मरीज को केजीएमयू की ट्रॉमा वेंटिलेटरी यूनिट में भर्ती किया गया, जहां उसे उन्नत वेंटिलेटर सपोर्ट प्रदान किया गया। यूनिट के इंचार्ज डॉ. जिया अरशद ने बताया कि मरीज की स्थिति अत्यधिक गंभीर थी। लेकिन, विशेषज्ञों की टीम ने अपनी सूझबूझ और समर्पण से मरीज की स्थिति में सुधार किया।
KGMU : लिवर फेल मरीज की चिकित्सकों ने बचाई जान, डेढ़ महीने तक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती रहने पर बिगड़ी हालत
Jan 08, 2025 13:05
Jan 08, 2025 13:05
जटिल समस्याओं से जूझ रहा था मरीज
अमेठी निवासी इस मरीज को डेढ़ महीने तक लखनऊ के एक निजी अस्पताल में भर्ती रखा गया था, लेकिन जब स्थिति और अधिक बिगड़ गई, तो उसे केजीएमयू रेफर कर दिया गया। केजीएमयू के प्रवक्ता प्रो. सुधीर सिंह ने बताया कि मरीज को हेपेटिक फेल्योर (लिवर फेल), अल्टर्ड सेंसोरियम (होश खो देना), मेनिंगोइन्सेफेलाइटिस (दिमाग की सूजन), थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (प्लेटलेट्स की गंभीर कमी) और सेप्टिक शॉक जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इन परिस्थितियों के चलते मरीज की जान को तत्काल खतरा था।
उच्चस्तरीय वेंटिलेटर सपोर्ट बना जीवनरक्षक
मरीज को केजीएमयू की ट्रॉमा वेंटिलेटरी यूनिट में भर्ती किया गया, जहां उसे उन्नत वेंटिलेटर सपोर्ट प्रदान किया गया। यूनिट के इंचार्ज डॉ. जिया अरशद ने बताया कि मरीज की स्थिति अत्यधिक गंभीर थी। लेकिन, विशेषज्ञों की टीम ने अपनी सूझबूझ और समर्पण से मरीज की स्थिति में सुधार किया। अब मरीज स्थिर है और जल्द ही उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
चिकित्सकों की टीम का सराहनीय योगदान
इस जीवनरक्षक उपचार में केजीएमयू की ट्रॉमा वेंटिलेटरी यूनिट के आईसीयू इंचार्ज डॉ. रवि प्रकाश और डॉ. अभिषेक राजपूत ने अहम भूमिका निभाई। इनके साथ रेजिडेंट डॉक्टर अंकुर, डॉ. सृष्टि, डॉ. स्वाती, और डॉ. जौ ने मरीज की लगातार निगरानी और इलाज में योगदान दिया।
मरीज की हालत में लगातार सुधार
डॉ. जिया अरशद ने बताया कि लिवर फेल्योर और सेप्टिक शॉक जैसी स्थितियों से उबरना अत्यधिक कठिन होता है, लेकिन उच्चस्तरीय वेंटिलेटर सपोर्ट और विशेषज्ञ चिकित्सकीय देखभाल ने इसे संभव बनाया। मरीज की हालत अब पूरी तरह से नियंत्रण में है। चिकित्सकों के अनुसार, यह केस केजीएमयू की उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं का प्रमाण है। इस सफलता ने न केवल मेडिकल यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा को बढ़ाया है, बल्कि यह दिखाया है कि गंभीर परिस्थितियों में भी जीवन बचाया जा सकता है।
इन समस्याओं से जूझने पर मरीज लाया गया केजीएमयू
हेपेटिक फेल्योर : जब लिवर काम करना बंद कर दे
हेपेटिक फेल्योर, जिसे आमतौर पर लिवर फेल्योर कहा जाता है, तब होता है जब लिवर अपने मुख्य कार्य जैसे विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना, पोषण को पचाना और रक्त को शुद्ध करना बंद कर देता है। यह स्थिति जीवन के लिए खतरा बन सकती है।
कारण-
- हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण
- अत्यधिक शराब का सेवन
- फैटी लिवर डिजीज
- दवाओं का दुष्प्रभाव
अल्टर्ड सेंसोरियम : होश खोने की गंभीर स्थिति
यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मरीज की जागरूकता और संज्ञानात्मक क्षमता प्रभावित होती है। मरीज अक्सर असामान्य व्यवहार करता है और कभी-कभी पूरी तरह से होश भी खो देता है।
कारण-
- लिवर या किडनी की खराबी
- न्यूरोलॉजिकल समस्याएं
- शरीर में विषाक्तता का बढ़ना
- ब्रेन ट्रॉमा या स्ट्रोक
यह दिमाग और उसके आसपास के हिस्सों में सूजन की स्थिति है, जो बैक्टीरिया, वायरस या फंगल संक्रमण के कारण होती है। यह स्थिति तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप की मांग करती है।
कारण-
- वायरल संक्रमण (जैसे हर्पीस वायरस)
- बैक्टीरियल मेनिंगाइटिस
- ऑटोइम्यून बीमारियां
- फंगल संक्रमण
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया : प्लेटलेट्स की गंभीर कमी
यह स्थिति तब होती है जब रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या सामान्य से कम हो जाती है। प्लेटलेट्स रक्त का थक्का बनाने में मदद करते हैं, और इनकी कमी से अत्यधिक खून बहने का खतरा बढ़ जाता है।
कारण-
- डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां
- ऑटोइम्यून डिसऑर्डर
- बोन मैरो में असामान्यताएं
- कैंसर या कीमोथेरेपी
सेप्टिक शॉक एक जानलेवा स्थिति है जो तब होती है जब शरीर में संक्रमण रक्त प्रवाह में फैल जाता है और अंगों को प्रभावित करता है। यह रक्तचाप में खतरनाक रूप से गिरावट का कारण बनता है।
कारण-
- बैक्टीरिया या फंगल संक्रमण
- मूत्र मार्ग संक्रमण
- फेफड़ों का संक्रमण
- पेट का संक्रमण
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