उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक अनोखी घटना सामने आई है। यहां एक पिता अपनी बेटी को ससुराल वालों की प्रताड़ना से परेशान होकर तलाक लेने के बाद ढोल-नगाड़ों की थाप पर उसे वापस अपने घर ले आया। इस दौरान उन्होंने ससुराल वालों को सबक सिखाने के लिए...
दहेजलोभियो को पिता का सबक : ससुराल वालों की प्रताड़ना से परेशान बेटी को ढोल-नगाड़ों के साथ लाया घर, जानिए पूरा मामला
Apr 29, 2024 19:59
Apr 29, 2024 19:59
कानपुर : ▶️8 साल बाद बेटी का हुआ तलाक तो धूमधाम से वापस घर लाया पिता। ▶️ढोल-बाजे के साथ बेटी को लेने उसके ससुराल पहुंचा पिता। ▶️उर्वी दिल्ली एयरपोर्ट पर कार्यरत है, उनकी 5 साल की एक बेटी है। ▶️दहेज लोभी ससुरालियों ने किया प्रताड़ित। ▶️पिता ने की हर मां-बाप से अपील, बेटी का साथ न… pic.twitter.com/1VXAEJ2tlN
— Uttar Pradesh Times (@UPTimesLive) April 29, 2024
यह है पूरा मामला
घटना कानपुर के चकेरी गांव की है। यहां की रहने वाली उर्वी की शादी साल 2016 में आशीष रंजन से हुई थी। उर्वी दिल्ली एयरपोर्ट पर इंजीनियर है और उसकी एक 5 साल की बेटी भी है। लेकिन शादी के बाद से ही ससुरालियों ने उर्वी पर दहेज लेने और उसके रंग-रूप पर टिप्पणी करनी शुुरू कर दी। ससुराल की प्रताड़ना से आहत उर्वी ने 28 फरवरी को आशीष से तलाक ले लिया। इसके बाद शनिवार को वह अपने मायके कानपुर आ गई। रविवार को मायके वालों के द्वारा ढोल-नगाड़ों की थाप के साथ उर्वी को ससुराल से वापस लाया गया।
भाई ने ससुरालियों के खिलाफ लिखे संदेश
बताया गया कि ससुराल पहुंचकर उर्वी ने दरवाजे पर अपनी शादी की चुनरी बांध दी। फिर उसके चचेरे भाइयों ने घर की दीवारों पर यह संदेश लिख दिया कि "भगवान करे इस घर की चौखट पर कभी लक्ष्मी न आए।" साथ ही उन्होंने आशीष के लिए भी लिखा, "भगवान करे तुम्हें एक गिलास पानी देने वाला भी न मिले।" इसके अलावा उर्वी के मायके वालों ने यही संदेश पत्र में लिखकर आसपास के घरों में भी बांटा। हालांकि ससुराल वाले इस दौरान बाहर नहीं निकले।
पिता ने की ये अपील
उर्वी के पिता अनिल सविता ने इस मौके पर सभी मां-बाप से अपील की कि वे अपनी बेटियों का साथ कभी न छोड़ें। उन्होंने कहा कि बेटियां भी लड़कों की तरह ही समाज का हिस्सा हैं, इसलिए उन्हें भी सम्मान मिलना चाहिए। वहीं इस कदम का स्वागत करते हुए लोगों ने कहा कि आज के समय में ऐसे कदम उठाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि दहेज और बेटियों के प्रति प्रताड़ना करने वालों को सबक सिखाना चाहिए। इस पूरे मामले ने एक बार फिर बेटियों की सुरक्षा और दहेज प्रथा को लेकर बहस छेड़ दी है। एक तरफ जहां पिता ने बेटी के साथ खड़े होकर दहेज विरोधी संदेश दिया है, वहीं दूसरी तरफ ससुरालियों के आचरण से दहेज कुरीति देखने को मिली है।
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