कन्या पूजन करने के लिए एक दिन पहले ही कन्या को निमंत्रण दें। जब कन्या आपके घर में आती हैं तो उनका अपने घर पर स्वागत करें। साफ पानी लेकर उनके पैर धोएं और फिर कपड़े से साफ करें। उसके बाद सभी कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
Navratri Kanya Pujan : मेरठ में आज दुर्गाष्टमी दुर्गानवमी एक साथ, ऐसे करें नवरात्र पर कन्या का पूजन
Oct 11, 2024 11:27
Oct 11, 2024 11:27
- विधि-विधान के साथ करें कन्या पूजन से मिलता है शुभ लाभ
- दुर्गा अष्टमी और दुर्गानवमी पर कन्या पूजन का है विशेष महत्व
- आज 11 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी एक साथ मनाई जा रही
कन्या पूजन का शुरू मुहूर्त
दुर्गा महाष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार 10 अक्टूबर को दोपहर 12:32 पर होगा। जबकि इसका समापन 11 अक्टूबर को 12:07 पर होगा। इस कारण से दुर्गा अष्टमी आज भी मनाई जा रही है। सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत व त्योहार पूजा कहीं पर उदया तिथि के हिसाब से ताक कहीं दिन की तिथि के साथ मनाया जाते हैं। इस कारण दुर्गा अष्टमी को 11 अक्टूबर के दिन भी मनाया जा रहा है। 11 अक्टूबर को 12:07 से पहले अष्टमी का कन्या पूजन करना होगा। कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त का समय 11 अक्टूबर को सुबह 7:40 से 10:40 तक रहेगा।
दुर्गा नवमी पर कन्या पूजन
कुछ लोग दुर्गा नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। ऐसे में जो लोग अष्टमी के दिन कन्या पूजन ना करके दुर्गा नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं तो कन्या पूजन करने का शुभ मुहूर्त जाने। जिससे उनका कन्या पूजन मान्य हो और मां दुर्गा की कृपा उन पर बनी रहे। पंचांग के अनुसार नवमी तिथि का प्रारंभ 11 अक्टूबर को दोपहर 12:07 से हो रहा है। जबकि इसका समापन 12 अक्टूबर को सुबह 10:59 पर होगा। इसलिए नवमी 12 अक्टूबर को मनाई जाएगी और कन्या पूजन 12 अक्टूबर को सुबह 10:59 से पहले करें। 12 अक्टूबर को दुर्गा नवमी के दिन कन्या पूजन करने का शुभ मुहूर्त सुबह 7:50 से 9:14 तक रहेगा।
कन्या पूजन का विधान
पंडित बोल मोहन शाडिल्य के अनुसार नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व है। अगर कोई व्यक्ति माता रानी में अपनी श्रद्धा रखता है तो वह दुर्गा अष्टमी या दुर्गा नवमी के दिन कन्या पूजन करता है। अगर कन्या पूजन सही विधि विधान से न किया जाए तो वह अमान्य हो जाता है। कन्या पूजन करने के लिए एक दिन पहले ही कन्या को निमंत्रण दें। जब कन्या आपके घर में आती हैं तो उनका अपने घर पर स्वागत करें। साफ पानी लेकर उनके पैर धोएं और फिर कपड़े से साफ करें। उसके बाद सभी कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें। कन्याओं के लिए हो सके तो लाल रंग का आसन बनाएं और वहां पर कन्याओं का तिलक करें और सभी को कलाई पर मौली बांधे। उसके बाद माता रानी के लिए भोग में तैयार किया प्रसाद में काले चने हलवा पूड़ी सभी कन्याओं खाने को दें। उसके बाद अपनी इच्छा अनुसार दक्षिणा दें और घर से जाते हुए उनका आशीर्वाद लें, जिससे देवी मां की कृपा परिवार पर बनी रहे।
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