18वीं लोकसभा का पहला सत्र आज : प्रोटेम स्पीकर सांसदों को दिलाएंगे शपथ, 10 दिन में होंगी 8 बैठकें

प्रोटेम स्पीकर सांसदों को दिलाएंगे शपथ, 10 दिन में होंगी 8 बैठकें
UPT | Parliament

Jun 24, 2024 07:40

सत्र का पहला दिन आज से शुरू हो रहा है। सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाएंगी।

Jun 24, 2024 07:40

New Delhi : देश की 18वीं लोकसभा के पहले सत्र का पहला दिन आज से शुरू हो रहा है। सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाएंगी। इसके बाद सुबह 11 बजे लोकसभा की कार्यवाही शुरू होगी, जिसमें प्रोटेम स्पीकर अन्य सदस्यों को शपथ दिलाने का काम शुरू करेंगे। इसके साथ ही सत्र के दौरान 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा और 27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी।

ये भी पढ़े : लोकसभा चुनाव 2024 : संसद में 36 दलों के हैं मौजूदा 520 सांसद, केवल 3 निर्दलीय और 22 सीट तो पड़ी हैं खाली

ये पांच सदस्यों की पैनल में शामिल
इस सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले सांसद के तौर पर शपथ लेंगे। पीएम मोदी के शपथ लेने के बाद प्रोटेम स्पीकर की मदद के लिए बनाए गए पैनल के सदस्य शपथ लेंगे। इस पैनल के सदस्य प्रोटेम स्पीकर की अनुपस्थिति में सदस्यों को शपथ दिलाने का काम करेंगे। पैनल में पांच सदस्यों को शामिल किया गया है।पैनल में कांग्रेस से के सुरेश, भाजपा से राधा मोहन सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते, डीएमके से टीआर बालू और टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय शामिल हैं। हालांकि विपक्षी पार्टियों ने कहा है कि उनके सांसद इस पैनल का हिस्सा नहीं होंगे और वे सदस्यों को शपथ नहीं दिलाएंगे। वे के सुरेश को प्रोटेम स्पीकर न बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं।



कैबिनेट मंत्रियों को भी दिलाई जाएगी शपथ
पैनल के सदस्यों की शपथ के बाद कैबिनेट मंत्रियों का शपथ ग्रहण शुरू होगा। इसमें सबसे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शपथ लेंगे। इसके बाद क्रमवार गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और अन्य कैबिनेट मंत्री शपथ लेंगे। कैबिनेट मंत्रियों के बाद राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और फिर राज्य मंत्री शपथ लेंगे। मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद राज्यों के सांसद वर्णमाला क्रम से शपथ लेंगे। सबसे पहले अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सांसद विष्णु पद रे शपथ लेंगे, इसके बाद आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार और इसी तरह अन्य राज्यों के सांसद वर्णमाला क्रम में शपथ लेंगे।

राष्ट्रपति करेंगी नई सरकार के कामकाज की रूपरेखा पेश
इस सत्र के पहले तीन दिनों में नवनिर्वाचित सदस्य शपथ लेंगे। 27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी और अगले पांच सालों के लिए नई सरकार की कामकाज की रूपरेखा पेश करेंगी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में अपनी मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय देंगे। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष राजग सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की कोशिश कर सकता है। प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देंगे।

विपक्षी सत्र के पहले दिन सदन की ओर करेंगे मार्च
18वीं लोकसभा के पहले सत्र के पहले दिन विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के लोकसभा सदस्य सुबह संसद परिसर में एकत्र होंगे और एक साथ सदन की ओर मार्च करेंगे। सूत्रों के अनुसार, सांसद पुराने संसद भवन के गेट नंबर 2 के पास एकत्र होंगे, जहां कभी गांधी प्रतिमा हुआ करती थी। नेता ने कहा कि कुछ सांसद भारत के संविधान की प्रतियां लेकर चलेंगे और वे सभी संसद भवन तक पैदल जाएंगे।

ये भी पढ़े : 15 करोड़ की संपत्ति, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी... जानिए कौन हैं दूसरी बार संसद पहुंचने वाले सुधांशु त्रिवेदी

शपथ ग्रहण और विपक्ष का विरोध एक दिन
इस प्रकार, 18वीं लोकसभा के पहले सत्र का यह पहला दिन कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी बनेगा, जिसमें नई सरकार के गठन की प्रक्रिया, मंत्रियों की शपथ ग्रहण और विपक्ष का विरोध शामिल है। यह दिन भारतीय लोकतंत्र के महत्वपूर्ण कार्यों और प्रक्रियाओं को प्रदर्शित करेगा, जो अगले पांच सालों के लिए सरकार की दिशा निर्धारित करेंगे।

Also Read

सरकार इसलिए गिरी ताकि अयोध्या विवाद हल करने का श्रेय न मिले

8 Jul 2024 10:02 PM

नेशनल पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर बड़ा खुलासा : सरकार इसलिए गिरी ताकि अयोध्या विवाद हल करने का श्रेय न मिले

राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश 'चंद्रशेखर : दी लास्ट आयकन ऑफ आयडोलॉजिकल पॉलिटिक्स' के सह-लेखक हैं। उनका दावा है कि चंद्रशेखर अपने अल्पकालिक कार्यकाल में इस विवाद को बातचीत से हल करने के करीब पहुंच गए थे। और पढ़ें