काशी में करोड़पति साहित्यकार का निधन : नहीं रहे 400 किताबें लिखने वाले श्रीनाथ खंडेलवाल, बेटा-बेटी ने घर से निकाला तो वृद्धाश्रम में बीता अंतिम समय

फ़ाइल फोटो | वरिष्ठ साहित्यकार श्रीनाथ खंडेलवाल

Dec 29, 2024 00:53

वाराणसी के वरिष्ठ साहित्यकार श्रीनाथ खंडेलवाल का शनिवार को निधन हो गया। 80 करोड़ की प्रॉपर्टी होने के बावजूद बेटे-बेटी की बेरुखी के कारण उनका अंतिम समय वृद्धाश्रम में बीता....

Varanasi News : वाराणसी के वरिष्ठ साहित्यकार श्रीनाथ खंडेलवाल का शनिवार को निधन हो गया। 80 करोड़ की प्रॉपर्टी होने के बावजूद बेटे-बेटी की बेरुखी के कारण उनका अंतिम समय वृद्धाश्रम में बीता। 82 वर्ष की आयु के शरीर छोड़ने वाले इस 'करोड़पति' साहित्यकार ने करीब 400 किताबों की रचना की। इसमें पुराणों का अनुवाद और धार्मिक ग्रंथ प्रमुख हैं। एक और विडंबना देखिए, जहां उन्होंने दम तोड़ा, उसका नाम दीर्घायु अस्पताल है।



श्रीनाथ खंडेलवाल मार्च 2024 से काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम में रह रहे थे। जिनका कुछ माह पूर्व एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें श्रीनाथ खंडेलवाल ने अपनी पारिवारिक स्थिति के बारे में बताया था। जिसको सामाजिक कार्यकर्ता अमन कबीर ने उठाया था। एक मीडिया इंटरव्यू में श्रीनाथ खंडेलवाल ने बताया था कि बेटा-बेटी ने घर से निकाल दिया है। 80 करोड़ की संपत्ति से बेदखल कर दिया है। श्रीनाथ खंडेलवाल पिछले दस दिनों से भर्ती थे। हार्ट, किडनी, लीवर से संबंधित बीमारियों का इलाज चल रहा था।

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 शनिवार को खंडेलवाल की माैत के बाद अमन ने एक बार फिर उनके बेटे को फोन लगाया तो उसने बनारस से बाहर होने की बात कह दी। बेटी ने फोन नहीं उठाया तो उन्हें मैसेज के माध्यम से जानकारी दे दी गई। इसके बाद अमन कबीर ने अपने साथी रमेश श्रीवास्तव, शैलेंद्र दुबे, आलोक, सोनू यादव, प्रफुल्ल प्रकाश राय ने कंधा देकर श्रीनाथ की लाश को काशी के मर्णिकर्णिका घाट पर पहुंचाया। यहां अमन ने उनका विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया। इसके बाद पिंडदान की क्रिया को भी पूर्ण कराया।

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श्रीनाथ खंडेलवाल का संक्षिप्त परिचय
15 साल की उम्र से लेखन शुरू किया। 400 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें शिव पुराण, मत्स्य पुराण जैसे ग्रंथ शामिल हैं। मत्स्य पुराण : 3000 पन्नों की रचना। हिंदी, संस्कृत, असमी और बांग्ला में महारथ हासिल। उनकी किताबें ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिनमें से कई की कीमत हजारों रुपये है। जीवन के अंतिम समय में श्रीनाथ खंडेलवाल नरसिंह पुराण का हिंदी अनुवाद कर रहे थे, जिसे पूरा करने की उनकी अंतिम इच्छा अधूरी रह गई।

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