विन्ध्याचल सिद्धपीठ : धाम पर उमड़ा भक्तों का सैलाब, नवरात्रि मेला सुबह की मंगला आरती से आरम्भ 

धाम पर उमड़ा भक्तों का सैलाब, नवरात्रि मेला सुबह की मंगला आरती से आरम्भ 
UPT |  विन्ध्याचल सिद्धपीठ में दर्शन करते भक्त

Apr 09, 2024 13:48

आदिशक्ति जगदम्बा का परम धाम विन्ध्याचल केवल एक तीर्थ नहीं बल्कि प्रमुख सिद्धपीठ है। वर्ष में दो बार बासंतिक एवं शारदीय नवरात्रि में लगने वाले विशाल मेले में दूर दूर से...

Apr 09, 2024 13:48

Mirzapur News (Santosh Gupta) : आदिशक्ति जगदम्बा का परम धाम विन्ध्याचल केवल एक तीर्थ नहीं बल्कि प्रमुख सिद्धपीठ है। वर्ष में दो बार बासंतिक एवं शारदीय नवरात्रि में लगने वाले विशाल मेले में दूर दूर से भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं। मंगलवार को नवरात्रि मेला भोर की मंगला आरती से आरम्भ हो गया। नवरात्र में आदिशक्ति के नौ रूपों की आराधना की जाती है। पहले दिन हिमालय की पुत्री पार्वती अर्थात शैलपुत्री के रूप में आदिशक्ति का सविधि पूजन अर्चन करने का विधान है। 

घंटी घडियालों से गुंजायमान हुआ विन्ध्य क्षेत्र 
प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित करने वाली मां का यह स्वरूप सभी के लिए वन्दनीय है। विन्ध्यपर्वत और पापनाशिनी मां गंगा के संगम तट पर विराजमान मां विंध्यवासिनी शैलपुत्री के रूप में दर्शन देकर अपने सभी भक्तों का कष्ट दूर करती है। नवरात्रि के पहले दिन श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने पहुंच रहे है। घंटी घडियालों से पूरा विन्ध्य क्षेत्र गुंजायमान हो रहा है। अनादिकाल से भक्तो के आस्था का केंद्र बने विन्ध्य पर्वत और पतित पावनी मां भागीरथी के संगम तट पर श्रीयंत्र पर माता विंध्यवासिनी विराजमान है। मां की प्रथम दिन शैलपुत्री के रूप में पूजन अर्चन किया जाता है । शैल का अर्थ पहाड़  होता है । कथाओं के अनुसार पार्वती पहाड़ो के राजा हिमालय की पुत्री थी । पर्वत राज हिमालय की पुत्री को शैलपुत्री भी कहा जाता है । उनके एक हाँथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है।
 
शैलपुत्री सभी के लिए आराध्य 
भारत के मानक समय के लिए बिन्दु के रूप में स्थापित विन्ध्यक्षेत्र में मां को बिंदुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है। प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली मां शैलपुत्री सभी के लिए आराध्य है। घर के ईशान कोंण में कलश स्थापना के साथ ही माता भक्त साधना में जुट गए है। नौ दिन मां दुर्गा मन, वचन, कर्म सहित इस शरीर के नौ द्वार से मां सभी भक्तों की मनोकामना को पूरा करती है। भक्त को जिस-जिस वस्तुओं की जरूरत होती है। वह सभी माता रानी प्रदान करती है। आज के दिन साधक के मूलाधार चक्र का जागरण होता है ।

मां के दर्शन के लिए आते है लाखों भक्त 
सिद्धपीठ में देश के कोने-कोने से ही नहीं विदेश से आने वाले भक्त मां के दर्शन पाकर निहाल हो उठते है। दर्शन करने के लिए लम्बी लम्बी कतारों में लगे भक्त मां के जयकारा लगाते रहते हैं। भक्तों की आस्था से प्रसन्न होकर मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती है। जो भी भक्त की अभिलाषा होती है मां उसे पूरी करती हैं। मां के धाम में पहुंचकर भक्त परम शांति की अनुभूति करते है। उन्हें विश्वास है कि मां सब दुःख दूर कर देती है। नवरात्र में मां के अलग-अलग रूपों की पूजा कर भक्त सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं। माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नयी उर्जा, नया उत्साह व सदविचार का संचार होता है और मां अपने भक्तो के सारे कष्टों का हरण कर लेती है । नवरात्रि भर विंध्य क्षेत्र में लाखों भक्त मां के दर्शन पाने के लिए आते है।

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