मयूरी ने अपनी स्कूली शिक्षा औरंगाबाद के सेंट फ्रांसिस स्कूल से पूरी की और उसके बाद उनका चयन आईआईटी कानपुर में हो गया। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
मयूरी कांगो : गूगल इंडिया की हेड बनीं अपने दौर की मशहूर अभिनेत्री, आईआईटी कानपुर से है खास रिश्ता
Aug 21, 2024 23:21
Aug 21, 2024 23:21
फिल्मी दुनिया से कॉरपोरेट वर्ल्ड तक का सफर
मयूरी कांगो का जन्म 15 अगस्त 1982 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुआ था। उनके पिता भालचंद्र कांगो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के सक्रिय सदस्य थे, जबकि उनकी मां सुजाता कांगो एक अभिनेत्री रह चुकी थीं। मयूरी के फिल्मी दुनिया में आने की प्रेरणा कहीं न कहीं उनकी मां से ही मिली थी, लेकिन उनके माता-पिता की यह इच्छा थी कि मयूरी पढ़-लिखकर एक बिजनेस वुमन बने। मयूरी भी इसी सपने को लेकर आगे बढ़ रही थीं और पढ़ाई में भी वे शुरू से ही काफी होशियार थीं।
आईआईटी कानपुर में पढ़ी
मयूरी ने अपनी स्कूली शिक्षा औरंगाबाद के सेंट फ्रांसिस स्कूल से पूरी की और उसके बाद उनका चयन आईआईटी कानपुर में हो गया। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। मयूरी की मां सुजाता एक फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में मुंबई आई हुई थीं और मयूरी भी उनके साथ थीं। एक दिन जब मयूरी अपनी मां के साथ सेट पर गईं, तब फिल्म निर्देशक सईद अख्तर मिर्ज़ा की नजर उन पर पड़ी। सईद अख्तर ने मयूरी को अपनी फिल्म 'नसीम' में लीड रोल का ऑफर दिया। उस समय मयूरी आईआईटी कानपुर में पढ़ाई कर रही थीं, इसलिए उन्होंने पहले इस ऑफर को ठुकरा दिया। लेकिन बाद में उन्होंने इस पर विचार किया और आखिरकार फिल्म के लिए हां कह दी।
'पापा कहते हैं' से मिली पहचान
मयूरी कांगो की पहली फिल्म 'नसीम' थी, जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में उनकी मां सुजाता कांगो ने भी अभिनय किया था। 'नसीम' फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था और इस फिल्म के जरिए मयूरी ने अपनी पहचान बना ली थी। मयूरी की अदाकारी से प्रभावित होकर फिल्म निर्माता महेश भट्ट ने उन्हें अपनी फिल्म 'पापा कहते हैं' में कास्ट किया। इस फिल्म में मयूरी ने जुगल हंसराज के साथ काम किया और 1996 में रिलीज हुई यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई। इस फिल्म का गाना 'घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही...' तो जैसे हर किसी की जुबान पर चढ़ गया और मयूरी रातोंरात स्टार बन गईं।
इसके बाद मयूरी ने 'बेताबी', 'होगी प्यार की जीत', 'मेरे अपने', 'बादल' जैसी फिल्मों में काम किया। 'बादल' फिल्म में उन्होंने रानी मुखर्जी और बॉबी देओल के साथ सहायक भूमिका निभाई थी। मयूरी ने अपने छोटे से फिल्मी करियर में अपनी अदाकारी का जलवा बिखेरा, लेकिन अचानक ही वे इंडस्ट्री से गायब हो गईं।
फिल्म इंडस्ट्री को क्यों कहा अलविदा?
मयूरी कांगो के फिल्मी करियर का अचानक अंत होना कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने कई फिल्मों के लिए साइन किया, लेकिन कुछ कारणों से वे फिल्में बन नहीं सकीं। इसके बाद मयूरी को 'मनहूस' का टैग भी मिल गया और उन्हें फिल्में मिलनी कम हो गईं। हालांकि, मयूरी ने हार नहीं मानी और उन्होंने साउथ इंडियन फिल्मों में भी काम किया, लेकिन वहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली। फिल्मों में असफलता के बाद मयूरी ने टीवी की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने 'नरगिस', 'डॉलर बहू', 'कुसुम', 'करिश्मा' जैसे सीरियलों में काम किया, लेकिन उनका मन एक्टिंग से उठ चुका था। आखिरकार, मयूरी ने एक्टिंग को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया और एक नई दिशा की तलाश में जुट गईं।
कॉरपोरेट जगत में सफलता की उड़ान
मयूरी ने 2003 में एक्टिंग से दूर होने के बाद एनआरआई बिजनेसमैन आदित्य ढिल्लों से शादी कर ली और अमेरिका शिफ्ट हो गईं। अमेरिका में मयूरी ने अपने बिजनेस के सपने को पूरा करने के लिए एमबीए करने का फैसला किया। पढ़ाई में होशियार होने के चलते उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली और उन्होंने अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद मयूरी ने कई बड़ी कंपनियों में काम किया और अपने करियर में नई ऊंचाइयों को छुआ। मां बनने के बाद मयूरी के लिए करियर और बच्चे की देखभाल में संतुलन बनाना मुश्किल हो गया, इसलिए उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया। 2019 में मयूरी को गूगल इंडिया में काम करने का मौका मिला और आज वे गूगल इंडिया की हेड के पद पर कार्यरत हैं।
मयूरी की नई पहचान
मयूरी कांगो ने फिल्मी दुनिया को छोड़कर कॉरपोरेट जगत में एक नई पहचान बनाई है। एक समय की मशहूर अभिनेत्री आज गूगल इंडिया की हेड बनकर सफलता की मिसाल पेश कर रही हैं। मयूरी का सफर हमें यह सिखाता है कि सफलता पाने के लिए हार मान लेना कोई विकल्प नहीं होता, बल्कि हर मुश्किल का सामना करते हुए आगे बढ़ना ही असली सफलता है।
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