Maharajganj News : हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने मां लेहड़ा देवी का दर्शन कर टेका मत्था, फिर...

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने मां लेहड़ा देवी का दर्शन कर टेका मत्था, फिर...
UPT | हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल।

Jul 08, 2024 00:51

राज्यपाल को गार्ड आफ ऑनर एस आई गुड्डू प्रभाकर की अगुवाई में दिया गया। जिससे खुश होकर राज्यपाल द्वारा गुड्डू प्रभाकर को रिवॉर्ड देने की बात कही गई। राज्यपाल के साथ बीजेपी के पूर्व विधायक फरेंदा...

Jul 08, 2024 00:51

Short Highlights
  • राज्यपाल के साथ उनकी धर्मपत्नी जानकी शुक्ला भी रही मौजूद
  • महाभारत काल से जुड़ा हुआ मां लेहड़ा देवी मन्दिर का इतिहास
Maharajganj News : हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला का जनपद महराजगंज के फरेंदा तहसील क्षेत्र से आठ किमी दूरी पर स्थित मां लेहड़ा देवी मंदिर में दर्शन कर मत्था टेका। उनके साथ में उनकी धर्मपत्नी जानकी शुक्ला भी मौजूद रहीं। उन्होंने कहा कि मां का बुलावा था। इसलिए आज उनका दर्शन करने का सौभाग्य मिला। 

बीजेपी ने नेता व कार्यकर्ता भी रहे मौजूद
राज्यपाल को गार्ड आफ ऑनर एस आई गुड्डू प्रभाकर की अगुवाई में दिया गया। जिससे खुश होकर राज्यपाल द्वारा गुड्डू प्रभाकर को रिवॉर्ड देने की बात कही गई। राज्यपाल के साथ बीजेपी के पूर्व विधायक फरेंदा बजरंग बहादुर सिंह और शिव सागर तिवारी सहित कई भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे। माता के मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए मंदिर के प्रांगण में पुजारी द्वारा पूजा अर्चना कराई गई ।
 
राजपाल की सुरक्षा को लेकर किया गया पुख्ता इंतजाम
राज्यपाल की सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुए अपर पुलिस अधीक्षक महाराजगंज आतिश कुमार, एस डी एम फरेंदा नवीन प्रकाश, नायब तहसीलदार अंकित अग्रवाल, सी ओ फरेंदा अनिरुद्ध कुमार तथा कई थानों की फोर्स साथ मौजूद रही।

हाथरस मामले पर राजनीति नहीं
मीडिया से बात करते हुए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि माता जी का बुलावा हुआ। आज मां लेहड़ा देवी का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके आगे उन्होंने कहा कि हाथरस का मामला दुखद है। इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। 
 
महाभारत काल से जुड़ा है मां लेहड़ा देवी मन्दिर का इतिहास
शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध दिव्य फलदायिनी लेहड़ा देवी मंदिर इतिहास के कई प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के समय की थी। मान्यता के अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने इसी स्थान पर यक्ष के प्रश्नों का सही उत्तर देकर अपने चारों भाइयों को पुनर्जीवित किया था। पांडवों की धर्मपत्नी द्रोपदी ने अपने आंचल को फाड़कर मां को चढ़ाया था। मां ने उनसे खुश होकर विजय का आशीर्वाद दिया था। उसके बाद पांचों भाइयों ने यहां शक्तिपीठ की स्थापना कर पूजा - अर्चना प्रारम्भ की। 

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