इस गांव में 300 साल से किसी ने नहीं बंधवाई राखी : बहन ने भाई से मांगा था ऐसा गिफ्ट कि पूरे गांव ने रक्षाबंधन मनाना छोड़ दिया

बहन ने भाई से मांगा था ऐसा गिफ्ट कि पूरे गांव ने रक्षाबंधन मनाना छोड़ दिया
UPT | इस गांव में 300 साल से किसी ने नहीं बंधवाई राखी

Aug 18, 2024 20:00

उत्तर प्रदेश के संभल जिले के बेनीपुर गांव में हर बार की तरह इस साल भी रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाएगा। इसके पीछे 300 साल पुरानी एक घटना है, जिसके डर के साये में आज भी गांव का हर परिवार जी रहा है।

Aug 18, 2024 20:00

Short Highlights
  • 300 साल से किसी ने नहीं बंधवाई राखी
  • आज भी परंपरा निभा रहा परिवार
  • सख्ती से पालन करते हैं गांव वाले
Sambhal News : उत्तर प्रदेश के संभल जिले के बेनीपुर गांव में हर बार की तरह इस साल भी रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाएगा। इसके पीछे 300 साल पुरानी एक घटना है, जिसके डर के साये में आज भी गांव का हर परिवार जी रहा है। दरअसल ये कहानी अलीगढ़ के सेमरी गांव से शुरू होती है। यहां रक्षाबंधन के दिन ठाकुर और यादव परिवार की बेटियां एक-दूसरे परिवार के भाईयों को राखी बांधती थीं। करीब 300 साल पहले ठाकुर परिवार की एक बेटी ने राखी के बदले यादव परिवार से उपहार में पूरा गांव मांग लिया। यादव परिवार ने उस समय अपनी सभी संपत्ति दान में दे दी और गांव छोड़कर नए स्थान पर बस गए। इस घटना के बाद से बेनीपुर गांव में रक्षाबंधन का पर्व मनाना पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।

सख्ती से पालन करते हैं गांव वाले
बेनीपुर गांव के लोग आज भी इस परंपरा को निभा रहे हैं, जिससे रक्षाबंधन के दिन कोई विशेष आयोजन नहीं होता। यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और गांववाले इसे सख्ती से मानते हैं। गांव के बुजुर्गों के अनुसार, रक्षाबंधन पर किसी भी प्रकार का उपहार देने का डर है कि कहीं फिर से कोई बहन बड़ी मांग न कर दे, जिससे उन्हें फिर से अपना गांव छोड़ना पड़े। इसलिए गांव के लोग इस दिन को पूरी तरह से सामान्य तरीके से ही बिताते हैं।

आज भी परंपरा निभा रहा परिवार
वर्तमान में, बेनीपुर गांव के लोग रक्षाबंधन नहीं मनाने के कारणों को लेकर बहुत सतर्क हैं। वे मानते हैं कि इस परंपरा को बनाए रखना जरूरी है ताकि भविष्य में कोई अप्रत्याशित समस्या उत्पन्न न हो। गांव के युवा भी इस परंपरा का पालन करते हैं और रक्षाबंधन के दिन कोई विशेष उत्सव या आयोजन नहीं करते। यह परंपरा आज भी पूरी तरह से कायम है और गांव के लोग इसे एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक मान्यता के रूप में देखते हैं।

जहां बसे वहां भी नहीं मनाते
इस परंपरा का प्रभाव केवल बेनीपुर गांव तक सीमित नहीं है। यादव परिवार से जुड़ी अन्य जगहों पर भी यह परंपरा निभाई जाती है। गांव से बाहर भी जहां यादव परिवार के सदस्य रहते हैं, वहां भी रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता।

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