यूपी में बेसिक शिक्षकों का समायोजन रद्द : हाईकोर्ट ने 'लास्ट इन फर्स्ट आउट' नीति को अनुच्छेद 14 के खिलाफ माना

हाईकोर्ट ने 'लास्ट इन फर्स्ट आउट' नीति को अनुच्छेद 14 के खिलाफ माना
UPT | लखनऊ हाईकोर्ट

Nov 07, 2024 22:07

कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग में लागू "लास्ट कम फर्स्ट आउट" (LCFO) नीति को असंवैधानिक बताया, जिसके तहत नए शिक्षकों को हमेशा जूनियर मानकर तैनात किया जाता है...

Nov 07, 2024 22:07

Short Highlights
  • बेसिक शिक्षकों का समायोजन रद्द
  • लास्ट इन फर्स्ट आउट नीति अनुच्छेद 14 के खिलाफ
  • जूनियर शिक्षक समायोजित होते रहेंगे
New Delhi News : उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग को अदालत ने समायोजन से जुड़ी सभी गतिविधियां तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया है। कोर्ट ने समायोजन प्रक्रिया में किए गए नियमों को संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि इसमें सुधार की आवश्यकता है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग में लागू "लास्ट कम फर्स्ट आउट" (LCFO) नीति को असंवैधानिक बताया, जिसके तहत नए शिक्षकों को हमेशा जूनियर मानकर तैनात किया जाता है, जबकि सीनियर शिक्षक एक ही स्थान पर लंबे समय तक काम करते रहते हैं।

समायोजन नीति में बदलाव की आवश्यकता
कोर्ट के आदेश में यह भी कहा गया कि हर बार इस प्रक्रिया के तहत जूनियर शिक्षक समायोजित होता रहेगा और सीनियर शिक्षक जहां तैनात हैं, वहीं बने रहेंगे। इस प्रक्रिया को अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार के खिलाफ माना गया। इसके अलावा, कोर्ट ने अनुच्छेद 16 का भी उल्लंघन पाया, जो कि समान अवसरों और निष्पक्षता की बात करता है। इस आदेश से साफ हो गया है कि विभाग को समायोजन नीति में बदलाव करना होगा।



एक लाख स्कूलों पर पड़ेगा असर
बता दें कि यह फैसला सीनियर शिक्षकों के लिए महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि अब उन्हें भी समायोजन के दायरे में लाया जाएगा। उत्तर प्रदेश में कुल 1.5 लाख प्राइमरी स्कूल हैं और कोर्ट का यह आदेश लगभग 80-90 प्रतिशत स्कूलों पर असर डालने की संभावना है। इसका मतलब है कि लगभग 1 लाख 35 हजार स्कूलों को इसका सीधा असर हो सकता है, जो कि राज्य में कार्यरत शिक्षकों के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगा।

डबल बेंच में दायर की जा सकती है अपील
हालांकि, इस फैसले के खिलाफ अपील की संभावना भी जताई जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस आदेश के खिलाफ डबल बेंच में अपील दायर की जा सकती है। यह मामला तब तक कानूनी दायरे में रहेगा और शिक्षक समुदाय को उम्मीद है कि इस मामले में कोई और संशोधन किया जाएगा।

चार महत्वपूर्ण बिंदू
  1. ट्रांसफर नीति को चुनौती : यह बताया गया है कि "लास्ट इन फर्स्ट आउट" सिद्धांत लागू करने से जूनियर शिक्षकों को बार-बार ट्रांसफर किया जाएगा, जबकि वरिष्ठ शिक्षक अपने पदों पर स्थिर रहेंगे। यह नियम बिना तर्क और कारण के असमानता पैदा करता है, जो अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
  2. शिक्षा का अधिकार अधिनियम और नियमों का उल्लंघन : यह बताया गया है कि यह नीति शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और सेवा नियम 1981 के तहत दिए गए प्रावधानों के खिलाफ है। यह अधिनियम छात्र-शिक्षक अनुपात बनाए रखने के लिए है। लेकिन ट्रांसफर प्रक्रिया में ऐसे कोई नियम शामिल नहीं हैं, जो जूनियर शिक्षकों के पहले ट्रांसफर किए जाने के लिए बाधित करता हो।
  3. शिक्षा मंत्री की गलती का मुद्दा : सरकारी आदेश में शिक्षकों की संख्या में शिक्षा मंत्री द्वारा की गई गलत गणना का मुद्दा उठाया गया है, जबकि शिक्षा मंत्री के पास सहायक शिक्षक बनने के लिए आवश्यक शैक्षिक योग्यता नहीं होती है। इसलिए, शिक्षा मंत्रियों को सहायक शिक्षकों के बारे में मानना अनुचित है।
  4. पिछले ध्यापिक निर्णयों का उल्लेखन : यह भी बताया गया है कि यह भी तर्क दिया गया कि "लास्ट इन फर्स्ट आउट" सिद्धांत पहले भी ध्यापिक मामलों द्वारा असंवैधानिक माना गया है।
बड़ी संख्या में शिक्षक प्रभावित
गौरतलब है कि जस्टिस मनीष माथुर जे. ने सिंगल बेंच के इस फैसले से समायोजन प्रक्रिया पर रोक लग गई है, जिससे बड़ी संख्या में शिक्षक प्रभावित हुए हैं। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग से कहा- समायोजन से जुड़ी सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए और समायोजन प्रक्रिया में की गई गलतियों को सुधारने के लिए उचित कदम उठाया जाए।

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