प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की ओर से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता पर विद्युत नियामक आयोग के कार्रवाई शुरू किए जाने के बाद अब दक्षिणांचल व पूर्वाचल के निजीकरण का मामला पूरी तरह फंस चुका है।
UPPCL : नियामक आयोग की कार्रवाई से DVVNL-PuVVNL का 2026 तक नहीं हो सकता निजीकरण, बिजली कंपनियों की खामियां उजागर
Jan 25, 2025 21:54
Jan 25, 2025 21:54
यूपीपीसीएल प्रबंधन से जवाब तलब
प्रदेश की बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) वर्ष 2025-26 ट्रू अप वर्ष 2023-24 और परफॉर्मेंस रिव्यू वर्ष 2024-25 की दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता याचिका पर नियामक आयोग के सक्रिय होते ही खामियों की पोल खुलती नजर आ रही है। दक्षिणांचल, पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल, केस्को व नोएडा पावर कंपनी के एआरआर में भारी कमियां निकालते हुए डिफिशिएंसी नोट जारी कर
पावर कारपोरेशन से तुरंत जवाब तलब किया गया है।
दक्षिणांचल व पूर्वाचल के निजीकरण की राह में फंसा पेंच
दरअसल प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की ओर से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता पर विद्युत नियामक आयोग के कार्रवाई शुरू किए जाने के बाद अब दक्षिणांचल व पूर्वाचल के निजीकरण का मामला पूरी तरह फंस चुका है। अब बिजली दर की कार्रवाई विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 61, 62 व सब्सिडी के लिए अधिनियम की धारा 65 के तहत शुरू हो गई है। ऐसे में अब अप्रैल 2026 तक किसी भी हालत में पावर कारपोरेशन निजीकरण की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा सकता।
बिजली कंपनियों को शपथ पत्र पर दाखिल करना है जवाब
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियों को जहां सभी सवालों का जवाब शपथ पत्र पर दाखिल करना है, वहीं विद्युत नियामक आयोग ने वितरण हानियां पावर परचेज कैपिटल इन्वेस्टमेंट कंज्यूमर सिक्योरिटी नो टेरिफ इनकम सब्सिडी कैग रिपोर्ट एनर्जी बैलेंस स्मार्ट प्रीपेड मीटर सहित अनेक मामलों पर बिजली कंपनियों से अलग-अलग जवाब तलब किया है।
यूपीपीसीएल प्रबंधन की जवाबदेही तय
उपभोक्ता परिषद के अनुसार, इस तरह अब विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बिजली दर प्रक्रिया पर कार्रवाई शुरू हो गई है। किसी भी प्रक्रिया के तहत जब कार्रवाई शुरू हो जाए तो अब पावर कारपोरेशन को चाहे वह निजीकरण हो या कोई अन्य मामला, सब पर आम जनता के बीच में आना पड़ेगा। अब वह आम जनता के बीच में आने से अपने को बचा नहीं सकता, क्योंकि एक तरह से अब गुपचुप खेल पूरी तरह खत्म हो चुका है।
कैग रिपोर्ट भी की गई तलब
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों से वर्ष 2023 24 की कैग से ऑडिटेड रिपोर्ट भी तलब की है। साथ ही सब्सिडी के मामले में भी पूरे विस्तृत जवाब देने को कहा गया है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले में क्वार्टरली रिपोर्ट तलब की गई है। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के मामले में 2025-26 में पूंजीगत व्यय 2061 करोड़ खर्च करने की बात कही गई है। लेकिन, अभी तक केवल 1500 करोड़ का निवेश हुआ है, उस पर भी जवाब मांगा है।
लेट पेमेंट के नाम पर 8697 करोड़
आरडीएसएस में पूरे खर्च का डिटेल भी तलब किया है। इसी प्रकार दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में भी कल पूंजीगत व्यय में 2495 करोड़ की बात की गई है और अभी तक खर्च किए गए 1499 करोड़ के बारे में भी ब्योरा तलब किया गया है। वहीं आरडीएसएस पर होने वाले खर्च की भी पूरी जानकारी मांगी गई है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के मामले में एक गंभीर सवाल यह भी उठा है कि याचिका में वर्ष 2023-24 के मध्य में 8697 करोड़ लेट पेमेंट कर चार्ज दिखाया गया है, इसके बारे में भी पूरी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
संविदा कर्मियों के खर्च को रेगुलर कर्मचारियों की श्रेणी में डाला
एक अहम बात भी विद्युत नियामक आयोग के सामने आई है कि सभी बिजली कंपनियों में जो कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यानी संविदा कर्मी हैं, उनके खर्च को नियमित कार्मिकों में डाल दिया गया है, इसके बारे में भी पूरी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
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