संगठन ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में पहली बार आठ मुख्य अभियंताओं, जिसमें ज्यादातर वितरण क्षेत्र के हैं, सभी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की लाइन में लगे हैं।
UPPCL : उत्पीड़न से परेशान अभियंता मांग रहे वीआरएस, मुख्यमंत्री से गोपनीय टीम बनाकर जांच की मांग
Dec 29, 2024 19:31
Dec 29, 2024 19:31
अनुभवी अभियंताओं का सम्मान बचाने में विफल प्रबंधन
संगठन ने पदाधिकारियों ने कहा कि इस जांच से स्वत: मामला सामने आएगा कि अभियंताओं को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। संगठन ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में पहली बार आठ मुख्य अभियंताओं, जिसमें ज्यादातर वितरण क्षेत्र के हैं, सभी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की लाइन में लगे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की वर्तमान में बिजली निगमो में अभियंता अपने मान सम्मान को बचाने के लिए नौकरी के आखिरी समय में स्वयं नौकरी से अपने को अलग कर घर में बैठना उचित समझते हैं। पदाधिकारियों ने कहा कि ये स्थिति तब है, जब ऊर्जा क्षेत्र ऐसा तकनीकी विभाग है, जिसमें ऐसे अनुभव वाले अभियंताओं का ईमानदारी से सम्मान को बचाने के लिए पावर कारपोरेशन प्रबंधन को स्वत: आगे आना चाहिए था। लेकिन, ऐसा नहीं हो रहा है।
मुख्यमंत्री से गोपनीय जांच की मांग
एसोसिएशन के अध्यक्ष के बीराम, कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, ट्रांसमिशन अध्यक्ष सुशील कुमार वर्मा, प्रभाकर सिंह, महेस अहिरवार, राम सब्द, एके प्रभाकर ने कहा कि हमारी मुख्यमंत्री से मांग है कि ऊर्जा क्षेत्र में एक गोपनीय जांच टीम बनाकर सच्चाई सामने लाई जाए। इससे पूरा मामला सामने आ जाएगा।
अभियंताओं का मनोबल टूटा, प्रबंधन पर सवाल
पदाधिकारियों ने कहा कि ज्यादातर अभियंताओं का मनोबल टूट गया है और बड़े पैमाने पर लोग अवसाद से ग्रसित हैं। जो अपने आप में पावर कारपोरेशन प्रबंधन व बिजली कंपनियों के प्रबंधन की कार्य प्रणाली को दर्शाता है। पावर कारपोरेशन सहित बिजली कंपनियों का प्रबंधन लगातार अभियंताओं का मनोबल तोड़ रहा है, जिससे आने वाले समय में ऊर्जा क्षेत्र में गिरावट आएगी और उसका खामियाजा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ सकता है। इसलिए प्रदेश सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।
निजीकरण के खिलाफ 1 जनवरी को काली पट्टी बांधकर विरोध
पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने एक बार फिर ये घोषणा की है कि 1 जनवरी 2025 को पूरे प्रदेश में निजीकरण के विरोध में दलित व पिछड़ा वर्ग के अभियंता काली पट्टी बांधकर अपना नियमित काम करेंगे और निजीकरण का संवैधानिक विरोध करेंगे।
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