शुरुआती 25 साल रहा कांग्रेस का कब्जा : सपा-बसपा के सामने किला भेदने की चुनौती, उन्नाव में साक्षी महाराज दोहराएंगे करिश्मा?

सपा-बसपा के सामने किला भेदने की चुनौती, उन्नाव में साक्षी महाराज दोहराएंगे करिश्मा?
UPT | उन्नाव में साक्षी महाराज दोहराएंगे करिश्मा?

May 09, 2024 19:56

उन्नाव की लोकसभा सीट समेत उत्तर प्रदेश की कुल 13 सीटों पर 13 मई को चुनाव होने हैं। 2024 में साक्षी महाराज फिर से भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। भाजपा को उम्मीद है कि वह इस बार 2019 से भी ज्यादा बड़ा करिश्मा कर दिखाएंगे। अन्नु टंडन कांग्रेस छोड़कर सपा में आ गई है।

May 09, 2024 19:56

Short Highlights
  • कांग्रेस ने 25 साल तक किया राज
  • रिकॉर्ड वोट से जीते साक्षी महाराज
  • 2024 का मुकाबला और ज्यादा दिलचस्प
Unnao News : उन्नाव की लोकसभा सीट समेत उत्तर प्रदेश की कुल 13 सीटों पर 13 मई को चुनाव होने हैं। इन सीटों में शाहजहांपुर, खीरी, धौरहरा, सीतापुर, हरदोई, मिश्रिख, फर्रुखाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर और बहराइच भी शामिल हैं। इसके पहले के 6 एपिसोड में हम शाहजहांपुर, खीरी, धौरहरा, सीतापुर, हरदोई, मिश्रिख की बात कर चुके हैं। आज बात उन्नाव की…

कांग्रेस ने 25 साल तक किया राज
देश में जब पहली बार आम चुनाव हुए, तो एक कहावत चलती थी कि कांग्रेस के टिकट पर अगर खंभा भी खड़ा हो जाए तो चुनाव जीत जाएगा। उन्नाव की शुरुआत भी कांग्रेस की जीत के साथ ही हुई। यह विजय रथ 25 साल बाद जाकर रुका। 1952 में कांग्रेस के दिग्गज नेता विश्वंभर दयालु त्रिपाठी ने जीत दर्ज की। 1957 में उन्हें दोबारा टिकट मिला, तो उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। लेकिन 1959 में विश्वंभर दयालु का निधन हो गया। सीट पर उपचुनाव हुआ, तो लीलाधर अस्थाना कांग्रेस के टिकट पर लड़े और जीत गए। इसके बाद 1962 में कृष्णा देव त्रिपाठी कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवार बने। उन्होंने बैक टू बैक 3 लोकसभा चुनाव लड़े और पहले 1962, 1967 और फिर 1971 में जीतकर हैट्रिक लगा दी।

इमरजेंसी के बाद बदला खेल
जैसा कि इसके पहले बताई गई हर सीट पर हुआ, उन्नाव में भी वही दोहराया गया। इमरजेंसी लगी और उसके हटने के बाद चुनाव हुए तो कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी। जनता पार्टी ने चुनाव जीत लिया और राघवेंद्र सिंह सांसद बन गए। फिर आया साल 1980। मोरारजी देसाई की सरकार ने बहुमत खो दिया और देश में फिर से चुनाव हुए। जियाउर रहमान अंसारी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत गए। 1984 में उन्हें दूसरी बार टिकट मिला और फिर जीत दर्ज की। लेकिन इसके बाद कांग्रेस का सूरज अगले 20 सालों के लिए उन्नाव में अस्त हो गया। 1980 में जनता दल के अनवर अहमद कांग्रेस से उन्नाव को छीन लिया और चुनाव जीतकर सांसद बन गए।

भाजपा ने लगाई जीत की हैट्रिक
1991 में जाकर भाजपा ने उन्नाव में अपनी जीत का खाता खोला। देवी बख्श सिंह उन्नाव से पहली बार सांसद बने। लेकिन उन्होंने एक रिकॉर्ड सेट किया। वह लगातार तीन बार 1991, 1996 और 1998 में जीते। इस हैट्रिक के साथ ही भाजपा अगले 15 सालों के लिए उन्नाव की लोकसभा सीट से बाहर हो गई। उन्नाव की सीट का यह इतिहास रहा है कि जीत की हैट्रिक लगाने वाली पार्टी यहां से अगला चुनाव नहीं जीत पाती है। कांग्रेस और भाजपा के मामले में हमने यही देखा। 1999 में यहां से समाजवादी पार्टी के दीपक कुमार चुनाव जीत गए। 2004 में लोकसभा चुनाव हुए, तो बसपा के टिकट पर ब्रजेश पाठक मैदान में उतरे। उन्होंने 17 हजार वोटों के मामूली अंतर से सपा के दीपक कुमार को हरा दिया। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमेश कुमार सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे।

2009 से बदल गया समीकरण
उन्नाव की सीट का समीकरण 2009 में बदल गया। 20 सालों बाद कांग्रेस ने न सिर्फ उन्नाव में वापसी की, बल्कि 3 लाख वोटों के बड़े अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी अन्नु टंडन ने बसपा प्रत्याशी अरुण शंकर शुक्ला को हरा दिया। इस चुनाव में अन्नु टंडन को 74.75 लाख वोट प्राप्त हुए, जबकि बसपा के अरुण शंकर शुक्ला को केवल 1.73 लाख वोट ही मिले। इस चुनाव में भाजपा चौथे नंबर पर रही। 2014 में साक्षी महाराज की एंट्री हुई। उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और सपा के अरुण शंकर शुक्ला को 3.1 लाख वोटों के अंतर से हरा दिया। इस चुनाव में बसपा के ब्रजेश पाठक को 2 लाख वोट मिले। हालांकि 2016 में पाठक ने बसपा छोड़ दी। आज वह भाजपा में हैं और उत्तर प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। अन्नु टंडन तीसरे 1.97 लाख वोट पाकर चौथे स्थान पर रहीं।

रिकॉर्ड वोट से जीते साक्षी महाराज
2019 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन कर लिया। भाजपा के साक्षी महाराज के सामने सपा प्रत्याशी अरुण शंकर शुक्ला और कांग्रेस की अन्नु टंडन एक बार फिर से मैदान में आए। इस चुनाव में साक्षी महाराज में रिकॉर्ड वोट पाकर जीत दर्ज की। उन्हें 7 लाख वोट मिले। वहीं सपा को केवल 3 लाख और कांग्रेस को मात्र 1.85 लाख वोट मिले। साक्षी महाराज ने करीब 4 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि इस बार सपा को गठबंधन के बावजूद बसपा का वोट ट्रांसफर नहीं हुआ।

2024 का मुकाबला और ज्यादा दिलचस्प
2024 में साक्षी महाराज फिर से भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। भाजपा को उम्मीद है कि वह इस बार 2019 से भी ज्यादा बड़ा करिश्मा कर दिखाएंगे। अन्नु टंडन कांग्रेस छोड़कर सपा में आ गई है। सपा ने उन्हें टिकट भी मिल गया है। ब्रजेश पाठक के भाजपा में चले जाने के बाद बसपा ने एक बार फिर ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया है। बसपा से अशोक पांडेय प्रत्याशी हैं। जानकार मानते हैं कि बसपा प्रत्याशी का जमीन पर कोई खास वजूद नहीं है। ऐसे में सीधी लड़ाई सपा और भाजपा के बीच है। उन्नाव में विधानसभा की जो 6 सीटें बाँगरमऊ, सफीपुर, मोहान, उन्नाव, भगवंत नगर और पुरवा हैं, उन सभी पर भाजपा का कब्जा है। यही वजह है कि यहां साक्षी महाराज की जीत आसान मानी जा रही है। उन्नाव की सीट पर लोधी और दलित वोटर्स बड़ी तादाद में हैं। साक्षी महाराज के सामने जहां एक ओर हैट्रिक की चुनौती है, तो वहीं सपा और बसपा के लिए वजूद बचाने की चुनौती होगी। वैसे भी अंतिम फैसला तो जनता को करना है।

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