ज्ञानपीठ पुरस्कार का एलान : 22 फिल्म फेयर, ग्रैमी और दादा साहब फाल्के से सम्मानित... जानिए कैसे संपूर्ण सिंह बन गए गुलजार

22 फिल्म फेयर, ग्रैमी और दादा साहब फाल्के से सम्मानित... जानिए कैसे संपूर्ण सिंह बन गए गुलजार
UPT | संपूर्ण सिंह के गुलजार बनने की कहानी

Feb 17, 2024 20:57

गुलजार और स्वामी भद्राचार्य को 2023 का ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का एलान किया गया है। गुलजार का असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। आज हम आपको गुलजार की जिंदगी से रूबरू करवाने जा रहे हैं।

Feb 17, 2024 20:57

Short Highlights
  • गुलजार को मिलेगा ज्ञानपीठ पुरस्कार
  • लेखन कार्य पर गुलजार को पिता से पड़ी थी डांट
  • ग्रैमी अवॉर्ड से हो चुके हैं सम्मानित
New Delhi : 18 अगस्त 1934, तत्कालीन ब्रिटिश भारत का झेलम जिला। सिख परिवार माखन सिंह कालरा और सुजान कौर के घर एक बच्चे का जन्म हुआ। नाम रखा गया संपूर्ण सिंह कालरा। लेकिन बंटवारे के बाद परिवार मुंबई आकर बस गया। संपूर्ण सिंह की पढ़ाई बीच में छूट गई। उसने जीवनयापन के लिए छोटे-छोटे काम करने शुरू कर दिए। इस दौरान संपूर्ण ने बेलासिस रोड स्थित एक गैरेज में भी काम किया।

लेखन कार्य पर पिता से पड़ी थी डांट
संपूर्ण को लिखने का शौक था। लेखक बनने की शुरुआत में उसे अपने पिता से डांट भी खाई। लेकिन कायनात को कुछ और ही मंजूर था। इसी कोशिश ने संपूर्ण को पहले गुलजार दीनवी और फिर गुलजार नाम से विख्यात कर दिया। कुछ लोगों के कहने पर गुलजार ने फिल्म डायरेक्टर बिमल रॉय और ऋषिकेश मुखर्जी के साथ काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने सबसे पहले साल 1963 में आई बंदिनी फिल्म में बतौर सॉन्गराइटर काम किया।

1969 में गाने ने दिलाई गुलजार को पहचान
1968 में आई फिल्म आशीर्वाद में गुलजार ने डायलॉग और लिरिक्स लिखे थे। इस फिल्म में एक्टर अशोक कुमार लीड रोल में थे। तब उन्हें बेस्ट एक्टर के लिए फिल्मफेयर और नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला था। हालांकि तब तक गुलजार को बहुत अधिक प्रसिद्धि नहीं मिली थी। लेकिन साल 1969 में आई फिल्म खामोशी के गाने ‘हमने देखी है उन आंखों की महकती खुशबू’ ने गुलजार को रातों-रात प्रसिद्ध कर दिया।

कई सीरियल के लिए डायलॉग
गुलजार ने अपनी पहली फिल्म 1971 में डायरेक्ट की। इससे पहले वह आशीर्वाद, आनंद और खामोशी जैसी फिल्मों के लिए स्क्रीनप्ले लिख चुके थे। गुलजार के डायरेक्शन में बनी ज्यादातर फिल्मों के लिए म्यूजिक आरडी बर्मन ने ही कंपोज किया है। गुलजार उर्दू और पंजाबी के अलावा और भी कई भाषाओं में लिखते थे। इसके बाद उन्होंने मिर्जा गालिब और तहरीर जैसे टीवी सीरियल भी डायरेक्ट किए। उन्होंने दूरदर्शन के टीवी सीरियल जंगल बुक, हैलो जिंदगी, पोटली बाबा की में डायलॉग भी लिखे।

ग्रैमी अवॉर्ड से हो चुके हैं सम्मानित
गुलजार ने एक्ट्रेस राखी से शादी की है। उनकी एक बेटी मेघना गुलजार है। मेघना ने भी कई फिल्मों का डायरेक्शन किया है। गुलजार को अपने कामों के लिए कई सारे सम्मान मिल चुके हैं। इसमें 5 नेशनल फिल्म अवॉर्ड, 22 फिल्मफेयर, एक अकादमी अवॉर्ड, एक ग्रैमी अवॉर्ड और 2002 में उर्दू के लिए साहित्य अकादमी अवॉर्ड भी शामिल है। इसके अलावा उन्हें 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार भी मिला था। गुलजार को भारत सरकार ने 2004 में पद्म  भूषण से सम्मानित किया था। अब 2023 का ज्ञानपीठ पुरस्कार भी गुलजार को मिला है।

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