उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी नोएडा में हाईटेक साइबर फॉरेंसिक लैब शुरू किए जाने की तैयारी है. इस लैब में साइबर अपराध गतिविधियों के बारे में तकनीक के माध्यम से साक्ष्य जुटाने की सुविधा होगी. वहीं क्षेत्र के विभिन्न स्थानों में 31 निरीक्षकों को तैनात कर दिया गया है.
बड़ी पहल : ऑनलाइन अपराधों पर लगेगी लगाम, नोएडा में तैयार होगा हाईटेक साइबर फॉरेंसिक लैब
Dec 26, 2023 17:10
Dec 26, 2023 17:10
साइबर क्रिमिनल्स पर नकेल कसने की तैयारी
साइबर फॉरेंसिक लैब बनने के बाद साइबर स्टॉकिंग, बुलिंग, फ्रॉड, एक्सटॉरशन, ठगी जैसी घटनाओं की जांच में तेजी आएगी। आपको बता दें कि मौजूदा समय में डीपफेक नोएडा पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। फॉरेंसिक लैब बनने के बाद इससे पीड़ितों को बचाया जा सकेगा। गौरतलब है कि शहर में फॉरेंसिक लैब ना होने से हाई प्रोफाइल मामलों की जांच समय पर नहीं हो पाती है। कभी-कभी तो पीड़ितों को अपने साथ हुई ठगी की कार्रवाई के लिए खुद ही जांच करनी पड़ती है। नोएडा पुलिस एक-एक करके संसाधनों को बढ़ा रही है। साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, ठगी और धोखाधड़ी समेत अन्य मामले में चार्जशीट तैयार करते समय लैब की रिपोर्ट से तकनीकी सबूत जुटाए जा सकेंगे, क्योंकि साइबर अपराधी ठगी करने के बाद चैट और लिंक तेजी से डिलीट करते हैं।
31 निरीक्षकों की तैनाती का आदेश
जानकारी के मुताबिक, सेक्टर-20, 39, 126, 24, 58, 49, 113, 63, फेज-1, 2, 3 और बिसरख, बादलपुर, ईकोटेक-3, सूरजपुर, बीटा-2, कासना, दनकौर, जेवर, रबूपुरा और महिला थाने की साइबर हेल्प डेस्क पर पुलिस निरीक्षकों की तैनाती की गई है। इसके अलावा सेंट्रल नोएडा और ग्रेटर नोएडा के आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) प्रकोष्ठ में भी 3-3 निरीक्षक की भी तैनाती हुई है। कुल 31 निरीक्षकों की तैनाती के आदेश जारी किए गए हैं।
क्या है साइबर फॉरेंसिक लैब?
साइबर फॉरेंसिक लैब से अपराधों की मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग करने में सहायता मिलती है। लैब में साइबर फॉरेंसिक विश्लेषण के साथ-साथ प्रक्रिया पर प्रशिक्षण देने और साइबर अपराध गतिविधियों के बारे में तकनीक के माध्यम से साक्ष्य जुटाने की सुविधा होगी। फॉरेंसिक लैब में उन्नत फॉरेंसिक टूल्स लगाए जाते हैं, जिसमें डिजिटल उपकरणों जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, सैटेलाइट फोन और जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) के सहारे ई-एविडेंस को एकत्र करने और घटनाओं की क्रमवार जानकारी जुटाने में मदद मिलती है। इससे जो जानकारी और सबूत उत्पन्न होंगे, उनसे साइबर अपराधों की मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग करने में सहायता मिलती है।
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