ग्रामीण इलाकों में भेड़ियों का आतंक बढ़ता जा रहा है, जिससे लोगों में दहशत फैल गई है। किसान, बच्चे और महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। भेड़ियों के हमलों से फसलें और मवेशी खतरे में पड़ गए हैं।
भेड़ियों का आतंक: डर के मारे ग्रामीणों ने खेतों पर जाना छोड़ा, बच्चे और महिलाएं घरों से बाहर नहीं निकल रहे
Sep 16, 2024 16:18
Sep 16, 2024 16:18
किसान लाठी डंडा लेकर टोली बनाकर खेतों तक पहुंच रहे हैं। बीते दिनों असगरपुर क्षेत्र में विदेश पाल के पालतू जानवरों पर जंगली जानवरों ने हमला बोल दिया था। घर से 200 मीटर दूर गन्ने के खेत में खींचकर ले गए थे। अगले दिन सुबह जब पालतू जानवर की खोजबीन की गई, तो जंगली जानवरों के पैरों के निशान मिले थे। तत्काल प्रभाव से इसकी सूचना वन विभाग को दी गई थी।
पिंजरा नहीं लगने से ग्रामीणों में दहशत
रेंजर राजेश कुमार वन दारोगा समीर सिंह सेंगर टीम के साथ मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने भी माना था कि यह जंगली जानवरों के पैरों के निशान हैं। रेंजर ने दारोगा को पिंजरा लगवाने के निर्देश दिए थे। वन विभाग के कर्मचारियों से निगरानी करने के लिए कहा था। दारोगा ने बीट प्रभारी हीरालाल, वन विभाग कर्मी नानकराम की तैनाती की थी। दोनों लोग दिन में निगरानी करते रहे, लेकिन पिंजरा नहीं लगाया गया।
समूह बनाकर पहुंच रहे खेत
ग्रामीणों के अंदर दहशत बढ़ती जा रही है, बच्चे और महिलाएं घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। खेतों में किसान अकेले नहीं जा रहे हैं, बल्कि की समूह बनाकर लाठी-डंडे के साथ जा रहे हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यदि पिंजरा लग जाता तो जंगली जानवर पकड़ में आ जाता। रेंजर राजेश कुमार ने बताया कि असगरपुर गांव में टीम की तरफ से पेट्रोलिंग कराई गई, लेकिन कहीं कोई जानवर नजर नहीं आया। यह भी हो सकता है कि कहीं दूसरी जगह चला गया हो।
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