उपभोक्ता परिषद ने कहा कि पावर कारपोरेशन को रूल को लागू करने की जानकारी ही नहीं है। अभी दो दिन पहले भारत सरकार ने अपने रूल में कहा कि कनेक्शन शुल्क को फिक्स किया जाए। इस पर पावर कारपोरेशन उपभोक्ताओं पर भार डालने के लिए उल्टे कनेक्शन शुल्क में बढ़ोतरी करने के लिए केवल लाइन चार्ज में इजाफे का प्रस्ताव लेकर आ गया।
ईंधन अधिभार शुल्क पर अपने ही जवाब में फंसा UPPCL : नियामक आयोग ने जताई आपत्ति, उपभोक्ता परिषद बोला- मंशा ठीक नहीं
Sep 19, 2024 20:08
Sep 19, 2024 20:08
उपभोक्ताओं के हित में नहीं है कानून
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के बनाए जा रहे इस कानून का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह कानून प्रदेश के उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। पेट्रोल डीजल की तरह हर महीने लगाए जाने वाला ईंधन अधिभार शुल्क पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि इस पर भी जो प्रस्तावित व्यवस्था है कि पावर कारपोरेशन बिना आयोग की अनुमति के इसे उपभोक्ताओं पर लागू कर सकता है, वह पूरी तरह गलत है।
विद्युत नियामक आयोग को क्यों है इतनी जल्दबाजी
उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाया कि केंद्र सरकार का रूल चाहे आरपीओ (Renewable Purchase Obligation) का कानून रहा हो, उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली देने का कानून रहा हो या फिर कम बिजली देने पर उपभोक्ताओं को मुआवजा देने का कानून रहा हो, इन सभी पर भारत सरकार ने कानून बनाया है। लेकिन, आज तक उसे विद्युत नियामक आयोग ने नहीं लागू कराया। ऐसे में इस कानून को लागू कराने में इतनी जल्दबाजी क्यों की जा रही है।
यूपीपीसीएल ने जानबूझकर अपना नया हथकंडा
उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि उसकी नीयत हमेशा से यही रही है कि वह उपभोक्ताओं पर भार डालता रहता है। अब पावर कारपोरेशन को पता है कि देश व प्रदेश में कोई भी ऐसा कानून नहीं है जो प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सरप्लस होते हुए विद्युत दरों में बढ़ोतरी करा सके, तो पावर कारपोरेशन ने एक नया हथकंडा अपनाया है। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि अधिकारी चाहते हैं कि ईंधन अधिभार शुल्क के रूप में प्रत्येक माह उपभोक्ताओं पर भार डाला जाता रहे। लेकिन, उपभोक्ता परिषद इस कामयाब नहीं होने देगा।
कनेक्शन शुल्क को फिक्स करने के बदले उपभोक्ताओं का बोझ बढ़ाने वाला कदम
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि वास्तव में पावर कारपोरेशन को रूल को लागू करने की जानकारी ही नहीं है। अभी दो दिन पहले भारत सरकार ने अपने रूल में कहा कि कनेक्शन शुल्क को फिक्स किया जाए। इस पर पावर कारपोरेशन उपभोक्ताओं पर भार डालने के लिए उल्टे कनेक्शन शुल्क में बढ़ोतरी करने के लिए केवल लाइन चार्ज में इजाफे का प्रस्ताव लेकर आ गया। उन्होंने कहा कि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पावर कारपोरेशन रूल को किस तरह समझता है। टैरिफ पॉलिसी कहती है कि उपभोक्ताओं के रेगुलेटरी एसेट यानी कि निकले सरप्लस पर तीन साल में हिसाब बराबर होना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे में बिजली दरों में कमी क्यों नहीं की जा रही है। वर्तमान में बना रहे रूल में यह व्यवस्था की जाए कि जब तक उपभोक्ताओं का सरप्लस रहेगा ईंधन अधिभार शुल्क नहीं लागू हो सकता। साथ ही यह भी व्यवस्था की जाए कि बिना आयोग की अनुमति के पावर कारपोरेशन स्वतः इसे नहीं लागू कर सकता और वह भी हर तीसरे महीने लागू करने की जो पुरानी व्यवस्था है, वही लागू रहे।
पावर कारपोरेशन ने खुद खोल दी अपनी पोल
सुनवाई के दौरान पावर कारपोरेशन ने खुद ही अपनी पोल खोल दी। पावर कारपोरेशन की तरफ से रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट के मुख्य अभियंता डीसी वर्मा ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने पावर कारपोरेशन के तय किए गए प्रस्ताव को लिखित में दाखिल करते हुए कहा कि ईंधन अधिभार शुल्क के रूप में उपभोक्ताओं पर जब रुपये निकलेगा तो उनकी बिजली दरों में ईंधन अधिभार शुल्क का इजाफा किया जाएगा। लेकिन, जब ईंधन अधिभार शुल्क उपभोक्ताओं की बिजली दर को घटाने के लिए निकलेगा, तो उसे बाद में लागू किया जाएगा। उन्होंने ये भी कहा कि ईंधन अधिभार शुल्क एक महीने में नहीं लागू हो पाएगा। हर दूसरे महीने लागू हो सकेगा, इसलिए इसे दो माह में लागू करने की व्यवस्था की जाए।
नियामक आयोग ने उठाए सवाल
पावर कारपोरेशन का मत आते ही नियामक आयोग के अध्यक्ष और सदस्य ने इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि ईंधन अधिभार शुल्क में जो व्यवस्था है उसके तहत कभी दरें कम होंगी और कभी बढ़ेंगी। पावर कारपोरेशन ने यह कैसे सोच लिया कि खाली इससे दरे बढ़ेगी, ऐसा नहीं हो सकता है। जब उपभोक्ताओं का हिसाब निकलेगा तो दरे घटेंगी और जब पावर कारपोरेशन का निकलेगा तो दरें बढ़ेंगी। नोएडा पावर कंपनी के प्रतिनिधि ने भी कानून पर अपना पक्ष रखा।
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