छात्रों के विरोध पर शिक्षाविद हैरान : प्रक्रिया समझने की अपील की, सड़क पर विरोध को बताया गलत

UPT | UPPSC परीक्षा विवाद

Nov 12, 2024 20:51

विशेषज्ञों का कहना है कि प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतियोगी छात्रों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे परीक्षा की प्रक्रिया को सही ढंग से समझें...

Prayagraj News : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित पीसीएस और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा में  मानकीकरण (नॉर्मलाइजेशन) को लेकर शिक्षाविदों और विषय के विशेषज्ञों ने अपनी राय दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतियोगी छात्रों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे परीक्षा की प्रक्रिया को सही ढंग से समझें। उन्हें मानकीकरण की प्रक्रिया की वास्तविक स्थिति को पूरी तरह से समझने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।

सड़क पर विरोध को बताया गलत
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी ने कहा कि जो छात्र स्वयं प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें यह विचार करना चाहिए कि सड़क पर उतरकर अव्यवस्था फैलाना उनके द्वारा अपेक्षित व्यवहार से कैसे मेल खाता है। उनका कहना है कि छात्रों को मानकीकरण की प्रक्रिया की वास्तविक स्थिति को समझने के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए और सिर्फ बिना समझे विरोध करना उचित नहीं है।



विशेषज्ञों ने दी अपनी राय
इसी बीच, मानकीकरण की प्रक्रिया पर भी विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की है। शिक्षाविद और काउंसलर डॉक्टर अपूर्वा भार्गव ने कहा कि यदि कुछ आंदोलित छात्र मानकीकरण प्रक्रिया का विरोध इस आधार पर कर रहे हैं कि इसमें विभिन्न विषयों के सेक्शंस में सरल और कठिन प्रश्न पूछे जाने से सभी को समान लाभ नहीं मिलेगा, तो यह दृष्टिकोण उचित नहीं है। उनका मानना है कि प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं में गुणात्मक सुधार की आवश्यकता हमेशा से रही है ताकि योग्य अभ्यर्थियों को इन सेवाओं में स्थान मिल सके। डॉक्टर भार्गव ने यह भी कहा कि मानकीकरण की प्रक्रिया इस सुधार का एक महत्वपूर्ण कदम है और यह पहले से ही कई राज्यों में लागू की जा रही है। इस आधार पर इसे लागू करने का विरोध समझ से परे है।

क्या कहते हैं निजी शिक्षा संस्थान संचालित
शिक्षाविद् और विशेषज्ञों के अतिरिक्त कई निजी शिक्षा संस्थान संचालित कर रहे लोगों का भी मानना है कि छात्रों को मानकीकरण की प्रक्रिया को समझना चाहिए। अनएकेडमी प्रयागराज के सेंटर हेड अमित त्रिपाठी ने भी पूरी प्रक्रिया का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया तो बहुत पहले लागू कर देनी चाहिए थी, क्योंकि इसमें काबिल छात्रों का ही फायदा है। नीट परीक्षा में भी इसे लागू किया गया था। यही नहीं, दूसरे राज्य भी कई परीक्षाओं में इसे शामिल कर चुके हैं और वहां इसका कोई विरोध भी नहीं हुआ। यहां इसका विरोध क्यों हो रहा है, ये समझना मुश्किल है। शासन तंत्र को इस प्रक्रिया के सकारात्मक पक्षों को प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्रों को समझाना चाहिए।

आयोग ने भी अपनी बात छात्रों के सामने रखी
इधर  लोक सेवा आयोग के सचिव अशोक कुमार का कहना है कि छात्रों की सुविधा और मांग पर ही शासन ने परीक्षा संबंधी नियमावली में बदलाव किया है। जब छात्रों ने आयोग के सामने प्रदर्शन कर यह  मांग रखी थी कि निजी स्कूल-कॉलेजों को केंद्र न बनाया जाए और परीक्षा केंद्रों की दूरी अधिक न हो। तब उनकी मांगों पर ही राजकीय और एडेड कॉलेजों को केंद्र बनाया जा रहा है और दूरी दस किमी रखी गई है। उनका यह भी कहना है कि मानकीकरण  सामान्य प्रक्रिया है और अधिकांश परीक्षाओं में इसे किया जा रहा है। आयोग ने भी विशेषज्ञों से फॉर्मूले पर राय ली है। इसमें किसी तरह के भेदभाव की कोई गुंजाइश ही नहीं है।

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