यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सभी दलित अभियंता कार्मिकों को संविधान को बचाने की शपथ दिलाई। इस अवसर पर दलित पिछड़े वर्ग के कार्मिकों ने कहा कि सबसे पहले आरक्षण पर ही बात करनी होगी। जिस तरह पावर कारपोरेशन निजीकरण करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, उससे साफ है कि उसने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया है।
दक्षिणांचल-पूर्वाचल में निजीकरण नहीं बर्दाश्त : दलित और पिछड़े वर्ग के कार्मिक आरक्षण पर आर-पार की लड़ाई को तैयार
Nov 26, 2024 18:37
Nov 26, 2024 18:37
दक्षिणांचल व पूर्वांचल निगम निजी हाथों में देने का विरोध
भारतीय संविधान दिवस पर मंगलवार को गोमतीनगर हाइडल ऑफिसर क्लब में इस मुद्दे पर अहम चर्चा की गई। इसमें दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं ने अपने आरक्षण के मुद्दे को लेकर पीछे हटने से साफ इनकार कर दिया। अभियंताओं ने बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की बनाई गई संवैधानिक व्यवस्था को आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश के ऊर्जा निगम दक्षिणांचल व पूर्वांचल को ट्रिपल पी मॉडल में दिए जाने का विरोध किया।
दलित अभियंताओं ने ली संविधान को बचाने की शपथ
इस दौरान राज्य सलाहकार समिति के सदस्य और यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सभी दलित अभियंता कार्मिकों को संविधान को बचाने की शपथ दिलाई। इस अवसर पर दलित पिछड़े वर्ग के कार्मिकों ने कहा कि सबसे पहले आरक्षण पर ही बात करनी होगी। जिस तरह पावर कारपोरेशन निजीकरण करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, उससे साफ है कि उसने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया है। इसी वजह से अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है। आरक्षित कर्मियों ने कहा कि सबसे पहले पदोन्नतियों में आरक्षण छीन गया और अब दलित अभियंताओं के आरक्षण पर कुठाराघात किया जा रहा है। जब इस इस मुद्दे पर स्पष्ट जवाब नहीं मिलेगा, दलित अभियंता पीछे नहीं हटेंगे। पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव अनिल कुमार ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं।
यूपीपीसीएल की बैठकों के जरिए समर्थन जुटाने की कोशिश
दरअसल यूपीपीसीएल के स्तर पर इस बात का पुरजोर प्रयास किया जा रहा है कि निजीकरण को लेकर किसी तरह का विरोध नहीं हो। इसके लिए वह ऊर्जा संगठनों के साथ बैठकें कर माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान सलाह भी ली जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक निजीकरण से कर्मचारियों का नुकसान नहीं होगा। इसके लागू होने के बाद भी कर्मचारियों के पेंशन और अन्य लाभ सुरक्षित रहेंगे। साथ ही संविदा कर्मचारियों के हितों को भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। चेयरमैन के पद पर भी शासन स्तर पर वरिष्ठ अफसर जिम्मेदारी संभालेंगे। ऐसे में सरकार का नियंत्रण होगा और उपभोक्ताओं के हितों की भी अनदेखी नहीं होगी। हालांकि विरोध करने वालों की दलील है कि प्राइवेट सेक्टर अपना मुनाफा कमाने के मकसद से आएंगे, ऐसे में उनके केंद्र में कहीं भी कर्मचारी और उपभोक्ता नहीं होंगे। इसलिए वह सभी बिंदुओं पर अपनी तसल्ली सुनिश्चित करना चाहते हैं, जो यूपीपीसीएल पर भारी पड़ रहा है।
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