छात्र आंदोलन पर सियासत : अखिलेश बोले- देश में साथ चुनाव करवा सकते हैं पर परीक्षा नहीं, डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा- समाधान निकालें अधिकारी

अखिलेश बोले- देश में साथ चुनाव करवा सकते हैं पर परीक्षा नहीं, डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा- समाधान निकालें अधिकारी
UPT | डिप्टी सीएम केशव मौर्य और सपा प्रमुख अखिलेश यादव

Nov 12, 2024 15:34

यूपीपीएससी परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन के नियम को लेकर यूपी के परीक्षार्थियों का विरोध प्रदर्शन तीव्र हो गया है। यह मुद्दा अब राजनीतिक गलियारों तक भी पहुँच चुका है और विभिन्न राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रियाएँ...

Nov 12, 2024 15:34

Lucknow News : यूपीपीएससी परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन के नियम को लेकर यूपी के परीक्षार्थियों का विरोध प्रदर्शन तीव्र हो गया है। यह मुद्दा अब राजनीतिक गलियारों तक भी पहुँच चुका है और विभिन्न राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने छात्रों के प्रदर्शन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यूपीपीएससी परीक्षा को लेकर छात्रों की चिंताएँ गंभीर हैं। उन्होंने कहा, "हम छात्रों के साथ हैं और उनकी समस्याओं को समझते हैं। नॉर्मलाइजेशन के कारण छात्रों को जो समस्याएँ हो रही हैं उन्हें दूर किया जाएगा।"

एक साथ चुनाव करवा सकते हैं पर परीक्षा नहीं- अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर ट्विटर के माध्यम से अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने लिखा, "पूरे देश में एक साथ चुनाव तो करवा सकते हैं, लेकिन एक प्रदेश में एक साथ परीक्षा नहीं करवा सकते।" अखिलेश यादव ने यह सवाल उठाया कि यदि देशभर में चुनावों को एक साथ आयोजित किया जा सकता है तो एक राज्य में यूपीपीएससी जैसी परीक्षा का आयोजन समान तरीके से क्यों नहीं किया जा सकता। उनका यह बयान यूपी में नॉर्मलाइजेशन के नियमों के खिलाफ और छात्रों के समर्थन में था।
 
समाधान निकालें अधिकारी- केशव मौर्य
केशव प्रसाद मौर्य ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा- यूपी पीसीएस परीक्षा में एक से अधिक दिन की परीक्षा, निजी संस्थानों को केंद्र न बनाने और मानकीकरण प्रक्रिया को लेकर छात्रों की चिंताएं गंभीर और महत्वपूर्ण हैं। छात्रों की मांग है कि परीक्षाएं पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी हों, ताकि उनकी मेहनत का सम्मान हो और भविष्य सुरक्षित रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने 2017 से भर्ती माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाकर निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया की मिसाल पेश की है। लगभग 7 लाख युवाओं को नियुक्ति पत्र देकर सरकार ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया है। सभी सक्षम अधिकारी छात्रों की मांगों को संवेदनशीलता से सुनें और शीघ्र समाधान निकालें। यह सुनिश्चित करें कि छात्रों का कीमती समय आंदोलन में नहीं, बल्कि उनकी तैयारी में लगे। न्यायालय में लंबित मामलों का भी शीघ्र समाधान निकाला जाए ताकि किसी छात्र का भविष्य अंधकार में न रहे।
 
योगी बनाम प्रतियोगी- सपा प्रमुख
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने कहा- ‘योगी बनाम प्रतियोगी’ छात्र हुआ माहौल! आज उप्र के प्रतियोगी परीक्षाओं के हर अभ्यर्थी, हर छात्र, हर युवक-युवती की ज़ुबान पर जो बात है वो है- ‘नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं’! उन्होंने चलवाया लाठी-डंडा ‘नौकरी’ नहीं जिनका एजेंडा! नहीं चाहिए अनुपयोगी सरकार!! भाजपा सरकार नहीं धिक्कार है!!! ‘अयोग्य लोगों का अयोग्य आयोग’ नहीं चाहिए!!! इसके आगे सपा चीफ ने लिखा- भाजपा के लोग, जनता को रोज़ी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं। जिससे भाजपाई साम्प्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें. सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है। भाजपा ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है।
 
छात्र कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा- सपा प्रमुख
सपा प्रमुख ने लगातार कई पोस्ट कर सरकार पर हमला किया है। जिसमें लिखा कि पूरे देश में एक साथ चुनाव तो करवा सकते हैं लेकिन एक प्रदेश में एक साथ परीक्षा नहीं। भाजपा के ढोंग का भंडाफोड़ हो गया है। छात्र कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा! जब भाजपा जाएगी तब नौकरी आएगी...। इसके आगे अखिलेश यादव ने लिखा कि भाजपा के एजेंडे में सिर्फ़ ‘चुनाव’ है और भाजपा राज में अभ्यर्थियों के हिस्से में आया सिर्फ़ ‘तनाव’ है। युवा कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा! जब भाजपा जाएगी तब नौकरी आएगी।

अभ्यर्थियों की मुख्य मांगें
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों की मुख्य मांग है कि यूपी पीसीएस 2024 और आरओ-एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षाओं को एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में आयोजित किया जाए। उनका कहना है कि दो अलग-अलग दिनों में परीक्षा आयोजित करने से नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया लागू होगी। जिसका नकारात्मक प्रभाव उनके परिणामों पर पड़ेगा। नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में विभिन्न शिफ्टों के बीच प्रश्न पत्र की कठिनाई में भिन्नता को ध्यान में रखते हुए छात्रों के अंक तय किए जाते हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर परीक्षा दो शिफ्टों में होती है तो एक शिफ्ट में प्रश्न आसान और दूसरी शिफ्ट में कठिन हो सकते हैं। इस स्थिति में आयोग नॉर्मलाइजेशन का सहारा लेकर परिणाम तय करेगा।

रातभर बातचीत लेकिन कोई समाधान नहीं
देर रात पुलिस और आयोग के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों से बात करने का प्रयास किया। अधिकारियों का कहना था कि यह बदलाव परीक्षा प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए किया गया है, ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिल सके। लेकिन अभ्यर्थियों ने इस तर्क को नकारते हुए अपनी मांग पर अडिग रहने की बात कही। परिणामस्वरूप बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका और आंदोलन का सिलसिला जारी है।

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