सुदूर गांव से निकले किसान की हुई पांच सितारा होटलों में जान पहचान
सलाद के बंपर उत्पादन से किसान हुआ मालामाल
Hardoi News : उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक किसान ने अपनी मेहनत और लगन से जिले का नाम देश में रोशन किया है खास बात यह है कि उसने पारंपरिक खेती से हटकर विदेशी फसल को अपनाया है लगातार खेती में जैविक खाद की मदद से की जा रही इस सलाद की खेती की मांग अब देश के कई भागों से आने लगी है किसान का कहना है कि यह सलाद का पत्ता पौष्टिक होने के साथ-साथ देखने में भी खूबसूरत लगता है और उसकी इस फसल की मांग देश के कई पांच सितारा होटल में होने लगी है जहां से अच्छा पैसा मिल रहा है।
माया नगरी से लेकर ताज नगरी तक सलाद का जलवा ए जलाल
हरदोई के बिलग्राम तहसील क्षेत्र के रहने वाले अनुभवी किसान सुधीर ने बताया कि वह अपनी पुश्तैनी खेती में पारंपरिक फसले काफी समय से उग रहा था ऐसा बाप दादाओ से होता आया है। कोरोना काल में खेती के बाद बचने वाले समय का भी सदुपयोग नहीं हो पा रहा था वह खेती का काम निपटा कर मेहनत मजदूरी शहर जाकर कर लेता था लेकिन कोरोना के कारण इसकी बाहरी आमदनी का जरिया पूरी तरीके से बंद हो गया था। उसका ज्यादातर समय मोबाइल के साथ बीत रहा था एक दिन उसने विदेशी खेती सलाद के विषय में एक आर्टिकल पढ़ना शुरू कर दिया। वह इस फसल के विषय में पहली बार जान रहा था उसने तुरंत ऑनलाइन बीच का ऑर्डर कर दिया और कुछ दिनों के बाद बीज भी आ गए थे तब से लेकर आज तक वह सलाद की खेती कर रहा है करीब 1 साल तक मेहनत करने के बाद अब इसकी खेती और मेहनत दोनों रंग लाने लगी हैं। उसकी सलाद की ज्यादातर मांग ताज नगरी आगरा और और माया नगरी मुंबई तक होने लगी है। उसने बताया कि इस फसल के पत्ते का उपयोग ज्यादातर पांच सितारा होटलों में सलाद को सजाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा भी इसे कई महंगे फास्ट फूड के व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। मार्केट में इसकी भारी मांग है और इसका काफी अच्छा मूल्य भी मिल जाता है इसकी खेती ने आर्थिक स्थिति में काफी सुधार किया है।
हरदोई के कृषि उप निदेशक नंदकिशोर ने बताया कि विदेशी फसलों में सलाद की फसल मुख्य होती है इसकी पत्तियों को प्याज, चुकंदर, मूली, गाजर, खीरा आदि की सलाद में प्रयोग किया जाता है। इसकी पत्तियों को बड़े होटलों में सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है इसकी खेती के लिए सर्दी का मौसम सबसे बेहतरीन माना गया है। 15 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान सलाद के लिए सबसे मुफीद होता है हल्की बलुई दोमट और मटियार दोमट खेती युक्त जमीन कारगर मानी गई है। खेती का पीएच मान 7 के अंदर ही उचित है इसकी प्रजातियों में स्लोवाट, चाइनीस येलो, ग्रेट लेकस मुख्य प्रजातियां शामिल है।
खेती की जमीन को खरपतवार और कीटों से शोधित करने के बाद में क्यारिया बनाकर पौध तैयार की जाती है। इसका बीज प्रति हेक्टेयर 500 ग्राम उचित है 25 सेमी की दूरी पर पौधे से पौध की दूरी उचित मानी गई है। सलाद का पत्ता पोषक तत्वों से भरपूर होता है। एक हेक्टेयर में करीब 30 से 40 टन तक इसकी पैदावार होती है। इसके प्रति किलो की बाजार में मांग एक सौ रुपए प्रति किलो तक है।
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