अमेठी में 120 साल पुराने शिव मंदिर को लेकर विवाद : दूसरे समुदाय पर कब्जे का आरोप, हिंदू पक्ष ने प्रशासन को सौंपा ज्ञापन

दूसरे समुदाय पर कब्जे का आरोप, हिंदू पक्ष ने प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
UPT | अमेठी में मिला 120 साल पुराना मंदिर

Dec 24, 2024 16:05

अमेठी जिले के औरंगाबाद गांव में स्थित एक 120 साल पुराना धार्मिक स्थल हाल ही में विवाद का कारण बन गया है। हिंदू समुदाय का दावा है कि यह स्थल एक शिव मंदिर है, जिसे अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा कब्जा कर लिया गया है...

Dec 24, 2024 16:05

Amethi News : अमेठी जिले के औरंगाबाद गांव में स्थित एक 120 साल पुराना धार्मिक स्थल हाल ही में विवाद का कारण बन गया है। हिंदू समुदाय का दावा है कि यह स्थल एक शिव मंदिर है, जिसे अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा कब्जा कर लिया गया है। इस मुद्दे को लेकर हिंदू पक्ष ने जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया, जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की। जांच के दौरान यह पाया गया कि वहां एक मंदिर स्थित है, लेकिन वह अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। 

दूसरे समुदाय पर कब्जा करने का आरोप
दरअसल, यह विवाद अमेठी के मुसाफिरखाना स्थित औरंगाबाद गांव से जुड़ा हुआ है, जहां 120 वर्ष पुराना एक पांच शिखर शिव मंदिर स्थापित था। हाल ही में कुछ लोगों ने प्रशासन से शिकायत की कि गैर समुदाय के लोगों ने इस मंदिर पर कब्जा कर लिया है और अब पूजा-पाठ में भी रुकावट डाल रहे हैं। इसके बाद, प्रशासन ने मौके पर जाकर स्थिति की जांच शुरू की और ग्रामीणों से पूछताछ की। फिलहाल, पुलिस प्रशासन मंदिर के इतिहास के बारे में और जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहा है।



दलित व्यक्ति ने करवाया था मंदिर का निर्माण
ग्रामीणों के अनुसार, यह मंदिर एक समय में एक दलित व्यक्ति जेठू राम द्वारा बनवाया गया था। बताया जाता है कि जेठू राम पर किसी जानवर को मारने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद उन्होंने गांव के पंडित शंभूनाथ तिवारी को मंदिर निर्माण के लिए पूरा खर्च दिया था। पंडित तिवारी ने मंदिर का निर्माण करवाया और खुद ही लंबे समय तक वहां पूजा-अर्चना की। पंडित तिवारी के निधन के बाद उनके बेटे भी गांव छोड़कर चले गए और धीरे-धीरे मंदिर का रखरखाव बंद हो गया।

खंडहर में बदल चुका है मंदिर
मंदिर के जर्जर होने के बाद पूजा-पाठ भी रुक गया था। इसके बाद मंदिर के आसपास के लोग बताते हैं कि पंडित तिवारी के बाद उनके चारों बेटे गांव छोड़कर चले गए और अपनी संपत्ति गांव के कुछ लोगों को बेच दी। इसके बाद मंदिर की स्थिति बिगड़ती चली गई और अब यह पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुका है। हालांकि, गांव के प्रधान प्रतिनिधि आलम का कहना है कि इस मंदिर पर किसी भी प्रकार का कब्जा नहीं किया गया है। उनका कहना है कि मंदिर वैसे ही पड़ा हुआ है और यहां कोई पूजा करने नहीं आता है।

एसडीएम ने क्या कहा
एसडीएम प्रीति तिवारी ने इस मामले में बताया कि मामले की जांच तहसीलदार को सौंप दी गई है। उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, गांव में शांति व्यवस्था बनी हुई है और पुलिस प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में रखा है। जांच रिपोर्ट आने के बाद मामले की सही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

बुलंदशहर में मिला मंदिर
इसी तरह, बुलंदशहर के खुर्जा में भी एक सालों से बंद पड़ा मंदिर मिला, जिसके जीर्णोद्धार की मांग की जा रही है। यह मंदिर लगभग 50 साल पुराना है और 1990 के दंगों के बाद से बंद पड़ा हुआ था। हिंदू संगठनों ने प्रशासन से अपील की है कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाए और पूजा-पाठ फिर से शुरू किया जाए। वहीं, संभल और वाराणसी में भी पुराने मंदिरों के मामले सामने आए हैं, जहां बंद पड़े मंदिरों को फिर से खोलने की प्रक्रिया चल रही है। 

संभल और वाराणसी में बंद मिले मंदिर
संभल में 1978 से बंद पड़े एक मंदिर को हाल ही में फिर से खोला गया और वहां पूजा-पाठ भी शुरू कर दिया गया। इसके अलावा वाराणसी के मदनपुरा इलाके में भी 250 साल पुराना एक मंदिर मिला है, जहां हिंदू संगठनों ने पूजा शुरू करने की मांग की है।

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