पिता प्रिंसिपल, भाई सेना में अफसर : आईएएस बनने घर से निकला, बन गया अंडरवर्ल्ड डॉन... पढ़िए बबलू श्रीवास्तव की कहानी

आईएएस बनने घर से निकला, बन गया अंडरवर्ल्ड डॉन... पढ़िए बबलू श्रीवास्तव की कहानी
UPT | आईएएस बनने घर से निकला, बन गया अंडरवर्ल्ड डॉन

Jul 05, 2024 17:39

जुर्म की दुनिया में कुख्यात बबलू श्रीवास्तव कोई आपराधिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से नहीं आता था। वह तो आईएएस बनने की चाह में अपने घर से निकला था, लेकिन सफर से अंत में वह दुर्दांत अपराधी बन गया। लेकिन आखिर इन सबकी शुरुआत हुई कैसे?

Jul 05, 2024 17:39

Short Highlights
  • आईएएस बनना चाहता था बबलू श्रीवास्तव
  • भाई का सेना में अफसर पद पर हुआ था चयन
  • दाऊद इब्राहिम से भी की थी दोस्ती
New Delhi : अंडरवर्ल्ड डॉन बबलू श्रीवास्तव को इलाहाबाद की अदालत ने सर्राफा कारोबारी के अपहरण मामले में बरी कर दिया है। बबलू के साथ उसका भांजा संकल्प भी दोषमु्क्त करार दिया गया है। जुर्म की दुनिया में कुख्यात बबलू श्रीवास्तव कोई आपराधिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से नहीं आता था। वह तो आईएएस बनने की चाह में अपने घर से निकला था, लेकिन सफर से अंत में वह दुर्दांत अपराधी बन गया। लेकिन आखिर इन सबकी शुरुआत हुई कैसे? कैसे नफरत की आग ने बबलू के नाम के आगे डॉन शब्द जोड़ दिया?

बचपन से रसूख चाहता था बबलू
कहानी की शुरुआत उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से होती है। पेशे से शिक्षक विश्वनाथ प्रताप श्रीवास्तव के घर एक बेटे का जन्म हुआ। नाम रखा गया ओम प्रकाश श्रीवास्तव। घर वाले और आस-पास के लोग उसे बबलू पुकारते। लाड़-प्यार में बड़ा हुआ बबलू पढ़ाई में खूब तेज था। वह बचपन से ही सोचता था कि बड़ा होकर कुछ ऐसा करेगा कि लोगों में उसका रसूख हो। धीरे-धीरे बबलू के मन आईएएस बनने की इच्छा पलने लगी। घर में पढ़ने-लिखने का माहौल था, तो बबलू के सपने को घरवालों ने पूरा करने की आजादी भी दी।

भाई का सेना में हो गया चयन
इधर बबलू मन में आईएएस बनने का सपना पाले पढ़ाई में जुटा था, उधर उसके बड़े भाई विकास श्रीवास्तव का भारतीय सेना में अफसर के पद पर चयन हो गया। भाई के बदन पर सेना की वर्दी उसे भाने लगी। अब बबलू भी फौज में जाना चाहता था। आगे की पढ़ाई के लिए उसे लखनऊ भेज दिया गया। बबलू यहां अपने सपने को हासिल करने की तैयारी भी करने लगा। लखनऊ के लॉ कॉलेज में उसने दाखिला लिया और पढ़ाई शुरू कर दी।

झूठे केस में फंस गया बबलू
1982 का साल था। लॉ कॉलेज में छात्रसंघ का चुनाव चल रहा था। बबलू का दोस्त नीरज जैन इसमें महामंत्री के पद के लिए उम्मीदवार बना था। बबलू भी उसके लिए प्रचार कर रहा था। लेकिन इसी बीच एक दिन दो गुटों का आपस में झगड़ा हो गया। इस झगड़े में एक छात्र को चाकू लग गया। घायल छात्र उस समय के कुख्यात गैंगस्टर अरुण शंकर शुक्ला 'अन्ना' का करीबी था। इस घटना के बाद अन्ना ने बबलू को किसी झूठे मुकदमे में जेल भिजवा दिया। कुछ समय बाद जब बबलू जमानत पर छूटा, तो उसे एक और झूठे केस में फिर जेल जाना पड़ा। अन्ना गैंग की इस हरकत ने बबलू को अंदर तक हिला दिया।

बदले की आग में जलता रहा बबलू
दूसरी बार जेल जाने के बाद से ही बबलू बदले की आग में जलने लगा। वो हर हाल में अन्ना गैंग से बदला लेना चाहता था। जेल से बाहर आते ही बबलू अन्ना की विरोधी गैंग में शामिल हो गया। इसका मुखिया रामगोपाल मिश्रा था। मिश्रा के लिए काम करते-करते बबलू ने जरायम की दुनिया के सारे दांव-पेच सीख लिए। लेकिन इसी बीच अन्ना की मां की पहल और मिश्रा और अन्ना की रंजिश खत्म हो गई। दोनों के बीच सुलह देखकर बबलू ने मिश्रा का गैंग छोड़ दिया और खुद का गैंग बना लिया।

किडनैपिंग किंग बन गया बबलू श्रीवास्तव
बबलू के काम करने का तरीका थोड़ा अलग था। उसने कई छोटे-छोटे गैंग सक्रिय किए हुए थे। इसे जरिए ही लोगों का अपहरण करवाता था और फिरौती वसूल करता था। ये गैंग अपहृत व्यक्ति को बबलू को सौंप देते थे और बदले में मिलने वाले फिरौती के पैसे का बंटवारा हो जाता था। धीरे-धीरे बबलू की पकड़ उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार और महाराष्ट्र तक हो गई थी। अपराध की दुनिया में बबलू का नाम तेजी से बढ़ रहा था। अपहरण की अनगिनत वारदातों को अंजाम देने के कारण बबलू को किडनैपिंग किंग कहा जाने लगा था। पुलिस उसकी तलाश में लगी थी। पकड़े जाने के डर से बबलू भारत से भागकर नेपाल चला गया।

दाऊद से कर ली दोस्ती
नेपाल में बबलू की मुलाकात डॉन मिर्जा दिलशाद बेग से हुई। बेग के ही कहने पर बबलू 1992 में दुबई चला गया और इसी क्रम में उसकी मुलाकात दाऊद इब्राहिम से हुई। कहते हैं कि दाऊद के इशारे पर बेग भारत की जासूस करता था। खैर, दाऊद से मिलकर बबलू कई धंधे करने लगा। विदेशी हथियारों और ड्रग्स की तस्करी करते-करते बबलू अंडरवर्ल्ड का डॉन बन गया। लेकिन इसी बीच 1993 में मुंबई में सीरियल बम धमाके हुए, जिसमें कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी। बबलू अपराधी तो था, लेकिन देशद्रोही का टैग वह नहीं झेल सकता था। उसे इस घटना को काफी धक्का लगा। इसके बाद बबलू और छोटा राजन दोनों ने दाऊद का साथ छोड़ दिया।

रॉ का एजेंट कहलाने लगा बबलू
1995 में बबलू को सिंगापुर से गिरफ्तार कर लिया गया। तब तक उसके नाम के साथ अंडरवर्ल्ड डॉन का टैग जुड़ चुका था। लेकिन उस पर रॉ एजेंट होने का भी आरोप लगने लगा। दरअसल हुआ ये कि 2021 में भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज सईद पर पाकिस्तान में एक हमला हुआ था। कहा जाने लगा कि ये हमला बबलू श्रीवास्तव ने करवाया है। उस वक्त बबलू बरेली जेल में बंद था। यहां तक कि पाकिस्तान के गृह मंत्री ने बबलू को रॉ का फ्रंट मैन बताया था। कहते हैं कि बबलू की मदद से ही नेपाल के माफिया और दाऊद के करीबी मिर्जा दिलशाद बेग को मारा गया था। अब बबलू रॉ के लिए काम करता था या नहीं, ये सिर्फ बबलू ही बता सकता है।

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