भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के लीज़ बैक मामलों में नया मोड़ आया है। राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जाँच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट पर कुछ किसानों ने सवाल उठाए हैं, जिससे मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है...
ग्रेटर नोएडा में लीज बैक मामला : एसआईटी अध्यक्ष अरुणवीर सिंह ने गड़बड़ी के आरोप किए खारिज, ऑथोरिटी के कर्मचारी कर रहे किसानों को गुमराह
![एसआईटी अध्यक्ष अरुणवीर सिंह ने गड़बड़ी के आरोप किए खारिज, ऑथोरिटी के कर्मचारी कर रहे किसानों को गुमराह](https://image.uttarpradeshtimes.com/upt-95-41618.jpg)
Jun 25, 2024 18:04
Jun 25, 2024 18:04
- ग्रेटर नोएडा में लीज बैक मामलों में नया मोड़
- ऑथोरिटी के कर्मचारी कर रहे किसानों को गुमराह
- प्राधिकरण से मामले में जाँच की मांग
प्राधिकरण से मामले में जाँच की मांग
डॉ. सिंह ने बताया कि दोनों चरणों में लगभग 1453 किसानों के मामले शासन ने क्लियर कर दिए हैं। कुछ मामलों में भिन्नताएँ पाई गईं थीं, जैसे क्षेत्रफल और नामों में अंतर, जिसकी जाँच की गई है। डॉ. सिंह ने इसे एक अवैध प्रक्रिया के तौर पर बताया और कहा कि इससे कुछ किसानों को असुविधा हो रही है। उन्होंने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से इस मामले की जाँच करने के लिए मांग की है।
किसानों को किया गया गुमराह
हर एक खसरा नंबर को साइट इमेज से मिलान किया गया और किसानों के साथ बैठकें कर उनकी बात सुनी गई। हालाँकि, अब कुछ किसानों ने आरोप लगाया है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कुछ अधिकारी रिपोर्ट को लीक कर रहे हैं और उसमें ऐसी बातें जोड़ रहे हैं जो एसआईटी ने नहीं कही थीं। डॉ. सिंह ने इस पर कहा, "यह शायद कुछ किसानों को असुविधा देने या परेशान करने के लिए किया जा रहा है। हमने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से बात की है और उन्होंने कार्रवाई करते हुए कुछ लोगों को काम से हटा दिया है।"
ग्रेटर नोएडा की कोई अंतिम रिपोर्ट नहीं आई
उन्होंने यह भी बताया कि कुछ शिकायतें आई थीं कि ग्रेटर नोएडा के कुछ अधिकारी गाँवों में जाकर लोगों को आंदोलन के लिए भड़का रहे हैं। इस मामले में भी प्राधिकरण ने अपनी टीम में बदलाव किए हैं और नए अधिकारियों को तैनात किया है। डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया, "अभी तक एसआईटी के सामने ग्रेटर नोएडा की कोई अंतिम रिपोर्ट नहीं आई है। जो रिपोर्ट लीक हो रही है, वह ग्रेटर नोएडा के कुछ अधिकारियों द्वारा तैयार की जा रही है और उसे चुनिंदा तरीके से लीक किया जा रहा है।"
दो अफसरों के खिलाफ कार्रवाई
इस पूरे मामले में दो अधिकारियों को हटाया गया है, जिन पर गंभीर आरोप लगे थे। यह मामला अब राज्य सरकार के स्तर पर विचाराधीन है और आने वाले दिनों में इस पर कोई ठोस निर्णय लिए जाने की उम्मीद है। यह मामला ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के विकास और किसानों के हितों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को रेखांकित करता है। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए यह एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है, जिसका समाधान निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से किया जाना आवश्यक है।
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