YEIDA के औद्योगिक विकास में खामियां : लीज में देरी से करोड़ों का नुकसान, कैग रिपोर्ट का खुलासा

लीज में देरी से करोड़ों का नुकसान, कैग रिपोर्ट का खुलासा
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Dec 24, 2024 16:55

ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) की औद्योगिक विकास परियोजनाओं में गंभीर खामियां सामने आई हैं।

Dec 24, 2024 16:55

Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) की औद्योगिक विकास परियोजनाओं में गंभीर खामियां सामने आई हैं। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया कि 2009 से 2021 के बीच आवंटित 2,428 औद्योगिक भूखंडों में से अधिकांश पर उद्योग शुरू नहीं हो सके हैं।

लीज में देरी से करोड़ों का नुकसान
रिपोर्ट के अनुसार, 82% व्यावसायिक, औद्योगिक और संस्थागत भूखंडों की लीज डीड अब तक जारी नहीं की गई है। इसके पीछे प्रमुख कारण भूमि अधिग्रहण में बाधाएं, विकास कार्यों की कमी और आवंटन प्रक्रिया में अनियमितताएं मानी गई हैं। इन खामियों के चलते YEIDA को 33 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, क्योंकि भूखंडों की लागत के अनुपात में प्रीमियम और पट्टा किराया वसूल नहीं किया गया। साथ ही, मास्टर प्लान के तहत निर्धारित उपयोग न होने के कारण 23 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नुकसान हुआ।

निर्माण में देरी और जुर्माने की वसूली में उदासीनता
कैग की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि आवंटियों द्वारा भूखंडों पर समय पर निर्माण नहीं किया गया। 13 वर्षों में निर्माण शुरू न करने वाले आवंटियों से जुर्माना वसूलने में प्राधिकरण असफल रहा। कुछ मामलों में लीज डीड निष्पादन में 8 से 77 दिनों की देरी हुई, जिससे आवंटियों को भूखंडों का भौतिक कब्जा भी नहीं दिया जा सका।



तकनीकी और वित्तीय जांच में लापरवाही
YEIDA ने भूखंड आवंटन के लिए न्यूनतम तकनीकी और वित्तीय योग्यता तय नहीं की। आवंटियों की सॉल्वेंसी, कार्यक्षमता और न्यूनतम नेटवर्थ की जांच नहीं की गई, जिससे प्रक्रिया में अनियमितताओं को बढ़ावा मिला।

जवाबदेही और सुधार की जरूरत
कैग की रिपोर्ट में जीएल बजाज, शांति एजुकेशन, शतिलीला एजुकेशन फाउंडेशन, और चंद्रकला कंस्ट्रक्शन लिमिटेड जैसे मामलों का उल्लेख है, जहां नक्शा स्वीकृति और लीज डीड निष्पादन में अनावश्यक देरी हुई। YEIDA ने रिपोर्ट में उठाए गए सवालों का जवाब प्रस्तुत किया है, लेकिन कैग ने प्राधिकरण की कार्यशैली में बड़े सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है। यह रिपोर्ट न केवल प्राधिकरण की नीतियों की खामियों को उजागर करती है, बल्कि क्षेत्र के औद्योगिक विकास पर भी सवाल खड़े करती है।

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