महाकालेश्वर कॉरिडोर में महाकाल लोक के लिए 100 से अधिक मूर्तियों का बन रहा स्वरूप : श्रीराम के रेखांकन बनाने वाले को मिली जिम्मेदारी

UPT | 100 से अधिक मूर्तियों का बन रहा स्वरूप

Nov 27, 2024 19:29

अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि में स्थापित भगवान श्रीराम की बाल्यावस्था की मूर्ति का रेखांकन करने वाले उत्तर प्रदेश ललित कला अकादमी के अध्यक्ष और काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय, वाराणसी के ललित कला विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार विश्वकर्मा को महाकाल लोक की 100 से अधिक मूर्तियों के रेखांकन की जिम्मेदारी दी गई।

Varanasi News : उज्जैन के महाकालेश्वर कॉरिडोर में महाकाल लोक का निर्माण किया जा रहा है। इस महाकाल कॉरिडोर को भव्य बनाने की तैयारी की जा रही है। इसमें 100 से अधिक मूर्तियों के रेखांकन की जिम्मेदारी वाराणसी के ललित कला विभाग के विभागाध्यक्ष को दी गई है। जिसमें भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों एवं अष्ट भैरव सहित कई मूर्तियों को रेखांकन की जिम्मेदारी मिली है।

अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि में स्थापित भगवान श्रीराम की बाल्यावस्था की मूर्ति का रेखांकन करने वाले उत्तर प्रदेश ललित कला अकादमी के अध्यक्ष और काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय, वाराणसी के ललित कला विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार विश्वकर्मा को महाकाल लोक की 100 से अधिक मूर्तियों के रेखांकन की जिम्मेदारी दी गई। डॉ. सुनील विश्वकर्मा ने बताया कि मूर्ति की रेखांकन करने के लिए ग्रंथों का अध्ययन करना पड़ता है। जिसके बाद ये आकृति तैयार की जाती है, जिसके कारण समय लगता है। पांच महीना पहले ये जिम्मेदारी मिली थी, जिस पर काम शुरू हो गया है। अब तक 16 मूर्तियों की ड्राइंग बनाकर मध्य प्रदेश भेजा गया है। 

डॉ. सुनील विश्वकर्मा ने बताया कि महाकालेश्वर कॉरिडोर में फाइबर की मूर्तियां लगाईं गई थीं। जो 28 मई 2023 को आए आंधी तूफान में उड़ गई थीं। इसमें सप्तऋषियों की मूर्तियां थी। इस समय महाकालेश्वर कॉरिडोर को संवारने का काम चल रहा है। ऐसे में अब वहां पत्थर, मार्बल और सैंड स्टोन के साथ ही साथ तांबे की मूर्तियां बननी हैं। इसमें से 100 मूर्तियों की ड्राइंग बनाना है। जिसमें से अभी तक 16 मूर्तियों की ड्राइंग उज्जैन भेजी जा चुकी है और उस पर काम शुरू हो चुका है। इसमें सप्तऋषि, अष्टभैरव और भगवान शिव की प्रतिमा है। भगवान शिव की यह प्रतिमा कॉरिडोर की सबसे ऊंची 40 फीट की प्रतिमा होगी।

डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि अष्ट भैरव की मूर्तियों भी ऐसे ही भाव उकेरे गए हैं। गीता प्रेस की सप्तऋषि और अष्ट भैरव पर छपी किताबें। शिव पुराण और इंटरनेट का भी सहारा लिया जा रहा है। अष्ट भैरव और सप्तऋषियों की मूर्ति में। इसमें इस बात का विशेष ध्यान ये रखा जा रहा है कि जो पुरानी तस्वीरें हमारे दिल में बसी हुई है। उससे अलग होनी चाहिये सभी मूर्तियां ऐसे में अध्ययन किया जा रहा है तब ही उनका ड्राइंग बनाया जा रहा है। इसमें अष्ट भैरव को उनके नाम के स्वरुप आकर और चहेरे पर एक्सप्रेशन दिए गए हैं। जैसे काल भैरव, आस भैरव आदि को उनके स्वरुप के अनुसार ड्राइंग किया गया है। साथ ही उनकी पोशाक और वाहन का भी खास ख्याल रखा गया है ताकि कहीं से भी मूर्ति एक न लगे।

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