पहले अमृत स्नान में लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने लगाई डुबकी : कैलाशानंद के साथ पहुंची त्रिवेणी संगम, निरंजनी अखाड़े से हैं जुड़ी हैं एप्पल की मालकिन

UPT | कैलाशानंद के साथ एप्पल की मालकिन लॉरेन पॉवेल जॉब्स

Jan 14, 2025 13:14

एप्पल की मालकिन और अमेरिका के अरबपति कारोबारी स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल इन दिनों महाकुंभ में मौजूद हैं। मकर संक्रांति के दिन, उन्होंने महाकुंभ के पहले अमृत स्नान में हिस्सा लिया...

Prayagraj News : एप्पल की मालकिन और अमेरिका के अरबपति कारोबारी स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल इन दिनों महाकुंभ में मौजूद हैं। मकर संक्रांति के दिन, उन्होंने महाकुंभ के पहले अमृत स्नान में हिस्सा लिया। आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद सरस्वती के साथ वह रत्न जड़ित शाही रथ पर सवार होकर संगम तट पर डुबकी लगाने के लिए पहुंचीं। उनकी उपस्थिति को लेकर दुनियाभर की मीडिया स्तब्ध रह गई, खासकर जब उन्हें भगवा वस्त्रों में देखा गया, जो इस धार्मिक आयोजन में एक विशेष आकर्षण बन गया।

डुबकी के साथ अपना कल्पवास किया आरंभ
एप्पल की मालकिन लॉरेन पॉवेल जॉब्स महाकुंभ में कल्पवास के लिए पहुंची हैं। उनके गुरु, निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ने उन्हें महाकुंभ में 'कमला' नाम दिया है। कमला ने पौष पूर्णिमा के दिन प्रथम डुबकी के साथ अपना कल्पवास आरंभ किया। यह कदम महाकुंभ की धार्मिक परंपराओं के तहत एक महत्वपूर्ण आयोजन का हिस्सा बन गया, जिससे उनकी आस्था और श्रद्धा को और भी विशेष महत्व प्राप्त हुआ।




कड़ी सुरक्षा के बीच संगम तट पर पहुंची
लॉरेन पॉवेल जॉब्स महाकुंभ में सनातन परंपरा के कठिन अनुशासन के तहत कल्पवास करने के लिए सेक्टर-18 स्थित आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद के शिविर में रह रही हैं। वह तीन दिनों तक कल्पवास करेंगी और 15 जनवरी को वापस लौट जाएंगी। इस समय पूरी दुनिया की निगाहें लॉरेन पॉवेल पर हैं। मंगलवार को मकर संक्रांति के अवसर पर उन्होंने महाकुंभ के पहले अमृत स्नान में हिस्सा लिया। आचार्य कैलाशानंद सरस्वती के साथ रत्न जड़ित शाही रथ पर सवार होकर वह कड़ी सुरक्षा के बीच संगम तट पर डुबकी लगाने के लिए पहुंची।

सनातन की संस्कृति से होंगी परिचित
महाकुंभ के दौरान लॉरेन पॉवेल जॉब्स सादगी भरा जीवन बिताते हुए संगम की रेती पर सनातन की संस्कृति से परिचित होंगी और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करेंगी। वह कैलाशानंद गिरि के शिविर में रहकर शिव तत्व को समझने और सनातन संस्कृति के करीब जाने का प्रयास करेंगी। इस दौरान उनका अनुभव न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह उनके आध्यात्मिक यात्रा की भी महत्वपूर्ण शुरुआत होगी।

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