रेवन गांव के प्रधान प्रेमनारायण सिंह यादव ने कहा कि मृत्युभोज को बंद करना गांव का बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय है। यह निर्णय गांव के वरिष्ठ प्रबुद्धजनों की ओर से समाज और सर्व समाज के हित में लिया गया है...
अब नहीं होगी तेरहवीं : झांसी के एक गांव में मृत्युभोज का किया गया बहिष्कार, गरीबों को दान करने का निर्णय
Aug 26, 2024 21:23
Aug 26, 2024 21:23
पंचायत ने मृत्युभोज को समाप्त करने का प्रस्ताव
रेवन गांव में आयोजित खुली पंचायत में कई ग्रामीण शामिल हुए। इस बैठक में वरिष्ठ नागरिकों ने सुझाव दिया कि मृत्युभोज की परंपरा समाप्त होनी चाहिए। विशाल सिंह यादव ने कहा कि मृत्युभोज शास्त्रों के अनुसार नहीं है; यह समाज में दिखावा और 'क्या कहेगा' की मजबूरी है। अब लोग इस परंपरा को शादियों की तरह बड़े पैमाने पर आयोजित करने लगे हैं, जिससे कई लोग कर्ज में डूब जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह दिखावा किसी काम का नहीं है जो गरीबों को कर्जदार बना दे और कुप्रथाओं को समाप्त किया जाना चाहिए।
सुरेंद्र कौशिक ने भी टिप्पणी की कि शास्त्रों में मृत्युभोज का कोई उल्लेख नहीं है। शास्त्रों में तर्पण, मार्जन, हवन और ब्राह्मण भोज का उल्लेख है, लेकिन मृत्युभोज का नहीं। उन्होंने इसे भव्य आयोजन के रूप में सही नहीं ठहराया। पंचायत के इस सुझाव का ग्रामीणों ने समर्थन किया और फिर मृत्युभोज को पूरी तरह से समाप्त करने का निर्णय ले लिया।
अन्य गांवों के लिए प्रेरणा
रेवन गांव में मृत्युभोज को समाप्त करने का निर्णय क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है। लोग इस निर्णय का समर्थन और प्रशंसा कर रहे हैं। संभावना है कि यह निर्णय आसपास के गांवों में भी अपनाया जाए और इससे सकारात्मक बदलाव देखने को मिले। यह फैसला अन्य गांवों के लिए भी एक मिसाल साबित हो सकता है।
प्रधान ने कहा- यह गांव का महत्वपूर्ण निर्णय
रेवन गांव के प्रधान प्रेमनारायण सिंह यादव ने कहा कि मृत्युभोज को बंद करना गांव का बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय है। यह निर्णय गांव के वरिष्ठ प्रबुद्धजनों की ओर से समाज और सर्व समाज के हित में लिया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इससे आने वाले दिनों में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे और यह निर्णय समाज में फैली कुरीतियों को समाप्त करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
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