर में अब तक एक करोड़ से अधिक पेड़-पौधे लगा चुके हैं। उनका उद्देश्य आध्यात्मिकता और पर्यावरण संरक्षण को साथ लेकर चलना है। बाबा ने कुंभ मेले के दौरान 51,000 फलदार पेड़ श्रद्धालुओं में वितरित करने का संकल्प लिया है। उनका संदेश है: "आओ पेड़ लगाएं, जीवन बचाएं।" बाबा के पहनावे की बात करें, तो वह सदैव सोने के आभूषणों से सजे रहते हैं। इनमें सोने की माला, चांदी का धर्मदंड, हीरे से जड़ी घड़ी और दस अलग-अलग रत्नों से जड़ी अंगूठियां शामिल हैं। हालांकि, उनका कहना है कि ये सभी आभूषण धार्मिक मान्यताओं से जुड़े हैं।

संगम पर साधुओं का आगमन
संगम की पवित्र रेती पर साधु-संतों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है। अखाड़ों के प्रमुख महामंडलेश्वर नागा साधु और अन्य संत-महात्मा अपने-अपने चेलों के साथ कुंभ मेले में शामिल हो रहे हैं। इस बार के कुंभ को विशेष रूप से पर्यावरण केंद्रित बनाने के लिए सरकारी और सामाजिक स्तर पर प्रयास हो रहे हैं। पर्यावरण बाबा जो पायलट बाबा के शिष्य हैं, कुंभ मेले में अपने विशेष मिशन के साथ पहुंचे हैं। उनका कहना है कि आध्यात्मिकता और पर्यावरण संरक्षण को जोड़कर एक नई दिशा में काम करने की जरूरत है। वे कुंभ मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर जागरूक करेंगे।

कुंभ मेले का “ग्रीन” स्वरूप
2025 के कुंभ मेले में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जा रही है। प्लास्टिक के उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके स्थान पर बायोडिग्रेडेबल सामग्री जैसे पत्तल और डोना को बढ़ावा दिया जा रहा है। कुंभ क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त रखने और सफाई बनाए रखने के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। सरकार के साथ-साथ साधु-संत भी पर्यावरण संरक्षण के इस अभियान में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। पर्यावरण बाबा के अलावा अन्य संत भी अपने प्रवचनों और कार्यों के माध्यम से पर्यावरण जागरूकता फैलाएंगे।

श्रद्धालुओं का केंद्र बने पर्यावरण बाबा
पर्यावरण बाबा की चर्चा इससे पहले सिंहस्थ कुंभ में भी हो चुकी है। जब उन्होंने प्रशासन से 34 दिनों तक हेलीकॉप्टर से यज्ञ करने की अनुमति मांगी थी। उनके आभूषणों और पहनावे के कारण वह श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र रहते हैं। इस बार भी बाबा की अनोखी पहल जिसमें श्रद्धालुओं को पौधों का वितरण और पर्यावरण पर शिक्षाप्रद बातें शामिल हैं। उन्हें विशेष रूप से लोकप्रिय बनाएगी।

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