महाराजगंज के सोहागीबरवा वन्य जीव प्रभाग में अब तेंदुए भी सुरक्षित नहीं हैं। लक्ष्मीपुर रेंज के वन चौकी टेढ़ी के पास सुबह एक तेंदुआ अचेत अवस्था में मिला। वनकर्मी उसे इलाज़ के लिए गोरखपुर चिड़ियाघर ले जाने ...
Maharajganj News : सोहागीबरवा जंगल में बेहोशी की हालत में मिला तेंदुआ, रीढ़ की हड्डी पर गहरे घाव से हुई मौत
Jun 25, 2024 11:53
Jun 25, 2024 11:53
सांसें तेज चल रही थीं
सोहागी बरवा वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ नवीन प्रकाश शाक्य ने बताया कि वन चौकी से थोड़ी दूरी पर एक तेंदुआ लेटा मिला। वनकर्मी जब पास पहुंचे तो वह बेहोश मिला। उसकी सांसें तेज चल रही थीं। उसे इलाज के लिए गोरखपुर चिड़ियाघर ले जाने की तैयारी की जा रही थी। इसी बीच उसकी मौत हो गई। तेंदुआ करीब 10 से 11 साल का है।
रीढ़ की हड्डी पर गंभीर घाव
गोरखपुर चिड़ियाघर के चिकित्सक डॉ. योगेश सिंह ने बताया कि तेंदुआ बूढ़ा था और उसकी रीढ़ की हड्डी पर पुराना घाव था। जिसके कारण तेंदुए को चलने में दिक्कत हो रही थी। वह शारीरिक रूप से भी काफी कमजोर हो गया था। रीढ़ की हड्डी पर गंभीर घाव के कारण उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद गोरखपुर में ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
जंगल में सुरक्षित नहीं वन्यजीव
सोहागीबरवा वन्य जीव प्रभाग के जंगलों में अवैध शिकार पर नियंत्रण न होने से वन्य जीवों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। सोमवार को जंगल में तेंदुए की मौत का कारण भी पूर्व में लगी चोट से फैला संक्रमण ही है। कहा जा रहा है कि तेंदुआ किसी तरह शिकारियों के हमले से बच गया, लेकिन घाव गहरा होने के कारण आखिरकार उसने सोमवार को जान दे दी। सोहागीबरवा या लक्ष्मीपुर रेंज के लिए यह मामला नया नहीं है, बल्कि अकेले लक्ष्मीपुर में पिछले 10 सालों में छह से अधिक तेंदुओं की मौत हो चुकी है।
वर्ष 2018 में लक्ष्मीपुर डाक बंगले के पीछे एक मृत तेंदुआ मिला था। इसके बाद दो साल बाद मार्च 2020 में कजरी के पास जंगल में एक तेंदुए की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। इसी क्रम में 2021 में फिर धोतियहवा के पास रोहिन के किनारे फंदे में फंसकर एक तेंदुआ घायल हो गया था। लखनऊ से आई विशेषज्ञ टीम ने तेंदुए के गले से तार का फंदा काटकर निकाला था। तीन दिन बाद उसकी भी मौत हो गई थी।
वर्ष 2022 में चैनपुर गांव के पास एक तेंदुए के फंदे में फंसने की सूचना मिली थी, जिसकी रेस्क्यू के दौरान मौत हो गई थी। ये अकेले लक्ष्मीपुर रेंज क्षेत्र के मामले हैं, इसके अलावा निचलौल और मधवलियां में भी तेंदुए मृत पाए गए हैं। ऐसे में वन अधिकारियों को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि उनकी जान सुरक्षित रहे।
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