उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक नया कृषि क्रांति का दौर शुरू हो चुका है, जहां किसान पारंपरिक खेती से हटकर सरसों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। यह बदलाव न केवल किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक साबित हो रहा है, बल्कि कृषि क्षेत्र में एक नई दिशा का संकेत भी दे रहा है।
हरदोई के किसानों का सरसों की खेती की ओर रुझान : 20 दिनों में तैयार होने पर देती है दोगुनी आय, कमाल की इम्युनिटी बूस्टर है यह
Nov 15, 2024 10:19
Nov 15, 2024 10:19
- 20 दिनों में तैयार होने वाले सरसों के साग की भी हो रही बाजार में सप्लाई
- 20 दिनों की जमी हुईं सरसों देती है किसान को डबल मुनाफा
- इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर सरसों के साग की सब्जी मंडी में भारी मांग
- पारंपरिक खेती को छोड़कर किस तिलहन की खेती पर दे रहे जोर
तिलहन की खेती पर दे रहे जोर
हरदोई के किसान चंद्र भूषण ने बताया कि पहले वह गेहूं और धान की पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन कोरोना काल से वह सब्जी की खेती में हाथ आजमा रहे हैं। यह फायदे का सौदा है। इन दिनों वह सरसों की खेती कर रहे हैं। सरसों की खेती की खास बात यह है कि खेत में बुवाई के बाद 20 दिन में सरसों साग के लिए तैयार हो जाती है, जिसे बेचकर वह सब्जी मंडी से अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं। इसके तुरंत बाद जब सरसों बड़ी हो जाती है तो वह उसे अनाज मंडी में भेज देते हैं और दोगुना पैसा कमा लेते हैं। सर्दियों की शुरुआत में सरसों के साग की बाजार में अच्छी मांग रहती है और इससे अच्छा पैसा मिलता है। ज्यादातर लोग इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर सरसों का साग खाना पसंद करते हैं।
इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर भारी मांग
हरदोई के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. अमित शर्मा ने बताया कि सर्दी की शुरुआत में हरी सब्जियां पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। मौसम में बदलाव के साथ ही मानव शरीर अधिक प्रोटीन की मांग करता है। 100 ग्राम सरसों के साग में 3 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है। इसमें ए.बी.सी.ई विटामिन पाए जाते हैं। इसमें मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, जिंक और सेलेनियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज होते हैं। सरसों का साग हड्डियों को मजबूत बनाता है, फेफड़ों को स्वस्थ बनाता है। यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साग के सेवन से बढ़ती उम्र के लोग ऊर्जावान महसूस करने लगते हैं।
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20 दिनों की जमी हुईं सरसों देती है डबल मुनाफा
हरदोई के जिला उप कृषि निदेशक नंदकिशोर ने बताया कि सरसों की खेती के लिए यह सबसे अच्छा समय है। धान की फसल काटने के बाद खेत की जुताई कर उसे भुरभुरा बना लें। इसके बाद 5 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से कतार में सरसों के बीज बोने की जरूरत होती है। कतार में सरसों बोने के लिए 45 सेमी की दूरी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। 1 हेक्टेयर खेत में करीब 50 क्विंटल गोबर की खाद उपयुक्त होती है। सरसों की अच्छी पैदावार और खूबसूरती दोनों बढ़ाने के लिए सल्फर की जरूरत होती है। इसके लिए बाजार में उपलब्ध सल्फर युक्त खादों का इस्तेमाल किया जा सकता है। सरसों की फसल के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।समय से पानी और हिट नियंत्रण से हम अच्छी फसल प्राप्त कर सकते हैं सरसों की मांग बाजार में साल के सभी दिन रहती है इसलिए इसकी खेती किस के लिए मुनाफे का सौदा है। तिलहन की खेती के लिए सरकार के द्वारा किसानों को अनुदान और प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है अधिक जानकारी के लिए कृषि विभाग में संपर्क किया जा सकता है।
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