रामनगरी : अयोध्या में इस जगह लक्ष्मण जी ने त्यागा था अपना शरीर, सरयू किनारे स्थित है ये जगह

अयोध्या में इस जगह लक्ष्मण जी ने त्यागा था अपना शरीर, सरयू किनारे स्थित है ये जगह
Uttar Pradesh Times | प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी

Dec 31, 2023 14:07

अयोध्या में सरयू तट पर लक्ष्मण किला मंदिर स्थित है। यहां राम-सीता के साथ लक्ष्मण जी भी विराजमान हैं।इस जगह को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां दैवीय शक्तियों का वास है।

Dec 31, 2023 14:07

Short Highlights
  • यहां राम-सीता के साथ लक्ष्मण जी भी विराजमान हैं।
  • इस जगह को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां दैवीय शक्तियों का वास है।
Ayodhya News : अयोध्या में राम मंदिर बनने जा रहा है। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। जहां प्रभु श्री राम का मंदिर है। वहां कई और देवताओं की भी मूर्ति लगाई जाएगी। लक्ष्मण जी उनमें से एक हैं। लक्ष्मण जी प्रभु श्री राम और सीता माता के साथ साये की तरह रहे थें। अयोध्या में सरयू तट पर लक्ष्मण किला मंदिर स्थित है। यहां राम-सीता के साथ लक्ष्मण जी भी विराजमान हैं।इस जगह को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां दैवीय शक्तियों का वास है।

भगवान श्री राम ने किया था 10000 वर्षों तक राज 
लक्ष्मण किला मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री राम लंका विजय के बाद 10000 वर्षों तक राज करने के बाद अपनी लीला को समाप्त करते हुए जब वापस जाने की इच्छा जतायी तो एक दिन काल के साथ अपने महल में वार्ता कर रहे थे। शर्त यह थी कि काल और भगवान राम के बीच वार्ता के दौरान कोई भी व्यक्ति अयोध्या में उस कमरे के अंदर नहीं आएगा, अगर कोई अंदर आता है तो जो द्वार के बाहर खड़ा होगा उसे मौत की सजा सुनाई जाएगी।

भगवान श्रीराम ने लखनलाल को द्वार पर खड़ा कर दिया और कहा कि किसी को अंदर आने मत देना। लेकिन जब दुर्वासा ऋषि भगवान राम से मिलने के लिए आए तो लक्ष्मण जी ने उनको रोक दिया। इस बात से नाराज होकर दुर्वासा ऋषि अयोध्या  को ही श्राप देने लगे।उसके बाद दुर्वासा ऋषि के श्राप से अयोध्या को बचाने के लिए लक्ष्मण ने जब उस कमरे में प्रवेश किया, तो काल जो उस कमरे में बैठे थें वहां से अदृश्य हो गए। जिसके बाद प्रभु श्री राम के दिए वचन का पालन करते हुए लक्ष्मण जी ने भगवान राम के जाने से पहले ही सरयू में अपने शरीर को त्याग दिया। लक्ष्मण किला वही स्थान है, जहां पर सहस्त्रधारा सरयू जी में बहती है और यहीं पर लक्ष्मण जी ने अपना शरीर त्याग दिया था और शेष अवतार लिया लिया था ।

इस स्थान पर कोई भी झूठ नहीं बोल सकता है 
इस स्थान को सिद्ध स्थान के तौर पर देखा जाता है। यहां लोग अपने विवाद के निपटारे के लिए आते हैं। इस स्थान को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां पर सच्ची कसमें खाई जाती हैं। कोई भी व्यक्ति किसी विवाद में झूठी कसम खाता है, तो उसका झूठ काफी समय तक टिक नहीं पाता है और कुछ समय बाद ही लेकिन सच्चाई सामने आ ही जाती है। साथ ही उसे दंड भी मिलता है। इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मण किले में कोई व्यक्ति झूठ नहीं बोलता है।
 

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