घोटालेबाजों ने मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदने के लिए दो गुमनाम अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराए थे, जो केंद्र सरकार से मंजूर नहीं थे। इन विज्ञापनों के भुगतान का खाता प्राधिकरण के खाते से नहीं, बल्कि एक अधिकारी ने अपनी जेब से किया था।
यमुना प्राधिकरण में 3000 करोड़ की धोखाधड़ी का खुलासा : घोटाले में कई सफेदपोश नेताओं के नाम आए सामने, भैया-भाभी को शामिल कर बनाया गैंग
Jul 04, 2024 12:06
Jul 04, 2024 12:06
कैसे दिया गया घोटाले को अंजाम?
घोटालेबाजों ने मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदने के लिए दो गुमनाम अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराए थे, जो केंद्र सरकार से मंजूर नहीं थे। इन विज्ञापनों के भुगतान का खाता प्राधिकरण के खाते से नहीं, बल्कि एक अधिकारी ने अपनी जेब से किया था।
बिजली सब-स्टेशन के लिए जमीन खरीदी का खेल
यहां जहांगीरपुर में 765 KVA के बिजली सब स्टेशन के लिए जमीन खरीदी गई थी, वहीं प्राधिकरण के अधिकारियों ने अपने नाते-रिश्तेदारों को इस जमीन को सस्ते दरों पर खरीदवाया और फिर उसे प्राधिकरण ने खरीद लिया। मुआवजा 4 गुना की दर से दिया गया।
बेलाना गांव में किसानों से जमीन खरीदी
बेलाना गांव में भी प्राधिकरण ने किसानों से सस्ते दरों पर जमीन खरीदी और बाद में यमुना प्राधिकरण से खरीदवा ली। इसके बाद मामले में एक तहसीलदार के बेटे और पत्नी के नाम पर जमीन खरीदने का आरोप भी उठा है।
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तत्कालीन तहसीलदार के खिलाफ होगा एक्शन
इस जमीन घोटाले की जांच यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार के निर्देश पर दर्ज कराई गई थी। अब इस मामले की जांच एडीसीपी मनीष कुमार मिश्रा कर रहे हैं, जिनके निर्देशानुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने दो तत्कालीन तहसीलदार के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। जांच की प्रक्रिया तेजी से चल रही है और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी भी संभावित है।
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