अतुल सुभाष केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : सभी आरोपियों को अग्रिम जमानत, सिर्फ निकिता के चाचा को मिल सकेगी राहत

UPT | अतुल सुभाष केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला।

Dec 16, 2024 22:19

अतुल सुभाष सुसाइड मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का भी अब फैसला आ गया है। उच्च न्यायालय ने अतुल सुभाष की पत्नी निकिता, सास निशा...

Atul Subhash case : अतुल सुभाष सुसाइड मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का भी अब फैसला आ गया है। उच्च न्यायालय ने अतुल सुभाष की पत्नी निकिता, सास निशा, साले अनुराग और पत्नी के चाचा सुशील सिंघानिया को अग्रिम जमानत दे दी है। हालांकि पत्नी, सास और साला पहले ही अरेस्ट हो चुके हैं। ऐसे में यह राहत अब उनके किसी काम की नहीं रह जाती है। लेकिन यह राहत अब केवल अतुल की पत्नी के चाचा सुशील सिंघानिया को मिल जाएगी। अब उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकेगी।



अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
अतुल के आत्महत्या के बाद भाई की तहरीर पर चारों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। केस दर्ज करने के बाद कर्नाटक पुलिस जौनपुर स्थित घर पहुंची और नोटिस चस्पा की थी। इसी के बाद सभी ने उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। इस पर सोमवार की तारीख लगी थी। इससे पहले ही रविवार को पत्नी, सास और साले को कर्नाटक पुलिस ने गिरफ्तार कर बंगलुरु की कोर्ट में पेश कर दिया था। जहां से तीनों को न्यायिक हिरासत में जेल भी भेजा जा चुका है।

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आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई सवाल ही नहीं
अब अग्रिम जमानत अर्जी केवल सुशील सिंघानिया के लिए है। यह तर्क दिया गया कि गिरफ्तारी एक सुसाइड नोट और एक वीडियो के आधार पर की गई है, जो इंटरनेट पर वायरल हो गए हैं और सुशील सिंघानिया को मीडिया ट्रायल का सामना करना पड़ रहा है। 69 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति सुशील सिंघानिया हैं, जिन्हें कई तरह के पुरानी बीमारी है और वह लगभग अक्षम हैं। आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई सवाल ही नहीं है। यह भी कहा गया कि सुसाइड के लिए उकसाने और उत्पीड़न के बीच एक अंतर है और यदि सुसाइड नोट को उसके चेहरे पर लिया जाता है, तो सबसे ज्यादा आरोप उत्पीड़न के लिए लगाए जाएंगे, जो मृतक को झूठे मामलों में फंसाने और बड़ी रकम का पैसा निकालने के लिए हैं।

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आत्महत्या का अपराध नहीं कहा जा सकता
किसी भी मामले में बीएनएस की धारा-108, 3(5) के तहत आत्महत्या का अपराध नहीं कहा जा सकता है। यह भी तर्क दिया गया कि सुशील सिंघानिया को उचित समय के लिए सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए ताकि वह अपना पक्ष अदालत और संबंधित अधिकारियों के सामने प्रस्तुत कर सके और कर्नाटक राज्य में अदालत में उपलब्ध कानूनी उपाय का लाभ उठा सके, जहां एफआईआर हुई है। 

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