बीते शुक्रवार को रामगढ़ताल के किनारे बड़ी संख्या में रोहू, भाकुर व अन्य प्रजाति की पाली गईं मछलियां मरी मिलीं। ताल में मछली पालन का व्यवसाय करने वाले मत्स्यजीवी सहकारी समिति के पदाधिकारियों ने ताल का...
Gorakhpur News : रामगढ़ताल में भारी संख्या में मरी मछलियां, पानी के क्लालिटी की होगी जांच, दिए गए ये निर्देश
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Jul 01, 2024 01:52
Jul 01, 2024 01:52
कई प्रजाति की पाली गईं मछलियां मरी
जानकारी के मुताबकि, बीते शुक्रवार को रामगढ़ताल के किनारे बड़ी संख्या में रोहू, भाकुर व अन्य प्रजाति की पाली गईं मछलियां मरी मिलीं। ताल में मछली पालन का व्यवसाय करने वाले मत्स्यजीवी सहकारी समिति के पदाधिकारियों ने ताल का पानी कम होने और तल गरम होने से मछलियां मरने की बात कही। वहीं, पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि ताल के पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर जलीव जीव मरने लगते हैं। रामगढ़ताल में भी ऐसा ही हुआ होगा। मछली पालकों ने 40 से 50 लाख रुपये के नुकसान की आशंका जताई है। ताल के पानी से उठ रही बदबू से किनारे टहलने वाले लोग भी परेशान नजर आए। मामला सामने आने के कुछ ही देर बाद जल निगम ने ताल के पानी को शुद्ध होने का दावा भी कर दिया। मछलियाें के मरने से बिगड़ रही स्थिति को देखते हुए मछली पालकों ने पांच नाव लगाकर मछलियों को हटवाना शुरू किया। इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कर्मचारियों ने ताल से नमूने भी एकत्र किए। जीडीए के मुख्य अभियंता किशन सिंह ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कार्यालय को पत्र भेजकर तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है।
निरीक्षण कर पानी की गुणवत्ता जांचने के निर्देश दिए
शुक्रवार व शनिवार को ताल की सफाई भी कराई गई। शनिवार की सुबह तक मरीं मछलियों को निकाल लिया गया था, जिससे ताल से बदबू आनी बंद हो गई। दोपहर में जीडीए उपाध्यक्ष व सचिव ने ताल का निरीक्षण कर पानी की गुणवत्ता जांचने के निर्देश दिए। जीडीए की तरफ से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पत्र भेजकर नया सवेरा से लेकर चिड़ियाघर की ओर जाने वाली सड़क से लगे ताल के पानी का सैंपल लेने के लिए कहा गया है। तीन दिन में जांच रिपोर्ट और विभागीय राय भी मांगी गई है। शनिवार दोपहर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कर्मचारियों ने ताल से नमूने भी एकत्र किए। प्राधिकरण के मुख्य अभियंता किशन सिंह का दावा है कि तीन दिन में रिपोर्ट आ जाएगी। हालांकि मछलियों के पोस्टमार्टम कराने की पहल न तो मछली पालन का ठेका लेने वाली मत्स्यजीवी सहकारी समिति ने की और न जीडीए ने ही इस पर ध्यान दिया।
पानी की गुणवत्ता को लेकर कई बार अध्ययन
मत्स्यजीवी सहकारी समिति के अध्यक्ष मदन लाल व सचिव बलदेव सिंह ने कहा कि अधिकांश मृत मछलियों को ताल से निकाला जा चुका है। जीडीए रामगढ़ताल में मछलियों के मरने के कारणों की जांच के लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से भी मदद ले सकता है। विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग की ओर से ताल के पानी की गुणवत्ता को लेकर कई बार अध्ययन किया जा चुका है। एक बार भारी मात्रा में मछलियां मृत पाई गई थीं, जिसके बाद विभाग ने अध्ययन कराया था। इसमें ताल के पानी में ऑक्सीजन की कमी मिली थी। चर्चा है कि इस बार भी प्राधिकरण की ओर से विश्वविद्यालय को पत्र लिखा जा सकता है।
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