विधायकों की संख्या के हिसाब से विधान परिषद की सीट भाजपा के खाते में जानी तय है। स्वामी प्रसाद मौर्य का कार्यकाल 6 जुलाई, 2028 तक था। इस वजह से शेष कार्यकाल तक के लिए नया सदस्य चुना जाएगा।
UP MLC By Election : स्वामी प्रसाद मौर्य की रिक्त सीट पर नामांकन 25 जून से, भाजपा ने अभी नहीं खोले पत्ते
Jun 25, 2024 01:20
Jun 25, 2024 01:20
- भाजपा शीर्ष नेतृत्व की मंजूरी के बाद करेगी उम्मीदवार के नाम की घोषणा
- विधायकों की संख्या कम होने के कारण सपा उपचुनाव से रह सकती है बाहर
- सपा के उपचुनाव नहीं लड़ने पर निर्विरोध चुना जाएगा सदस्य!
2028 तक होगा सदस्य का कार्यकाल
स्वामी प्रसाद मौर्य ने लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी और विधान परिषद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस के बाद उनकी रिक्त सीट पर उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित किया गया है। यह सीट विधानसभा क्षेत्र कोटे की है। इसमें विधानसभा के सदस्य ही अपने मत का प्रयोग करेंगे। ऐसे में विधायकों की संख्या के हिसाब से यह सीट भाजपा के खाते में जानी तय है। स्वामी प्रसाद मौर्य का कार्यकाल 6 जुलाई, 2028 तक था। इस वजह से शेष कार्यकाल तक के लिए नया सदस्य चुना जाएगा।
हार के बाद नई रणनीति बनाने में जुटे स्वामी प्रसाद मौर्य
स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देने के बाद राष्ट्रीय शोषित पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर कुशीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा और वह चौथे स्थान पर रहे। इस सीट पर भाजपा के विजय कुमार दुबे ने अपने निकटम प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू सैथवार को 81790 मतों से हराया। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य को मात्र 36575 वोट ही मिल सके। स्वामी प्रसाद मौर्य हार के बाद राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के पदाधिकारियों के साथ आगे की रणनीति बनाने में लगे हुए हैं। उन्होंने लखनऊ में पार्टी के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक भी की। मौर्य ने कहा कि इसमें पार्टी संगठन की आगामी रणनीति और संगठन के विस्तार के सम्बन्ध में बातचीत हुई।
सपा के उम्मीदवार उतारने पर संशय
उत्तर प्रदेश विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के 249 विधायक हैं। वहीं प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के 103 सदस्य हैं। इसके अलावा एनडीए के सहयोगी अपना दल सोनेलाल के 13, राष्ट्रीय लोक दल के 8, निषाद पार्टी के 5 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 6 सदस्य हैं। कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 5 हैं। ऐसे में सदन में विधायकों की संख्या के आधार पर भाजपा प्रत्याशी की जीत तय है। भाजपा की ओर से अभी उम्मीदवार का नाम तय नहीं किया गया है। इसे लेकर नेतृत्व विचार कर रहा है। वहीं समाजवदी पार्टी की ओर से भी अपने उम्मीदवार उतारने पर संशय है। कहा जा रहा है कि विधायकों की संख्या कम होने के कारण मुमकिन है कि सपा उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारे।
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