सपा सांसद आरके चौधरी की बड़ी मांग: संसद भवन से सेंगोल हटाकर संविधन की विशाल प्रति की जाए स्थापित

संसद भवन से सेंगोल हटाकर संविधन की विशाल प्रति की जाए स्थापित
UPT | SP MP R K Chaudhary

Jun 26, 2024 20:07

सपा सांसद आरके चौधरी ने कहा कि हमारा संविधान भारत के लोकतंत्र का एक पवित्र ग्रंथ है, जबकि सेंगोल अर्थात राजदंड राजतंत्र का प्रतीक है। हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है, किसी राजा या राजघराने का महल नहीं।

Jun 26, 2024 20:07

Lucknow News: लखनऊ की मोहनलालगंज लोकसभा से समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने संसद भवन से सेंगोल को हटाने की मांग की और इसे लोकतांत्रिक भारत में राजतंत्र का एक पुराना प्रतीक बताया है। उन्होंने इसकी जगह संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित करने की मांग की है। 

सेंगोल को बताया राजदंड राजतंत्र का प्रतीक 
सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद विरोध दर्ज कराते हुए चौधरी ने स्पीकर की कुर्सी के बगल में सेंगोल की मौजूदगी पर सवाल उठाया गया। उन्होंने इस संबंध में लिखे अपने पत्र में कहा कि आज मैंने इस सम्माननीय सदन में शपथ ली कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। लेकिन मैं सदन में पीठ के ठीक दाहिने स्थापित सेंगोल को देखकर चकित रह गया। हमारा संविधान भारत के लोकतंत्र का एक पवित्र ग्रंथ है, जबकि सेंगोल अर्थात राजदंड राजतंत्र का प्रतीक है। हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है, किसी राजा या राजघराने का महल नहीं। उन्होंने संसद भवन से सेंगोल हटाकर उसकी जगह भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित करने की मांग की है। 

आरके चौधरी की जीत की काफी हुई चर्चा
सपा सांसद आरके चौधरी इस बार पूर्व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर को हराकर लोकसभा पहुंचे हैं। उन्होंने कौशल किशोर को 70292 मतों से शिकस्त दी। आरके चौधरी को 667869 मत मिले, जबकि कौशल किशोर को 597577 वोट मिले। लखनऊ की मोहनलालगंज सीट पर केंद्रीय मंत्री की हार की काफी चर्चा हुई। इसे भाजपा के लिए बड़ा झटका माना गया। आरके चौधरी एक वक्त में कांशीराम के बेहद करीबी माने जाते थे। वह मायावती सरकार में मंत्री भी रहे। मोहनलालगंज सीट से तीन बार लोकसभा चुनाव में हार के बाद इस बार उन्हें जीत नसीब हुई। बसपा से अलग होने के बाद वह 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए फिर उन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

नए संसद भवन में पीएम मोदी ने की थी सेंगोल की स्थापना
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते वर्ष भारत के नए संसद भवन में राजदंड सेंगोल की स्थापना की है। तमिलनाडु के सदियों पुराने मठ के आधीनम महंतों की मौजूदगी में सेंगोल की नए संसद भवन के लोकसभा में स्थापना की गई। कहा जाता है कि सेंगोल राजदंड सिर्फ सत्ता का प्रतीक नहीं, बल्कि राजा के सामने हमेशा न्यायशील बने रहने और जनता के प्रति समर्पित रहने का भी प्रतीक रहा है। कहा जाता है कि जब अंग्रेजों ने भारत की आजादी का एलान किया था तो सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल का इस्तेमाल किया गया था। सेंगोल को प्रयागराज के एक संग्रहालय में रखा गया था। 

सेंगोल का इतिहास
गृह मंत्री अमित शाह ने इसको संसद में स्थापित करने के दौरान कहा था कि यह सेंगोल वही है जो स्वतंत्रता के समय पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू को दिया गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 की रात लगभग 10:45 बजे तमिलनाडु के अधिनाम के माध्यम से सेंगोल को स्वीकार किया, जिसके बाद इसका इस्तेमाल सत्ता हस्तांतरण के लिए किया गया। सेंगोल संस्कृत शब्द 'संकु' से लिया गया है, जिसका मतलब शंख है। तमिल में इसे सेंगोल कहा जाता है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है। 

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