कुंभ में मुस्लिम प्रवेश पर सुमेरू पीठ के स्वामी सख्त : नरेंद्रानंद ने की प्रतिबंध की मांग, बोले- आस्था को पहुंचेगी ठेस

UPT | सुमेरू पीठ के स्वामी नरेंद्रानंद

Nov 11, 2024 11:34

सुमेरू पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने हाल ही में महाकुंभ में मुस्लिम समुदाय के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग का समर्थन किया है। उनका कहना है कि महाकुंभ में मुस्लिम समुदाय की उपस्थिति...

Varanasi News : सुमेरू पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने हाल ही में महाकुंभ में मुस्लिम समुदाय के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग का समर्थन किया है। उनका कहना है कि महाकुंभ में मुस्लिम समुदाय की उपस्थिति सनातन धर्म के अनुयायियों की आस्था और श्रद्धा को ठेस पहुंचा सकती है। स्वामी नरेंद्रानंद ने इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में केवल उन लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। जो सनातन धर्म के अनुयायी हैं क्योंकि यह आयोजन एक पवित्र अवसर होता है और इसमें अन्य धर्मों की भागीदारी से धार्मिक भावनाओं को आघात पहुंच सकता है।

विपक्षी नेताओं की आलोचना
स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने महाकुंभ में मुस्लिम समुदाय के प्रवेश का समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि ये नेता देशहित के बजाय उग्रवाद को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे हैं। उनका आरोप है कि कुछ नेताओं के बयान भारतीय समाज में धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देते हैं। जो अंततः देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। शंकराचार्य ने सरकार से अपील की है कि ऐसे नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, जो इस तरह के विवादास्पद बयान देकर समाज में असंतोष और तनाव फैलाते हैं।

कुंभ मेले में संतों के बीच चर्चाएँ
स्वामी नरेंद्रानंद ने कुंभ मेले में संतों के बीच चल रही चर्चाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि संतों के बीच वक्फ बोर्ड को समाप्त करने और सनातन मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने जैसे मुद्दों पर गंभीर विचार-विमर्श हो रहा है। उनका मानना है कि यदि वक्फ बोर्ड को समाप्त करना संभव नहीं है तो कम से कम सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक अलग बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए ताकि उनके धार्मिक अधिकारों का संरक्षण किया जा सके।

सनातन हिंदू महासंघ के गठन का प्रस्ताव
स्वामी नरेंद्रानंद ने आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की तर्ज पर "सनातन हिंदू महासंघ" के गठन का प्रस्ताव भी रखा। उनका कहना है कि इस महासंघ के माध्यम से हिंदू धर्म के अनुयायियों को एकजुट किया जा सकता है और सनातन धर्म के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए एक सशक्त मंच तैयार किया जा सकता है। उनका मानना है कि इस महासंघ के गठन से हिंदू समाज की ताकत बढ़ेगी और धार्मिक मामलों में अधिक प्रभावी कदम उठाए जा सकेंगे।

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