पूर्व आईएएस अधिकारी और प्रसिद्ध लेखक कैप्टन राघवेंद्र विक्रम सिंह का निधन हो गया। वह लगभग एक साल तक बरेली के जिलाधिकारी रहे थे। कैप्टन सिंह की लेखनी भी बहुत प्रसिद्ध थी और उनके लेख देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों में प्रकाशित होते थे।
पूर्व आईएएस और वरिष्ठ लेखक का दिल्ली में निधन : बरेली के जिलाधिकारी रहे राघवेंद्र विक्रम, कार्यकाल को बहुत सराहा गया था
Sep 09, 2024 00:26
Sep 09, 2024 00:26
कैप्टन राघवेंद्र विक्रम सिंह अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के उपाध्यक्ष रहे थे और श्री राष्ट्रीय क्षत्रिय महासभा भारत के सलाहकार के रूप में कार्यरत थे। उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी दोस्त माना जाता था।
पीसीएस सेवा में कैसे आए
कैप्टन सिंह ने अपनी पीसीएस सेवा की शुरुआत की और बाद में आईएएस कैडर में शामिल हुए। उनकी ईमानदारी और काम के प्रति प्रतिबद्धता की वजह से वह केवल दो बार जिलाधिकारी बने। उन्होंने कभी भी अपने अच्छे पोस्टिंग के लिए किसी के पीछे भागने की जरूरत महसूस नहीं की। प्राथमिक शिक्षा उन्होंने अपने गांव से प्राप्त की और एमए की पढ़ाई गोरखपुर से की। उनके पिता गोरखपुर की फ़र्टिलाइज़र फैक्ट्री में काम करते थे, जिससे वह भी गोरखपुर चले गए। एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने सेना की शॉर्ट सर्विस कमीशन में चयनित हुए और फिर पीसीएस की परीक्षा पास की। बरेली से पहले, उन्होंने श्रावस्ती के जिलाधिकारी के रूप में भी कार्य किया।
कासगंज हिंसा से चर्चा में
उत्तर प्रदेश में भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार के गठन के बाद, कासगंज में हुई हिंसा के बाद कैप्टन राघवेंद्र विक्रम सिंह चर्चा में आए। हिंसा के कारणों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। हिंसा में चंदन गुप्ता को गोली लगी थी। उस समय बरेली के जिलाधिकारी के रूप में उन्होंने फेसबुक पर टिप्पणी की थी कि मुस्लिम मोहल्लों में जबरदस्ती जुलूस ले जाना और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाना अनुचित है। इस टिप्पणी के बाद काफी विवाद हुआ और उनका तबादला बरेली से कर दिया गया।
नेताओं और जजों पर तंज
कैप्टन सिंह ने केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह की डार्विन सिद्धांत पर टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने मजाकिया अंदाज में पूछा था कि अगर आदमी बंदर से बना है, तो बंदर आदमी क्यों नहीं बन सकते। इसके अलावा, गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के 'नीच' शब्द पर भी उनकी टिप्पणी चर्चा में रही थी। उन्होंने कहा था कि जब कोई 'चायवाला' देश का नेता बनेगा, तो पुराने सत्ता वर्गों में हंगामा होना स्वाभाविक है।
कैप्टन राघवेंद्र विक्रम सिंह की टिप्पणियों और लेखनी ने उन्हें एक विशिष्ट पहचान दिलाई। उनकी कमी को देश और समाज ने महसूस किया है।
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