भारत में ऑनलाइन पोर्न देखने को गैर-कानूनी नहीं माना गया है, लेकिन इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के तहत पोर्न वीडियो बनाने, प्रकाशित करने और सर्कुलेट करने पर प्रतिबंध है...
मद्रास हाईकोर्ट का पलटा फैसला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना अपराध
Sep 23, 2024 13:50
Sep 23, 2024 13:50
मद्रास हाईकोर्ट का क्या था फैसला
बता दें CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह फैसला सुनाया हैं। चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट डाउनलोड करता और देखता है, तो यह अपराध नहीं, जब तक कि मंशा इसे प्रसारित करने की न हो।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम संसद को सुझाव देते हैं कि POCSO एक्ट में बदलाव करें और इसके बाद पोर्नोग्राफी शब्द की जगह चाइल्ड सेक्शुअली एब्यूसिव एंड एक्सप्लोइटेटिव मटेरियल का इस्तेमाल किया जाए। इसके लिए अध्यादेश भी लाया जा सकता है। बेंच ने कहा, हमने यह फैसला बच्चों के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की घटनाओं के आधार पर दिया। ऐसे मामलों की शिकायत करने में समाज की कितनी भूमिका है, इस पर भी ध्यान रखा।
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया कि यदि कोई व्यक्ति अश्लील फोटो या वीडियो देखता है, तो यह अपराध नहीं है; लेकिन यदि वह इसे दूसरों को दिखाता है, तो यह गैरकानूनी होगा। यह निर्णय 13 सितंबर 2023 को दिया गया था और मद्रास हाईकोर्ट ने इसी आधार पर 11 जनवरी 2024 को एक आरोपी को दोषमुक्त कर दिया था।
इसके बाद, मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस और बचपन बचाओ आंदोलन जैसे एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस का मानना है कि हाईकोर्ट का आदेश चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बढ़ावा दे सकता है, क्योंकि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसा कंटेंट डाउनलोड करने वाले व्यक्तियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
हाईकोर्ट के फैसले की मुख्य बातें
1. केरल हाईकोर्ट- जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन की बेंच ने कहा कि पोर्नोग्राफी सदियों से प्रचलित है और डिजिटल युग में इसकी पहुंच बेहद आसान हो गई है, जो सभी के लिए उपलब्ध है।
2. मद्रास हाईकोर्ट- मद्रास हाईकोर्ट ने भी इसी संदर्भ में कहा कि अपने उपकरण पर चाइल्ड पोर्न देखना या डाउनलोड करना अपराध नहीं है, जिससे एक पॉक्सो एक्ट के आरोपी का केस रद्द कर दिया गया।
भारत में अश्लील वीडियो से संबंधित कानून
भारत में ऑनलाइन पोर्न देखने को गैर-कानूनी नहीं माना गया है, लेकिन इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के तहत पोर्न वीडियो बनाने, प्रकाशित करने और सर्कुलेट करने पर प्रतिबंध है। इस एक्ट के तहत, ऐसे अपराधियों को तीन साल की जेल और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, IPC के विभिन्न धाराओं में भी ऐसे अपराधों को रोकने के लिए प्रावधान हैं और POCSO कानून के तहत कार्रवाई की जाती है।