चेन्नई ने मंजूर की अयोध्या की अर्जी : इन उत्पादों को मिलेगा जीआई टैग, 10 हजार लोगों को मिलेगा सीधा लाभ

इन उत्पादों को मिलेगा जीआई टैग, 10 हजार लोगों को मिलेगा सीधा लाभ
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Sep 19, 2024 11:20

अयोध्या में हनुमानगढ़ी का प्रसिद्ध लड्डू पहले ही जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) उत्पाद में शामिल हो चुका है। अब अयोध्या के अन्य पारंपरिक उत्पादों जैसे गुड़, खुरचन पेड़ा, चंदन, टीका और खड़ाऊ...

Sep 19, 2024 11:20

Ayodhya News : अयोध्या में हनुमानगढ़ी का प्रसिद्ध लड्डू पहले ही जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) उत्पाद में शामिल हो चुका है। अब अयोध्या के अन्य पारंपरिक उत्पादों जैसे गुड़, खुरचन पेड़ा, चंदन, टीका और खड़ाऊ को भी जीआई उत्पाद के रूप में मान्यता मिलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह कदम स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

जीआई विशेषज्ञ का प्रयास
काशी के निवासी और जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत ने इन उत्पादों को ओडीओपी के तहत जीआई रजिस्ट्री चेन्नई को आवेदन दिया। उनका आवेदन स्वीकार कर लिया गया है और डॉ. रजनीकांत ने जानकारी दी है कि तकनीकी और कानूनी प्रक्रिया के तहत इन सभी पांच उत्पादों के जीआई आवेदन को मंजूरी मिल गई है।


यह उत्पाद वैश्विक स्तर पर बनाएंगे पहचान 
इन पारंपरिक उत्पादों की पहचान और मान्यता के बाद अयोध्या के ये उत्पाद भारत की बौद्धिक संपदा में शामिल हो जाएंगे। इस कदम से न केवल अयोध्या की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षण मिलेगा बल्कि यह उत्पाद वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बनाएंगे।

स्थानीय कारोबार को मिलेगा बल
डॉ. रजनीकांत के अनुसार अयोध्या में तीर्थयात्रियों और दर्शनार्थियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इस दौरान नकली उत्पादों की बढ़ती मौजूदगी से स्थानीय बाजार को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए पारंपरिक उत्पादों को जीआई के लिए आवेदन करने का निर्णय लिया गया है। इससे न केवल स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा बल्कि लगभग 10,000 लोगों को इसका सीधा लाभ भी मिलेगा।

जानिए क्या है जीआई टैग 
जीआई टैग एक विशेष पहचान होती है। जो किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं को देती है। इसका मुख्य उद्देश्य उन उत्पादों को संरक्षित करना और उनके असली उत्पादन स्थान की पहचान को सुनिश्चित करना है।

जीआई टैग के लाभ
  • यह उत्पादों को नकली या घटिया माल से बचाता है।
  • यह स्थानीय उत्पादकों को अपने उत्पाद की पहचान बढ़ाने में मदद करता है।
  • यह क्षेत्रीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देता है।

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