संभल में उपद्रव के 5 खौफनाक घंटे : हिंसा में मरे युवकों के परिजन का आरोप- वर्दीवालों ने सीधे गोली चलाई, पुलिस बोली- छतों से महिलाएं भी फायरिंग कर रही थीं

हिंसा में मरे युवकों के परिजन का आरोप- वर्दीवालों ने सीधे गोली चलाई, पुलिस बोली- छतों से महिलाएं भी फायरिंग कर रही थीं
UPT | Sambhal Violence

Nov 25, 2024 14:13

जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर जो विवाद छिड़ा, उसने हिंसा का रूप ले लिया और चार लोगों की जान ले ली। इस घटना में बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं...

Nov 25, 2024 14:13

Sambhal News : संभल जिले में रविवार की सुबह हालात अचानक बदल गए। पिछले कुछ दिनों से शहर में जो तनाव देखा जा रहा था, उसका परिणाम अब सामने आया। जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर जो विवाद छिड़ा, उसने हिंसा का रूप ले लिया और चार लोगों की जान ले ली। इस घटना में बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं, जिनमें दो मृतकों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह सामने आया कि उनकी मौत 315 बोर की गोलियों से हुई। घटना के दौरान एक आरोपी के पास से धारदार हथियार भी बरामद किया गया है।

जिले में इंटरनेट सेवा बंद
हिंसा के बाद स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई और शहर में शांति बहाल करने के लिए पुलिस प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की। 24 घंटे के भीतर संभल में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं ताकि अफवाहें न फैलें। शहर के स्कूल और कॉलेज भी बंद कर दिए गए। कमिश्नर और डीआईजी संभल में मौजूद थे, जबकि अघोषित कर्फ्यू जैसे हालात बने हुए थे।

शहर में तनाव का माहौल
फायरिंग और पथराव के इस खतरनाक घटनाक्रम में 30 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने किसी तरह से स्थिति पर काबू पाया। बहजोई के डिप्टी कलेक्टर रमेश बाबू, सीओ अनुज चौधरी, संभल के प्रभारी निरीक्षक अनुज तोमर, असमोली थाने के थानाध्यक्ष योगेश कुमार, कैलादेवी के थानाध्यक्ष राजीव मलिक, कुढ़ फतेहगढ़ के थानाध्यक्ष राधेश्याम शर्मा और पुलिस अधीक्षक के पीआरओ संजीव कुमार सहित कई अधिकारी घायल हुए हैं। घटना के बाद संभल शहर में तनाव का माहौल बना हुआ है।



पुलिस और मृतकों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं
इस मामले में मृतकों के परिजनों और पुलिस की तरफ से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। जहां एक तरफ पुलिस का कहना है कि मस्जिद के आसपास की सभी गलियां संकरी थी इसलिए वो वहां घिर गए और इस दौरान उनपर पथराव और फायरिंग की गई। आगे पुलिस ने बताया कि छतों पर से महिलाओं द्वारा फायरिंग भी की गई है। तो वहीं दूसरी तरफ मृतकों के परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जानबूझकर घटना को अंजाम दिया। उनका कहना है कि मृतक युवक मस्जिद से दूर थे, बावजूद इसके पुलिस ने उनपर गोली चलाई।

महिला तमंचे से कर रही थी फायरिंग
दरअसल, रविवार को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान बड़ा हंगामा हुआ, जिसके कारण शहर में हिंसा फैल गई। जामा मस्जिद के आसपास की संकरी गलियों से उपद्रवी इकट्ठा हो गए थे और तीन तरफ से छतों से पुलिस पर पथराव और फायरिंग की गई। संभल के एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि उपद्रवियों में बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा शामिल थे। एक महिला को पुलिस ने पकड़ा, जो तमंचे से फायरिंग कर रही थी। इस हिंसा में चार युवकों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए, जिनमें 4 पुलिस अधिकारी और 20 जवान शामिल हैं।

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सर्वे टीम पर भीड़ ने किया पथराव
कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा कि पुलिस ने पूरी रात जामा मस्जिद के आसपास सुरक्षा बढ़ाए रखी थी। 23 नवंबर को पुलिस ने मस्जिद के सदर को सर्वे के बारे में सूचित किया था और 24 नवंबर की सुबह सर्वे का आयोजन हुआ। जब सर्वे टीम बाहर निकली, तो अचानक भीड़ द्वारा पथराव और फायरिंग शुरू हो गई। एसपी ने बताया कि दंगाई मस्जिद के पास संकरी गलियों से इकट्ठा हुए थे, जिससे पुलिस को घेर लिया गया। पुलिस ने सर्वे के दौरान स्थिति को नियंत्रित करने के लिए टीम को अपनी निगरानी में कोतवाली तक पहुंचाया। इसके बावजूद, सर्वे के बाद भीड़ द्वारा पत्थर फेंकने और फिर फायरिंग का सिलसिला जारी रहा। पुलिस की सतर्कता के बावजूद हिंसा बढ़ती गई और पूरे इलाके में तनाव फैल गया। जामा मस्जिद के आसपास सड़कों पर पत्थर और ईंटें बिखरी हुई थीं, जो हिंसा के दौरान उपद्रवियों द्वारा इस्तेमाल की गई थीं।

पांच ट्रैक्टर-ट्रॉली भरकर ईंट-पत्थर उठाए गए
पुलिस के मुताबिक, उपद्रवियों के पास भारी मात्रा में ईंट-पत्थर थे, जिनसे उन्होंने कई जगहों पर हमला किया। नगर पालिका कर्मचारी प्रमोद ने बताया कि करीब पांच ट्रैक्टर-ट्रॉली भरकर ईंट-पत्थर उठाए गए। जामा मस्जिद की दीवार पर भी छोटे-छोटे पत्थर पड़े थे और सड़कों पर भी कई जगह ऐसे निशान थे जो यह दिखाते थे कि ईंटों को तोड़कर पत्थर बनाए गए थे।

घायल सिपाही ने बताया हाल
घटना के दौरान एक और सिपाही विनीत कुमार घायल हुए, जो चंदौसी कोर्ट में तैनात हैं। उन्होंने बताया कि वह जामा मस्जिद के पास रोड पर तैनात थे, तभी अचानक छतों से ईंट-पत्थर गिरने लगे। एक पत्थर उनके पैर में आकर लगा, जिससे वह कुछ समय तक चल नहीं पाए। हालांकि, उन्होंने हिम्मत जुटाकर दंगाइयों से मोर्चा लिया और स्थिति को काबू में करने की कोशिश की।

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मृतक नईम के भाई ने दी जानकारी
वहीं 32 वर्षीय नईम की मौत की मौत को लेकर उसका परिवार बेहद गुस्से में है। नईम के छोटे भाई तस्लीम ने बताया कि वह अपनी मिठाई की दुकान के लिए रिफाइंड तेल और मैदा लाने के लिए बाजार गया था, जहां पुलिसवालों ने उसे गोली मार दी। तस्लीम के अनुसार, जब वह मौके पर पहुंचा तो पुलिस ने उसे अपने भाई के पास नहीं जाने दिया। बाद में, नईम को दो निजी अस्पतालों में भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन वहां उसे पुलिस केस बताकर इलाज से मना कर दिया गया। बाद में उसे घर लाया गया, लेकिन कुछ देर बाद पुलिस ने उसकी लाश को सरकारी अस्पताल भेज दिया।

वो तो दुकान का सामान लाने गया था- नईम की मां
नईम की बूढ़ी मां ने अपने बेटे की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि वह बाजार में दुकान का सामान लेने गया था, लेकिन पुलिस ने उसे वहीं घेरकर गोली मार दी। उसकी मां ने हाथ जोड़कर रोते हुए कहा कि अब उसका बेटा वापस नहीं आएगा। परिवार का आरोप है कि सीईओ की मौजूदगी में पुलिस ने गोलियां चलाईं, जिससे नईम की मौके पर ही मौत हो गई। परिवार का कहना है कि नईम प्रदर्शन में शामिल नहीं था, वह केवल अपनी दुकान के लिए सामान लाने गया था। गोली लगने के बाद, उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसकी जान नहीं बच पाई।

पैसे की जरूरत नहीं- मृतक के पिता
इसके अलावा, एक मृतक के पिता ने भी गुस्से में कहा कि उन्हें किसी पैसे की जरूरत नहीं है, वे बदला चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने जानबूझकर उनके बेटे को मारा और जो लोग इस हिंसा के जिम्मेदार हैं, उन्हें सजा मिलनी चाहिए। दूसरी तरफ, बिलाल के छोटे भाई ने सीधे तौर पर सीओ अनुज चौधरी का नाम लिया और कहा कि उन्होंने जानबूझकर उसके भाई पर निशाना साधकर गोली चलाई। परिवार के इन आरोपों के बीच, पुलिस ने अपनी सफाई भी दी है।

कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह ने दी प्रतिक्रिया
मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि जो लोग घटना स्थल पर मौजूद थे, वे पुलिस पर पथराव कर रहे थे। कमिश्नर ने यह भी कहा कि अगर परिवार के पास इस मामले का कोई साक्ष्य है, तो वे पुलिस से संपर्क कर सकते हैं। उनका कहना था कि तीन पक्ष आपस में भिड़े थे और इस हिंसा में कई लोग मारे गए। कमिश्नर ने यह सवाल भी उठाया कि परिवार को यह पूछना चाहिए था कि उनके बच्चे वहां क्यों गए, अगर वे धर्म, पुण्य या मदद करने के लिए नहीं गए थे।

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दंगाईयों ने केवल पुलिस की गाड़ियों को निशाना बनाया- एसआई
इन सब के अलावा, हिंसा में पुलिस सब-इंस्पेक्टर पवित्र सागर की कार को दंगाइयों ने जला दिया। पवित्र सागर, जो संभल जिले के थाना जूनाबाई में तैनात थे, जामा मस्जिद के पास अपनी कार खड़ी करके करीब 250 मीटर दूर एक पॉइंट पर तैनात थे। उन्होंने बताया कि उनकी कार पर पुलिस का स्टिकर था और दंगाई केवल पुलिस की गाड़ियों को निशाना बना रहे थे। पवित्र सागर का कहना था कि उन्हें हिंसा की कोई आशंका नहीं थी, वरना वह अपनी गाड़ी वहां पार्क न करते।

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