UPPCL : बिजली चोरी-कमर्शियल लॉस की उपभोक्ताओं से वसूली! प्रस्तावित कानून में निजी घरानों को खुली छूट, नियामक आयोग पर उठे सवाल

बिजली चोरी-कमर्शियल लॉस की उपभोक्ताओं से वसूली! प्रस्तावित कानून में निजी घरानों को खुली छूट, नियामक आयोग पर उठे सवाल
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Jan 17, 2025 19:08

विद्युत नियामक आयोग के बनाए गए ड्राफ्ट में यह व्यवस्था की गई है की प्रदेश की बिजली कंपनियों में बिजली चोरी व कमर्शियल लॉस यानी भ्रष्टाचार को लेकर हुए नुकसान की भरपाई भी प्रदेश की जनता शेयरिंग के रूप में करेगी।

Jan 17, 2025 19:08

Lucknow News : उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने मल्टी ईयर टैरिफ वितरण रेगुलेशन 2025 का प्रस्तावित ड्राफ्ट जारी करते हुए उपभोक्ताओं से 13 फरवरी तक आपत्तियां व सुझाव मांगे हैं। उपभोक्ता परिषद ने दावा किया ​है कि उसके अध्ययन में प्रस्तावित ड्राफ्ट पूरी तरीके से निजी घरानों व बिजली कंपनियों को लाभ देने वाला नजर आया है। इसके बाद अब आयोग भी उपभोक्ताओं के निशाने पर आ गया है। उसकी भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। जिस आयोग पर उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण की जिम्मेदारी है, उसके बिजली कंपनियों के पाले में खड़े होने पर विरोध शुरू हो गया है।

नियामक आयोग की संवैधानिक स्वतंत्रता पर प्रश्न चिह्न
ड्राफ्ट में जिस तरह से विद्युत नियामक आयोग निजी घरानों के पक्ष में नजर आ रहा है, उससे उसकी संवैधानिक गरिमा पर भी आक्षेप लग रहे हैं। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि इसे रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में काले अध्याय के रूप में देखा जाएगा। इसलिए आयोग अपनी संवैधानिक स्वतंत्रता पर प्रश्न चिह्न ना लगाए, क्योंकि वह प्रदेश के 3.45 करोड़ से अधिक विद्युत उपभोक्ताओं को संरक्षण देने वाला संस्था है। आयोग के अध्यक्ष और सदस्य तो आते-जाते रहेंगे। लेकिन, संवैधानिक संस्था की गरिमा पर यदि ठेस पहुंचेगी तो आने वाले समय में एक गलत संदेश जनता के बीच में जाएगा। ऐसे में यह पूरी प्रक्रिया जन विरोधी साबित होगी।



पुराने कानून में उपभोक्ताओं को मिली थी राहत, इस बार निजी कंपनियों के हितों को तरजीह
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग के बनाए गए ड्राफ्ट में यह व्यवस्था की गई है की प्रदेश की बिजली कंपनियों में बिजली चोरी व कमर्शियल लॉस यानी भ्रष्टाचार को लेकर हुए नुकसान की भरपाई भी प्रदेश की जनता शेयरिंग के रूप में करेगी। इसके विपरीत पांच साल पहले शुरू हुआ हुआ जो कानून कानून वर्ष 2024 में खत्म हुआ, उसमें स्पष्ट प्रावधान थे कि बिजली चोरी और कमर्शियल लॉस का खामियाजा प्रदेश की जनता को नहीं भुगतना पड़ेगा। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग को यह सोचना चाहिए कि बिजली कंपनियां बिजली चोरी और कमर्शियल लॉस को रोकने के लिए करोड़ों रुपये जो विजिलेंस विंग, बिजली थाना व अन्य माध्यम से खर्च करती हैं, उनका खामियाजा पहले ही उपभोक्ता भुगत चुका है। अब उसकी शेयरिंग की बात करना असंवैधानिक है।

पीपीपी मॉडल का कानूनी रूप से रास्ता खोलने की तैयारी
एक अहम सवाल यह भी है कि विद्युत नियामक आयोग ने अपने प्रस्तावित ड्राफ्ट में भविष्य में आने वाली निजी कंपनियों के लिए भी एक रूपरेखा तैयार कर दी है। विद्युत नियामक आयोग को यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि भविष्य की बात कानून में कैसे लाई जा सकती है। इससे ऐसा लगता है कि देश के निजी घराने पावर कारपोरेशन के साथ-साथ विद्युत नियामक आयोग को भी पूरी तरीके से गुमराह कर रहे हैं। वास्तव में विद्युत नियामक आयोग जैसी स्वतंत्र संस्था दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) में जो निजी कंपनियां आने वाली हैं, उनके लिए उनका रास्ता साफ कर रही है। यह प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के साथ एक बड़ा धोखा है।

कानून लागू होने पर बिजली दरों का बढ़ना तय
उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया कि विद्युत नियामक आयोग ऐसा इसलिए प्रस्तावित कर रहा है, क्योंकि उसे पता है कि संगठन के निजीकरण के मामले में अनेक विरोध प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किए जा चुके हैं। इस वजह से निजीकरण नहीं किया जा सकता है। इसलिए कानून में बदलाव करके उपभोक्ता परिषद के सवालों का संवैधानिक रूप से जवाब दिया जाए और निजीकरण भी हो जाए। संगठन ने कहा कि जबकि ऐसा होने वाला नहीं है। विद्युत नियामक आयोग चाहे वह अदर मेंटेनेंस चार्ज हो एम्पलाई कास्ट हो सबके मानक में ऐसा बदलाव कर रहा है कि उससे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरें लगातार बढ़ेंगी।

नियामक आयोग पर इस तरह खेल करने का आरोप
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 लोकमहत्व के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश देने के लिए बनाया गया कानून है। इसके बारे में भी विद्युत नियामक आयोग ने अपने ड्राफ्ट रेगुलेशन में व्याख्या करते हुए चोर दरवाजे यह कहने की कोशिश की है कि निजीकरण के मामले में यदि उत्तर प्रदेश सरकार विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत हमारे पास आएगी तो हम उसका स्वागत करेंगे। जबकि आयोग को यह नहीं भूलना चाहिए कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 में निजीकरण के मामले में एक स्पष्ट प्रावधान है। बिना उस प्रावधान को पूरा किया लोग महत्व का मामला चलती हुई बिजली कंपनी को बेचने के लिए नहीं बनाया जा सकता। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 पर सुप्रीम कोर्ट सहित उच्च न्यायालय सहित खुद विद्युत नियामक आयोग ने अनेक मामले संदर्भित किए हैं। इसलिए विद्युत नियामक आयोग को इस प्रकार की संवैधानिक दृष्टिकोण से विपरीत जाने से बचना चाहिए।

उपभोक्ताओं के फीडबैक के बाद आपत्तियां की जाएंगी दर्ज
उपभोक्ता परिषद ने इस पूरे गंभीर मामले पर विद्युत उपभोक्ताओं के साप्ताहिक वेबिनार आयोजित करने की बात कही है। इसके जरिए पूरे प्रदेश के उपभोक्ताओं से ऑनलाइन विचार विमर्श किया जाएगा। इसके बाद आपत्तियां विद्युत नियामक आयु में दाखिल की जाएगी। संगठन ने कहा है कि इस नियम विरुद्ध प्रस्तावित कानून को लागू नहीं होने दिया जाएगा।

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