यूपी की उच्च शिक्षा में नियुक्ति और प्रमोशन में अनियमितता की परत दर परत खुलती जा रही है। अब लखनऊ विश्वविद्यालय के अप्लाइड इकोनॉमिक्स विभाग के प्रो. विमल जायसवाल की नियुक्ति सवालों के घेरे में है।
लखनऊ विश्वविद्यालय : प्रो. विमल की नियुक्ति में खुल रही अनियमितता की एक-एक परत, विधायक अभय सिंह को जांच समिति पर नहीं भरोसा
Jan 18, 2025 21:45
Jan 18, 2025 21:45
नियमों की अनदेखी
लोकायुक्त संजय मिश्र के यहां दाखिल परिवाद में आरोप लगाया गया है कि लखनऊ विश्वविद्यालय के तत्कालीन प्रशासन ने नियमों की अनदेखी करके विमल जायसवाल की नियुक्ति की गई। 2005 में जब उनकी नियुक्ति हुई तब उस समय वह क्रीमीलेयर में आते थे, लेकिन पिछड़े वर्ग के आरक्षण का लाभ दिलाया गया।
नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज की मांग
लोकायुक्त के यहां दाखिल परिवाद में आरोप लगाया गया है कि अनियमित नियुक्ति के बाद विमल जायसवाल ने अकूत संपत्ति अर्जित की है। यह कहां से और कैसे अर्जित की उसकी जांच की बात भी की गई है।लोकायुक्त ने परिवादी के परिवाद पर नोटिस जारी कर दिया है। बताया गया है कि शिकायतकर्ता ने लखनऊ विश्वविद्यालय से विमल जायसवाल की नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज भी मांगें हैं। इसके लिए आरटीआई की उन धाराओं का हवाला दिया गया है, जिसमें लोक सेवक के पद पर तैनात अधिकारी से जुड़े दस्तावेज देने की बाध्यता है। विधायक अभय सिंह का कहना है कि योगी सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस के तहत कार्य कर रही है। उच्च शिक्षा में भ्रष्टाचार समाप्त करना भी सरकार का लक्ष्य है।
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