लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद अब भाजपा संगठन के स्तर पर यूपी में हार के कारण तलाशे जा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह जीतने और हारने वाले प्रत्याशियों के साथ बातचीत कर धरातल का सच जानने का प्रयास कर रहे हैं।
UP Politics : भाजपा प्रत्याशियों ने गिनाई हार की वजह, उपचुनाव से पहले पार्टी सब दुरुस्त करने में जुटी
Jun 14, 2024 20:22
Jun 14, 2024 20:22
- प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह प्रत्याशियों के साथ कर रहे बैठक
- अपनी हार को लेकर खुलकर बोल रहे प्रत्याशी, लगाए आरोप
जनादेश को किया स्वीकार
प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने शुक्रवार को पार्टी बैठक के बाद कहा कि हमने संगठन की बैठक की है, जिस प्रकार के परिणाम आए हैं, उस जनादेश को हमने स्वीकार किया है। लेकिन, एक संगठन के नाते हमने सभी विषयों की समीक्षा करने का निर्णय किया है। मुझे निश्चित रूप से विश्वास है कि हम उन सब कारणों को दूर करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश व देश को विकसित बनाएंगे। हम उन सब कारणों को जानने का प्रयास करेंगे, जिनके कारण हमें अपेक्षा के मुताबिक परिणाम नहीं आए।
सभी लोकसभा सीटों पर जाकर हार का मंथन
यूपी में हार की वजह जानने के लिए सभी 80 लोकसभा सीटों में पदाधिकारियों को भेजने का निर्णय किया गया है। बताया जा रहा है कि हर लोकसभा में दो-दो पदाधिकारी हार का कारण जानेंगे। इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा के मंत्रियों सांसदों को हार का सामना करना पड़ा है। इसलिए एक-एक सीट पर हार की समीक्षा की जा रही है। हारने वाले उम्मीदवारों की ओर से बंद लिफाफे में भी सबूत सौंपने की चर्चा तेज है। बताया जा रहा है कि भाजपा इन सीटों पर प्रदेश पदाधिकारी, पूर्व विधायक और विधायकों की टीम बनाकर भेजेगी, जो क्षेत्र में जाकर अपनी जांच पड़ताल पूरी करेगी। पार्टी के कई नेता हार के पीछे अपनों का ही विरोध और चुनाव में साथ नहीं देने का आरोप लगा चुके हैं। मोहनलालगंज से चुनाव हारने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर, उन्नाव से पूर्व सांसद साक्षी महाराज, बांदा से हारने वाले आरके पटेल सहित अन्य नेताओं ने इसी तरह का आरोप लगाया है। संजीव बालियान और संगीत सोम का विवाद अब खुलकर सामने आ चुका है।
कई चेहरे होंगे बेनकाब
भाजपा खुद को पार्टी विथ डिफरेंस और कैडर बेस दल कहती है। लेकिन, चुनाव में उसके नेताओं ने भी अन्य दलों की तरह व्यवहार किया, जिसकी शिकायत अब खुलकर सामने आ रही है। अब टास्क फोर्स के जरिए छिपा हुआ सच सामने लाने की तैयारी की जा रही है। इसमें कई चेहरे बेनकाब होने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रत्याशियों के साथ हार के कारणों पर चर्चा में कई अहम बातें सामने आई हैं। सभी ने अपनी अपनी हार के कारण बताए हैं। वहीं जीतने वाले नेताओं ने संगठन और सरकार का आभार जताया है।
उपचुनाव से लेकर विधानसभा 2027 को लेकर कवायद
लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा की रिक्त सीटों पर उपचुनाव होने हैं। नगर निकायों, नगर पालिका और नगर पंचायतों में भी रिक्त पदों पर उपचुनाव होने हैं। इसके अलावा मिशन 2027 सबसे बड़ी लड़ाई है। ऐसे में भाजपा नेतृत्व और सरकार दोनों नहीं चाहते कि किसी भी कमी का फायदा विरोधी दलों को मिले। इसलिए वह हार के हर पहलू की समीक्षा करने में जुट गए हैं। टास्क फोर्स कई मुद्दों पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इनमें सियासी समीकरण बिगड़ने से लेकर संगठन की कमजोरी, उम्मीदवार की स्थिति, सरकार की योजनाओं का धरातल पर स्तर आदि बिंदु शामिल हैं। इसके आधार पर पार्टी नेतृत्व अपना निर्णय करेगा।
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