बीएचयू में मनुस्मृति दहन दिवस पर चर्चा : 13 छात्राओं की गिरफ्तारी, 16 दिन बाद मिली जमानत

UPT | भगत सिंह छात्र मोर्चा संगठन के कार्यकर्ता जानकारी देते हुए

Jan 12, 2025 19:49

भगत सिंह छात्र मोर्चा द्वारा एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें बताया कि विगत 25 दिसंबर को बीएचयू में मनुस्मृति दहन दिवस पर चर्चा करने के कारण भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के तीन लड़कियों समेत 13 छात्र छात्राओं को फर्जी व षड्यंत्रकारी तरीके से गंभीर धाराओं में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया।

Varanasi News : काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कैंपस में 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिवस पर भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा संगठन द्वारा की गई चर्चा के बाद 13 छात्र-छात्राओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसमें तीन छात्राएं भी शामिल थीं। पुलिस ने इन छात्रों को गंभीर धाराओं में फर्जी तरीके से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। हालांकि, 16 दिन बाद इन सभी छात्रों को जमानत मिल गई, लेकिन रिहाई के बाद छात्रों ने आरोप लगाया कि यह गिरफ्तारी उनकी कॅरियर को बर्बाद करने की साजिश थी और वे इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।

गैरकानूनी गिरफ्तारी का आरोप
भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा ने वाराणसी के मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में एक प्रेसवार्ता आयोजित की। इस दौरान छात्रों ने बताया कि 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिवस पर हुई चर्चा को लेकर उन्हें निशाना बनाया गया। इन छात्रों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया और बिना किसी ठोस कारण के जेल भेज दिया गया। 16 दिन बाद सभी छात्र-छात्राओं को जेल से रिहाई मिली।

16 दिन बाद छात्रों को मिली जमानत 
एडवोकेट प्रेम प्रकाश सिंह यादव ने बताया कि इन छात्रों की गिरफ्तारी पूरी तरह से गैरकानूनी थी। गिरफ्तारी के दौरान सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार से जुड़े गाइडलाइंस का उल्लंघन किया गया। खासकर तीन छात्राओं को 25 दिसंबर को ही गिरफ्तार किया गया, लेकिन एफआईआर में 26 दिसंबर का उल्लेख किया गया।

आकांक्षा आज़ाद ने किया संघर्ष का हवाला
भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की अध्यक्ष आकांक्षा आज़ाद ने कहा कि संगठन पिछले 10 सालों से बीएचयू में लोकतांत्रिक अधिकारों और विश्वविद्यालय प्रशासन की गलत नीतियों के खिलाफ संघर्ष करता आ रहा है। पिछले साल आईआईटी बीएचयू में एक छात्रा से हुए गैंगरेप के आरोपियों को विश्वविद्यालय और प्रशासन द्वारा संरक्षण दिए जाने पर भी मोर्चा ने आवाज उठाई थी। यह गिरफ्तारी उसी संघर्ष का बदला लेने के तौर पर की गई थी।

नागरिक समाज का समर्थन
नागरिक समाज से जुड़े एसपी राय ने कहा कि आज पूरे देश में लोकतंत्र पर खतरा मंडरा रहा है। विश्वविद्यालय ने मनुस्मृति पर शोध करने के लिए फेलोशिप दी थी, तो उस पर चर्चा करना गलत कैसे हो सकता है? यह घटना विश्वविद्यालय और पुलिस प्रशासन की मनुवादी सोच को दर्शाती है। नागरिक समाज छात्रों के साथ खड़ा है और आगामी संघर्ष के लिए बड़े आंदोलन की योजना बनाई जा रही है

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