शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि पर सरकार ने वित्त विभाग को भेजी रिपोर्ट : 18 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई

UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Nov 21, 2024 00:01

इलाहाबाद हाईकोर्ट में शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि की मांग को लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई जारी है। न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की अदालत में याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने जानकारी दी...

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट में शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि की मांग को लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई जारी है। न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की अदालत में याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने जानकारी दी कि 2023 में शिक्षामित्रों को समान कार्य के समान वेतन दिलाने के लिए एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षामित्रों को दिया जाने वाला मानदेय सम्मानजनक नहीं है।

वित्त मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट
सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने अदालत को बताया कि इस मामले में वित्तीय बोझ का हवाला देते हुए करीब 1.5 लाख शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि की रिपोर्ट वित्त विभाग को भेजी गई है। वकील के अनुसार, रिपोर्ट में यह कहा गया है कि शिक्षामित्रों के वेतन में वृद्धि के लिए वित्त विभाग की सहमति आवश्यक है क्योंकि यह निर्णय राज्य पर अत्यधिक वित्तीय दबाव डाल सकता है। 2023 में इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि शिक्षामित्रों को न्यूनतम मानदेय राशि दी जा रही है, जो उनकी जीवनयापन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से एक समिति गठित करने का आदेश दिया था, ताकि वित्तीय इंडेक्स के आधार पर एक सम्मानजनक मानदेय तय किया जा सके।



अगली सुनवाई 18 दिसंबर को
12 जनवरी 2024 के आदेश के अनुपालन में शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट 9 अगस्त 2024 को सरकार को सौंप दी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर अब राज्य सरकार ने इस मुद्दे को वित्त विभाग के पास भेजा है ताकि आवश्यक वित्तीय मंजूरी प्राप्त की जा सके। राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि वित्तीय दबाव को ध्यान में रखते हुए, इस मामले पर निर्णय लेने में समय लग सकता है। इस पर अगली सुनवाई 18 दिसंबर 2024 को होगी जब इस मामले पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।

समाधान न होने पर आंदोलन करने को होंगे मजबूर
वहीं शिक्षामित्रों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन मिलना चाहिए। ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण अच्छे तरीके से कर सकें। उनके मुताबिक यदि सरकार जल्द ही इस मामले का समाधान नहीं करती है तो वे विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे। 

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