जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग को कलक्ट्रेट परिसर में कार्यालय खोलने के लिए जमीन उपलब्ध कराई है। यह कदम जिले के दस से अधिक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों को नई पहचान दिलाने में मददगार...
बिजनौर में पर्यटन को मिलेंगे नए पंख : कलेक्ट्रेट में खुलेगा पर्यटन विभाग का कार्यालय, ऐतिहासिक धरोहरों को मिलेगी नई पहचान
Aug 30, 2024 01:08
Aug 30, 2024 01:08
- बिजनौर के कलेक्ट्रेट परिसर में पर्यटन विभाग का कार्यालय खोला जाएगा
- पर्यटन विभाग के लिए कलेक्ट्रेट में जमीन चिह्नित कर दी गई है
- बिजनौर को पहले वेन नगर के रूप में जाना जाता था
प्रारंभ में इस नाम से जाना जाता था
बिजनौर, जो कभी राजा वेन के नाम पर वेन नगर के रूप में जाना जाता था, जो बाद में विजयनगर और अब बिजनौर के नाम से विख्यात है। बिजनौर अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यहां के खेतों और खंडहरों में आज भी प्राचीन वेन नगर के अवशेष मिलते हैं, जो इस क्षेत्र की ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाते हैं।
कालिदास के प्रसिद्ध में भी बिजनौर का जिक्र
महाकवि कालिदास के प्रसिद्ध संस्कृत नाटक 'अभिज्ञान शाकुंतलम' में भी बिजनौर का उल्लेख मिलता है। यहीं पर राजा दुष्यंत और शकुंतला का मिलन हुआ था, जो गंगा और मालन नदियों के संगम पर स्थित है। माना जाता है कि शकुंतला बिजनौर के रावली क्षेत्र में स्थित ऋषि कण्य के आश्रम में रहती थीं। यह स्थान न केवल प्रेम की कहानी का साक्षी है, बल्कि भारत के नामकरण का भी केंद्र माना जाता है।
बिजनौर के प्रमुख पर्यटन स्थल
इसके अलावा, जिले में कई महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं, जिनमें महात्मा विदुर की कुटी, कण्वऋषि आश्रम, मोरध्वज का किला, सुल्ताना डाकू का किला, अमानगढ़ की जंगल सफारी, ताजपुर का प्रसिद्ध चर्च, चांदपुर का 800 वर्ष पुराना वट वृक्ष और कालागढ़ तथा पीली डैम शामिल हैं। पिछले कुछ सालों में, विदुरकुटी, कण्वऋषि आश्रम और मोरध्वज किले के विकास के लिए लगभग चार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। अब, पर्यटन विभाग का स्थानीय कार्यालय खुलने से, इन स्थलों के विकास और संरक्षण की प्रक्रिया को और गति मिलने की उम्मीद है।
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कलक्ट्रेट में जमीन चिह्नित
एडीएम वित्त एवं राजस्व अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि पर्यटन विभाग के लिए कलक्ट्रेट में जमीन चिह्नित कर दी गई है। विभागीय अधिकारियों द्वारा इस स्थान का निरीक्षण करने और अपनी सहमति देने के बाद, कार्यालय की स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस नए कदम से न केवल बिजनौर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह क्षेत्र के पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। साथ ही इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
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